অসমীয়া   বাংলা   बोड़ो   डोगरी   ગુજરાતી   ಕನ್ನಡ   كأشُر   कोंकणी   संथाली   মনিপুরি   नेपाली   ଓରିୟା   ਪੰਜਾਬੀ   संस्कृत   தமிழ்  తెలుగు   ردو

हरी सब्जियों का महत्व

हरी सब्जियों का महत्व

  • पत्तीदार हरी शाक-सब्जियाँ शरीर के उचित विकास एवं अच्छे स्वास्थ के लिए आवश्यक होती है,क्योंकि इसमें सभी जरूरी पोषक तत्व उपस्थित होते हैं ।
  • भारत में कई तरह की हरी सब्जियों को खाया जाता है, इनमे से कुछ हैं पालक, तोटाकुरा, गोंगुरा, मेथी, सहजन की पत्तियाँ और पुदिना आदि।
  • पत्तेवाली सब्जियां लौहयुक्त होती हैं । लौह की कमी से एनीमिया जैसी बीमारी हो सकती है, जो गर्भवती स्तनपान करानेवाली महिलाओं में आम है ।
  • रोज खानेवाले भोजन में हरी पत्तीदार सब्जियों का सेवन एनीमिया को रोकने में सहायक होता है। वह स्वास्थ के लिए लाभदायक भी होता है।
  • हरी पत्तीदार सब्जियों में  कैल्शियम, बीटा कैरोटिन एवं विटामिन सी भी  काफी मात्रा में पाये जाते हैं।
  • भारत में लगभग पांच वर्ष से कम आयुवाले 39,000 बच्चे हर वर्ष  विटामिन ए की कमी से अन्धेपन का शिकार हो जाते हैं।  हरी पत्तीदार सब्जियों में उपस्थित कैरोटिन शरीर में विटामिन ए में परिवर्तित हो जाता है, जिससे अन्धेपन को रोका जा सकता है ।
  • हरी सब्जियों में विटामिन सी को बचाये रखने के लिए उन्हें ज्यादा देर तक पकाना अनुचित है, क्योंकि पोषक तत्व जो मसूड़े को शक्ति प्रदान करते हैं, अधिक पकाने से नष्ट हो जाते हैं।
  • हरी सब्जियों में विटामिन बी कॉम्पलेक्स भी पाया जाता है।
  • हरी पत्तीदार सब्जियाँ प्रतिदिन वयस्क महिलाओं के लिए 100 ग्राम, वयस्क पुरुषों के लिए 40 ग्राम, स्कूल न जान वाले बालकों के लिए (4-6 वर्ष) 50 ग्राम और 10 वर्ष से अधिक उम्र वाले बालक-बालिकाओं के लिए 50 ग्राम प्रतिदिन आवश्यक है।

हरी पत्तीदार सब्जियों का पौष्टिक रूप से महत्व

  • ऐसा माना जाता है कि हरी पत्तीदार सब्जियों के सेवन से बच्चों में अतिसार  हो सकता है। इसलिए अधिकांश माताएं अपने बच्चों को इस पोषक तत्व को देने से परहेज करती हैं। कई बैक्टीरिया, कीटाणु, कीट एवं अनचाही वस्तु हरी पत्तीदार सब्जियों को पानी एवं मिट्टी के द्वारा दूषित कर देते हैं और ठीक तरह से सफाई न किये जाने पर ये सब्जियां अतिसार का कारण बन सकती हैं। इसलिए सभी हरी पत्तीदार सब्जियों को दूषित होने से रोकने के लिए उन्हें अच्छी तरह से  पानी से धोना चाहिए ताकि अतिसार से बचा जा सके।
  • हरी पत्तीदार सब्जियों को अच्छी तरह से मिलाकर, पका कर एवं छान कर ही बच्चों को परोसना चाहिए।  हरी पत्तीदार सब्जियों  के पोषण को बनाये रखने के लिए उन्हें अधिक पकाने से परहेज करना चाहिए। हरी पत्तीदार सब्जियों को पकाने के बाद उनसे निकलनेवाले पानी को फेंकना नहीं चाहिए।  हरी पत्तीदार सब्जियों को पकाने में इस्तेमाल किये जानेवाले बर्तन को हमेशा ढ़ंक कर ही रखना चाहिए। पत्तों को सूर्य की रोशनी में न सूखायें, क्योंकि इससे केरोटिन नष्ट हो जाता है। साथ ही पत्तों को अधिक न भूनें ।
  • हरी पत्तीदार सब्जियों के पोषण देने की क्षमता को उनकी कीमत से नापना उचित नहीं है। परन्तु अधिकांश लोग सस्ती वस्तुओं को कम पोषक समझ कर उनका सेवन नहीं करते हैं। सस्ता होने के बावजूद भी हरी पत्तीदार सब्जियों में काफी पोषक तत्व होते हैं और यह सबके लिए महत्वपूर्ण है।
  • हरी सब्जियों की खेती को बढ़ावा देना चाहिए, ताकि वे सालभर उपलब्ध रहें। किचेन गार्डेन, छत और स्कूल के बगान हरी सब्जियों की खेती के लिए उचित स्थान हैं। सहजन की पत्ती और अगाथी की पत्ती का सेवन करना चाहिए और यह आसानी से उपलब्ध भी हो जायेगा अगर एक बार घर के पिछवाड़े में इसे लगा दिया जाये।

