निर्माण क्षेत्र जैसे पुलों या भवनों के निर्माण क्षेत्रों में कार्य करने वाले श्रमिकों को निर्माण कामगार कहा जाता है। निर्माण कई प्रकार के उपकरणों का उपयोग करते हैं और मशीनों के साथ ही ट्रकों, बुलडोजर जैसे इत्यादि वाहनों का कार्य करते हैं। निर्माण कामगार का कार्य खतरों से भरा हो सकता है जैसे की ऊपर से श्रमिक का गिर जाना या श्रमिको के ऊपर भारी वस्तु गिर जाना है।
देश भर में भवन एवं अन्य निर्माण कार्यों में आठ लाख से अधिक श्रमिक लगे हुए हैं। ये कामगार भारत में असंगठित क्षेत्र के सबसे कमजोर वर्ग संपर्क में से एक हैं। उनका कार्य अस्थायी प्रकृति का होता है, नियोक्ता और कर्मचारी 9 के बीच संबंध अस्थायी है और काम के घंटे अनिश्चित होते हैं।
राष्ट्रीय व्यावसायिक स्वास्थ्य संस्थान निर्माण कामगारों के एक बड़े हिस्से में अकुशल मजदूर हैं; दूसरे कामगारों जैसे कि बॉयलरमेकर्स, ब्रिकलेयर्स, कंक्रीट फिनिसस और मित्री, कांच का काम करने वाले (ग्लेजियर्स ),जोखिम भरी सामग्री के लिए(उदाहरण के लिए, अभ्रक, सीसा,विषाक्त कचरा ढेर) हटाने वाले कामगार,मंजिलों(फ्लोर्स) के स्थापनकर्ता (इंस्टालर्स) (टेराजो सहित), गलीचे, ड्रायवाल और छत (छत टाइल सहित) के स्थापनकर्ता, इन्सुलेशन श्रमिकों (यांत्रिक और फर्श, छत और दीवार), लौह एवं इस्पात कामगार (सुदृढीकरण और संरचनात्मक), रखरखाव कार्यकर्ताओं, मिलराइट्स, ऑपरेटिंग इंजीनियरों (क्रेन के चालक और अन्य भारी उपकरणों के रखरखाव वाले श्रमिकों), चित्रकारों, प्लास्टरर्स और सजावटकर्ता, नलकारी और पाइप फ़िटर, रूफस और शिंगलर्स, शीट धातु श्रमिकों, सुरंग कार्यकर्ता की तरह कई कुशल ट्रेडों में से किसी में वर्गीकृत किया जा सकता है।
रासायनिक जोखिम अक्सर हवा से उत्पन्न होते हैं और धूल, धुएं, धुंध, वाष्प और गैसों के रूप में प्रकट होते हैं। इस प्रकार का उद्भासन आम तौर पर सांस के माध्यम द्वारा होता है, हालांकि कुछ हवा से उत्पन्न होने वाले जोखिम त्वचा के माध्यम से अवशोषित होते हैं। कामगारों में सिलिका धूल, सीसा धूल, अभ्रक धूल, गैसों, वाष्प और धुएं का जोखिम व्यावसायिक रोगों का कारण बन सकता है जिसमें सिलिकोसिस, एस्बेस्टोसिस इत्यादि शामिल हैं।
शारीरिक जोखिम प्रत्येक निर्माण परियोजना में मौजूद है। इन जोखिमों में शोर, गर्मी, सर्दी, विकिरण, कंपन और वायुमंडलीय दबाव शामिल हैं। निर्माण कार्य अक्सर अत्यधिक गर्मी या सर्दी, तूफानी बरसात, बर्फ, या धूमिल मौसम में या रात में नहीं किया जाना चाहिए। आयनीकरण और गैर आयनीकरण विकिरण जो वायुमंडलीय दबाव की चरम सीमा पर होते हैं उसका सामना करना पड़ता है।
जैविक रूप से उत्पन्न विषाक्त पदार्थों, जानवर के हमले तथा संक्रामक सूक्ष्मजीवों के उद्भासन द्वारा जैविक जोखिम प्रस्तुत किया जा रहा है। उदाहरण के लिए खुदाई कामगार को हिस्टोप्लास्मोसिस व एक आम मिट्टी कवक के कारण फेफड़ों का संक्रमण विकसित हो सकता है। चूंकि वहाँ किसी भी एक परियोजना पर श्रम बल की संरचना में निरंतर परिवर्तन होता है, प्रत्येक कामगार अन्य कामगारों के साथ संपर्क में आते हैं और जिसके परिणामस्वरुप वे संक्रामक रोगों (जैसे इन्फ्लूएंजा या क्षय) से संक्रमित हो सकते हैं। कामगारों को मलेरिया, पीले बुखार या लाइम रोग का खतरा हो सकता है यदि काम उन क्षेत्रों में जहां इन जीवों और इनके रोगवाहक कीट फैले हुए हैं।
