रागी को भारतीय मूल का माना जाता है और यह उच्च पोषण मान वाला मोटा अनाज होता है, जिसमें 344 मिग्रा/100ग्राम कैल्शियम होता है। दूसरे किसी भी अनाज में कैल्शियम की इतनी अधिक मात्रा नहीं पाई जाती है। रागी में लौह तत्त्व की मात्रा 3.9मिग्रा/100ग्राम होती है, जो बाजरे को छोड़कर सभी अनाजों से अधिक है। रागी खाने की सलाह मधुमेह के रोगियों को दी जाती है। पारंपरिक रूप से रागी का इस्तेमाल खिचड़ी जैसे आहार के रूप में किया जाता है। अब बाजार में एक तुरंत प्रयोग योग्य आहार के रूप में रागी वर्मीसेली उपलब्ध है।
बाजरे का इस्तेमाल कई औद्योगिक उत्पादों में किया जाता है। बाजरे के 100 ग्रा. खाद्य हिस्से में लगभग 11.6 ग्रा. प्रोटीन, 67.5 ग्रा. कार्बोहाइडेट, 8 मि.ग्रा लौह तत्व और 132माइक्रोग्राम कैरोटीन मौजूद होता है, जो हमारी आँखों की सुरक्षा करता है। भले ही इसमें पाइटिक अम्ल, पॉलीफेनॉल और एमाइलेज जैसे कुछ पोषण-निरोधी अवरोधक होते हैं, पर पानी में भिगोने के बाद अंकुरण और अन्य पकाने की विधियों से इसके पोषण-निरोधी तत्त्वों में कमी हो जाती है।
ज्वार नाइजीरिया का प्रमुख भोजन है। ज्वार का औद्योगिक उपयोग अन्य मोटे अनाजों की तुलना में अधिक होता है। इसका उपयोग शराब उद्योग, डबलरोटी उत्पादन उद्योग, गेहूं-ज्वार संयोजन में किया जाता है। व्यापारिक रूप से शिशु आहार बनाने वाले उद्योगों में ज्वार चवली तथा ज्वार सोयाबीन संयोजन का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें 10.4 ग्रा. प्रीटीन, 66.2 ग्रा. कार्बोहाइड्रेट, 2.7 ग्रा. रेशा और अन्य सूक्ष्य तथा वृहत पोषण तत्त्व मौजूद होते हैं।
आहार रेशे को वनस्पति कोशिका के ऐसे घटक के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो हमारे भोजन में मौजूद रहते हैं। आहार रेशों के बड़े लाभ होते हैं। आहार रेशों में पानी सोखने की प्रवृत्ति होती है और ये फूलने (बल्किंग) वाले एजेंट के रूप में कार्य करता है। यह आमाशयांत्र प्रणाली में भोजन की तेज गति को प्रेरित करता है तथा बड़ी आंत में मल के जमा होने की अवधि को कम करता है। यह पित्त लवण से जुड़कर कॉलेस्ट्रॉल की कमी में वृद्धि लाता है तथा हाइपो कॉलेस्ट्रेमिक एजेंट के रूप में कार्य करता है। इसलिए इसका इस्तेमाल हृदय- रक्तवाहिका तंत्र रोगों में लाभदायक होता है। चावल में अन्य अनाजों की तुलना में सबसे कम आहार रेशे होते हैं। ज्वार का आहारीय रेशा 89.2%, बाजरे में 122.3% तथा रागी में 113.5% रेशा मौजूद होता है।
एशिया और अफ्रीका की महिलाओं में कैल्शियम का अंतर्ग्रहण प्रस्तावित मात्रा से कम है। गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान महिलाओं में कैल्शियम की कमी होने से बच्चों की हड्डियाँ कमजोर हो जाती है। इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान अपर्याप्त कैल्शियम लेने से माँ का स्वास्थ्य कमजोर हो जाता है, इस दौरान माँ की हड्डियों के कैल्शियम का इस्तेमाल भ्रूण के विकास और स्तन दुग्ध के निर्माण में होने लगता है। कैल्शियम की कमी के कारण माँ की संचरण प्रणाली पर बुरा असर पड़ता है और उच्च रक्तचाप की समस्या पैदा होती है।
गर्भावस्था के दूसरे अर्धावधि में कैल्शियम का पूरक आहार देने से गर्भावस्था से उत्पन्न उच्च रक्तचाप और प्री-एक्लेम्प्सिया की घटनाओं में कमी आती है.यदि हम मोटे अनाज, रागी और ज्वार के पोषण मानों का विश्लेषण करें, तो पाएंगे कि इनमें कैल्शियम प्रचुर मात्रा में होती है।
मक्का, ज्वार और अन्य मोटे अनाज का उत्पादन भारत के कुल खाद्य उत्पादन का एक चौथाई है तथा यह देश की अर्थव्यवस्था में अहम योगदान देता है। इसके अलावा पारंपरिक पाकविधियों में मोटे अनाजों का इस्तेमाल शिशु आहार बनाने वाले उद्योग तथा अन्य खाद्यपदार्थों के उत्पादन में किया जाता है। ज्वार का इस्तेमाल ग्लुकोज और अन्य पेय निर्माण उद्योग में किया जाता है। अब रागी और गेहूं के मिश्रण से निर्मित वर्मिसेली बाजार में उपलब्ध है, जिसे खाने के लिये तैयार भोजन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
हवा लगाना, सेंकना, अंकुरण, भिंगोने और माल्टिंग जैसी कुछ पारंपरिक विधियों के जरिए मोटे अनाजों के गाढ़ेपन में काफी कमी आ जाती है। गाढ़ेपन में सबसे अधिक कमी माल्टिंग के दौरान आती है। अनाज के अंकुरण के बाद और धूप में सुखाने के बाद अधिकतर अवांछित एंजाइम नष्ट हो जाते हैं। मिश्रण का गाढ़ापन और अमाइलेज की मात्रा, गैर-माल्टेड अनाज मिश्रण से काफी कम होती है। माल्टेड मोटे अनाज, शिशु आहार फार्मूलों और साथ ही बूढ़े व्यक्तियों के पोषण में काफी लाभदायक होते हैं।
मोटे अनाज का पोषण मान (खाद्य हिस्से का 100 ग्रा)
भोजन का नाम |
ऊर्जा kcal |
कैल्शियम m.g. |
लौह तत्त्व m.g. |
बाजरा |
361 |
42 |
8.0 |
ज्वार |
349 |
25 |
4.1 |
मक्का |
342 |
10 |
2.3 |
रागी |
328 |
344 |
3.9 |
कैल्शियम से भरपूर खाद्य वस्तुएँ (खाद्य हिस्से का 100 ग्रा.)
खाद्य वस्तुएँ |
Mg |
रागी |
344. |
अगाथी |
1130 |
करी पत्ता |
830 |
सहजन |
440 |
पोन्नगनी |
510 |
जिंजिली के बीज |
1450 |
भैंस का दूध |
210 |
गाय का दूध |
120 |
चीज़ |
790 |
स्रोत: डॉ टी. विश्वपुष्पम और सुश्री. अमूल्य राव, राष्ट्रीय पोषाहार संस्थान, हैदराबाद
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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