सामान्य तौर पर खायी जानेवाली हरी पत्तीदार सब्जियों का पौष्टिक रूप से महत्व

पौष्टिक आहार

पुदीना

चौलाई

पालक साग

सहजन की पत्ती

धनिया पत्ता

गोगू

कैलोरी

48

45

26

92

44

56

प्रोटीन (ग्राम)

4.8

4.0

2.0

6.7

3.3

1.7

कैल्सियम (मिग्रा)

200

397

73

440

184

1720

आयरन (मिग्रा)

15.6

25.5

10.9

7.0

18.5

2.28

कैरोटीन (यूग्राम)

1620

5520

5580

6780

6918

2898

थाइमिन (मिग्रा)

0.05

0.03

0.03

0.06

0.05

0.07

रेबोफ्लेविन(मिग्रा)

0.26

0.30

0.26

0.06

0.06

0.39

विटामिन सी (मिग्रा)

 

27.0

99

28

220

135

20.2

रक्त में मधुमेह एवं कोलेस्टेरॉल के स्तर को घटाने में उपयोगी

रक्त में मधुमेह एवं कोलेस्टेरॉल के स्तर को घटाने के लिए मेथी के दानों का प्रयोग

मधुमेह और हृदय रोग आजकल काफी आम बीमारी हो गई है । रक्त में चीनी और चर्बी की वृद्धि से ही कई रोग होते हैं । हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय पोषण संस्थान (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रीशन) ने अपने शोध में पाया है कि मेथी इन दोनों बीमारियों में काफी उपयोगी है। इन बीमारियों से पीड़ित लोगों के इलाज में मेथी के बीज काफी उपयोगी होते हैं। कितना और कैसे मेथी का सेवन  करें और इसे लेते समय क्या सावधानियां बरती जानी चाहिए इसका उल्लेख नीचे किया जा रहा है -

  • मेथी के बीज को खाना पकाने में इस्तेमाल किया जाता हैं और यह राशन के दुकानों में असानी से उपलब्ध रहता है ।
  • रेशा की मात्रा अधिक होने के कारण मधुमेह में मेथी लाभदायक है । यह रक्त एवं पेशाब में चीनी की मात्रा और कोलस्टेरॉल की मात्रा को कम करता हैं । कच्चे एवं पके मेथी में यह गुण मौजूद है ।
  • मेथी के पत्तों में (मेथी साग) ये गुण नहीं पाये जाते हैं ।
  • मेथी के बीज की मात्रा मधुमेह एवं कोलेस्टेरॉल के स्तर पर निर्भर होता है। इसे 25 ग्राम से 50 ग्राम तक की मात्रा में लिया जा सकता है।
  • शुरुआत में 25 ग्राम मेथी के बीज प्रतिदिन 12.5 ग्राम के हिसाब से दो-दो बार दोपहर और रात को खाने के साथ लिया जा सकता है।
  • रात भर पानी में भिंगो कर या पाउडर के रूप में दूध ,पानी या मक्खनवाले  दूध या छाँछ में मिलाकर मेथी के बीज का सेवन, भोजन करने के 15 मिनट पहले करना चाहिए ।
  • मेथी के बीज के कड़वेपन को कई विधियों से कम किया जा सकता है। वर्तमान में कड़वा रहित मेथी के बीज बाजार में उपलब्ध नहीं हैं।
  • रातभर पानी में भींगोकर रखनेवाले मेथी बीज के गुद्दे या पाउडर को रोटी, दही, दोसा, इडली, पोंगल, उपमा, दलिया, ढोकला, दाल या सब्जी में मिलाया जाता है । इन व्यंजनों में मेथी का कड़वापन भी कुछ हद तक कम हो जाता है । इन व्यंजनों को स्वादानुसार नमकीन या खट्टा बनाया जा सकता है।
  • मेथी तब तक ही लेना चाहिए, जब तक रक्त और पेशाब में चीनी की मात्रा बढी हुई हो ।
  • मेथी के बीज के सेवन के साथ रोजाना शारीरिक कसरत जैसे -टहलना काफी लाभदायक होता है। शरीर के वजन में कमी भी इन्सुलिन के कार्य को संतुलित करती है । अतः वसा का सेवन कम करना चाहिए। कुछ रोगियों में मेथी के उपयोग से शुरुआती दिनों में गैस या डायरिया की समस्या भी हो जाती है ।
  • मधुमेह के इलाज में मेथी का सेवन केवल आहार संबंधी सहायक चिकित्सा के रूप में लेना चाहिए और प्रति मधुमेह चिकित्सा को जारी रखना चाहिए। हालाँकि मेथी के प्रयोग से प्रति मधुमेह दवाओं की आवश्यकता में कमी की जा सकती है। लेकिन अपने मन से दवा के डोज को बढ़ाने या घटाने की सलाह नहीं दी जाती है। आपके डॉक्टर ही आपके स्थिति को देख कर दवा की उचित खुराक के बारे में जानकारी दे सकते हैं । मधुमेह की गम्भीर स्थिति में डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।

स्त्रोत: राष्ट्रीय पोषण संस्थान,हैदराबाद,भारत

अंतिम बार संशोधित : 3/4/2020



© C–DAC.All content appearing on the vikaspedia portal is through collaborative effort of vikaspedia and its partners.We encourage you to use and share the content in a respectful and fair manner. Please leave all source links intact and adhere to applicable copyright and intellectual property guidelines and laws.
English to Hindi Transliterate