इन श्रमिकों को मिलने वाली मूलभूत सुख-सुविधाएँ और कल्याण सुविधाएं अपर्यात हैं। जीवन और शारीरिक अंग के लिए भी जोखिम सहज हैं। पर्यात वैधानिक प्रावधानों के अभाव में दुर्घटनाओं की संख्या और प्रकृति के बारे में आवश्यक जानकारी प्राप्त करना काफी मुश्किल था और इस वजह से जिम्मेदारी तय करने के लिए या सुधारात्मक उपाय अपनाना कोई आसान काम नहीं था। हालांकि कुछ केंद्रीय अधिनियमों के प्रावधान भवन एवं अन्य निर्माण कामगारों के लिए लागू थे फिर भी सुरक्षा, कल्याण और इन कामगारों की सेवा की अन्य शतों को विनियमित करने के लिए एक व्यापक केंद्रीय कानून की एक आवश्यकता महसूस की गई। भवन एवं अन्य निर्माण श्रमिक (रोजगार और सेवा शतों का विनियमन) के अध्याय 7 अधिनियम, 1996 को धारा 3841 में भवन और निर्माण श्रमिकों के लिए सुरक्षा और स्वास्थ्य के उपाय शामिल है।
व्यवसाय |
जोखिम |
ईंट मिस्त्री |
सीमेंट त्वक शोथ, अनुचित आसन, भारी वजन |
पत्थर मिस्त्री |
सीमेंट त्वक शोथ, अनुचित आसन, भारी वजन |
पक्की/सख्त टाइल सेट करने वाले |
अनुबंध अभिकर्ताओं से वाष्प, त्वक शोथ, अनुचित आसन |
सुतार |
लकडी की धूल, भारी वजन, बारंबार हलन-चलन |
ड्रायवाल इंस्टालर्स |
प्लास्टर धूल, बांस पर चलना, भारी वजन, अनुचित आसन |
इलेक्ट्रीशियन |
सोल्डर धुएं में भारी धातुएँ, अनुचित आसन, भारी वजन, अभ्रक धूल |
विद्युत पावर स्थापनकर्ता एवं मरम्मतकर्ता |
सोल्डर धुएं में भारी धातुएँ, भारी वजन, अभ्रक धूल |
चित्रकार |
विलायक वाष्प, पिगमेंट में विषाक्त धातुएँ, रंग में मिलाने वाले तत्व |
सजावटकर्ता |
गोंद की वाष्प, अनुचित आसन |
लेपक(प्लास्टर्स |
त्वक शोथ, अनुचित आसन |
नलकारी (पलंबर) |
सीसा का धुआँ और सूक्ष्म कण, वेल्डिंग का धुआँ |
पाइप फिट करने वाले |
सीसा का धुआँ और सूक्ष्म कण, वेल्डिंग का धुआँ, अभ्रक की धूल |
स्टीमफ़िटर |
वेल्डिंग का धुआँ, अभ्रक धूल |
कॉच का काम करने वाले |
अनुचित आसन |
इंशुलेशन कमागार |
अभ्रक,सिंथेटिक फाइबर्स,अनुचित आसन |
फ़र्श सरफेसिंग और टेम्पिंग उपकरण प्रचालक |
डामर उत्सर्जन,पेट्रोल और डीजल इंजन निकास,गर्मी |
छत पर काम करने वाले |
छत टार, गमों, ऊंचाई पर काम करना |
धातु शीट स्थापनकर्ता |
अनुचित आसन, भारी वजन, शोर |
बनावट संबंधी धातु स्थापनकर्ता |
अनुचित आसन, भारी वजन, ऊंचाई पर काम करना |
वेल्डर्स |
वेल्डिंग उत्सर्जन |
टांके लगाने वाला |
धातु का धुआं, सीसा, कैडमियम |
ग्रेडर, बुलडोजर और स्क्रेपर प्रचालक |
सिलिका धूल, पूरे शरीर में कंपन, गर्मी, शोर |
राजमार्ग और सडक निर्माण कामगार |
डामर उत्सर्जन,गर्मी,डीजल इंजन निकास |
ट्रक एवं ट्रेक्टर उपकरण प्रचालक |
पूरे शरीर में कंपन, डीजल इंजन निकास |
डिमोलिशन कामगार |
अभ्रक, सीसा, धूल, शोर |
जोखिमभरे कचरे के कामगार |
गमाँ, तनाव |
स्त्रोत: भारतीय अायुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद,नई दिल्ली।
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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