स्वच्छ भारत मिशन एक बड़े पैमाने पर जन आंदोलन है जिसका प्रयास 2019 तक भारत को स्वच्छ बनाना है। इस मिशन में सभी ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों को शामिल किया जाएगा।
मिशन का उद्देश्य 1.04 करोड़ परिवारों को लक्षित करते हुए 2.5 लाख समुदायिक शौचालय, 2.6 लाख सार्वजनिक शौचालय, और प्रत्येक शहर में एक ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की सुविधा प्रदान करना है। इस कार्यक्रम के तहत आवासीय क्षेत्रों में जहाँ व्यक्तिगत घरेलू शौचालयों का निर्माण करना मुश्किल है वहाँ सामुदायिक शौचालयों का निर्माण करना। पर्यटन स्थलों, बाजारों, बस स्टेशन, रेलवे स्टेशनों जैसे प्रमुख स्थानों पर भी सार्वजनिक शौचालय का निर्माण किया जाएगा। यह कार्यक्रम पाँच साल अवधि में 4401 शहरों में लागू किया जाएगा। कार्यक्रम पर खर्च किये जाने वाले 62,009 करोड़ रुपये में केंद्र सरकार की तरफ से 14623 रुपये उपलब्ध कराए जाएगें। केंद्र सरकार द्वारा प्राप्त होने वाले 14623 करोड़ रुपयों में से 7366 करोड़ रुपये ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर,4,165 करोड़ रुपये व्यक्तिगत घरेलू शौचालय पर,1828 करोड़ रुपये जनजागरूकता पर और समुदाय शौचालय बनवाये जाने पर 655 करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगे। इस कार्यक्रम खुले में शौच, अस्वच्छ शौचालयों को फ्लश शौचालय में परिवर्तित करने, मैला ढ़ोने की प्रथा का उन्मूलन करने, नगरपालिका ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और स्वस्थ एवं स्वच्छता से जुड़ीं प्रथाओं के संबंध में लोगों के व्यवहार में परिवर्तन लाना आदि शामिल हैं।
स्त्रोत : स्वच्छ भारत मिशन
निर्मल भारत अभियान कार्यक्रम भारत सरकार द्वारा चलाया जा रहा ग्रामीण क्षेत्र में लोगों के लिए माँग आधारित एवं जन केन्द्रित अभियान है, जिसमें लोगों की स्वच्छता सम्बन्धी आदतों को बेहतर बनाना, स्व सुविधाओं की माँग उत्पन्न करना और स्वच्छता सुविधाओं को उपलब्ध करना, जिससे ग्रामीणों के जीवन स्तर को बेहतर बनाया जा सके।
अभियान का उद्देश्य पांच वर्षों में भारत को खुला शौच से मुक्त देश बनाना है। अभियान के तहत देश में लगभग 11 करोड़ 11 लाख शौचालयों के निर्माण के लिए एक लाख चौंतीस हज़ार करोड़ रुपए खर्च किये जाएंगे। बड़े पैमाने पर प्रौद्योगिकी का उपयोग कर ग्रामीण भारत में कचरे का इस्तेमाल उसे पूंजी का रुप देते हुए जैव उर्वरक और ऊर्जा के विभिन्न रूपों में परिवर्तित करने के लिए किया जाएगा। अभियान को युद्ध स्तर पर प्रारंभ कर ग्रामीण आबादी और स्कूल शिक्षकों और छात्रों के बड़े वर्गों के अलावा प्रत्येक स्तर पर इस प्रयास में देश भर की ग्रामीण पंचायत,पंचायत समिति और जिला परिषद को भी इससे जोड़ना है।
अभियान के एक भाग के रुप में प्रत्येक पारिवारिक इकाई के अंतर्गत व्यक्तिगत घरेलू शौचालय की इकाई लागत को 10,000 से बढ़ा कर 12,000 रुपये कर दिया गया है और इसमें हाथ धोने,शौचालय की सफाई एवं भंडारण को भी शामिल किया गया है। इस तरह के शौचालय के लिए सरकार की तरफ से मिलने वाली सहायता 9,000 रुपये और इसमें राज्य सरकार का योगदान 3000 रुपये होगा। जम्मू एवं कश्मीर एवं उत्तरपूर्व राज्यों एवं विशेष दर्जा प्राप्त राज्यों को मिलने वाली सहायता 10800 होगी जिसमें राज्य का योगदान 1200 रुपये होगा। अन्य स्रोतों से अतिरिक्त योगदान करने की स्वीकार्यता होगी।
स्त्रोत: पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय
इस दौरान की जाने वाली गतिविधियों में शामिल हैं-
इसके अलावा, फिल्म शो, स्वच्छता पर निबंध / पेंटिंग और अन्य प्रतियोगिताएं, नाटकों आदि के आयोजन द्वारा स्वच्छता एवं अच्छे स्वास्थ्य का संदेश प्रसारित करना। मंत्रालय ने इसके अलावा स्कलों के छात्रों, शिक्षकों, अभिभावकों और समुदाय के सदस्यों को शामिल करते हुए सप्ताह में दो बार आधे घंटे सफाई अभियान शुरू करने का प्रस्ताव भी रखा है।
स्त्रोत: मानव संसाधन विकास मंत्रालय,भारत सरकार
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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