7-8 माह के बच्चों के लिए कौन सी चीज़ें खाने योग्य होती हैं- |
7-8 माह के बच्चों के लिए कौन सी चीज़ें खाने योग्य नहीं होती हैं- |
खिचड़ी |
बिस्कुट |
गाढ़ी दाल |
दाल का पानी |
हरी सब्जी |
चाय |
खाने वाला तेल |
डिब्बे वाला दूध |
फल |
भैंस का दूध |
दही |
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दूध/पनीर |
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कलेजी |
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अंडा |
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बकरे का मांस |
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मुर्गे का मांस |
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मछ्ली |
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पपीता |
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तन्दुरुस्त रहने के लिए हमें विभिन्न खाद्य पदार्थों से अलग-अलग तरह का पोषण मिलता है।
अनाज |
अनाज से हमें कार्बोहाईड्रेट मिलता है। कार्बोहाईड्रेट से हमें ताकत मिलती है। और हमारा शरीर गरम रहता है। अनाज से हमें थोड़ा प्रोटीन भी मिलता है। |
दालें, फलियां और सूखे मेवे (बादाम, अखरोट, मूंगफली आदि) |
दालों, फलियों और सूखे मेवे से हमें प्रोटीन मिलता है। हमारे शरीर में हड्डियाँ, मांस और अंग प्रोटीन से बने होते है। प्रोटीन हमें संक्रमण और बीमारियों से भी बचाता है। मेवे जैसे कि बादाम, अखरोट, मूंगफली से तो कई तरह के विटामिन, खनिज और जिंक भी मिलता है। |
पीले/नारंगी सब्जियाँ एवं फल |
जो लोग अन्डा या मांस नहीं खाते उनके लिए विटामिन-ए का मुख्य स्त्रोत पपीता, गाजर, आम, कद्दू जैसे पीले/नारंगी सब्जियाँ एवं फल होते। है। टमाटर लाल/पीले हो सकते हैं पर उनमें विटामिन-ए नहीं होता। विटामिन-ए से हमें रात को देखने की क्षमता मिलती है। इस के अलावा विटामिन-ए हमें विभिन्न संक्रमणों जैसे कि निमोनिया, दस्त, खसरा से भी बचाता है और बीमार पड़ने पर बीमारी को गंभीर नहीं होने देता। |
हरी पत्तेदार सब्जियाँ |
हरी पत्तेदार सब्जियां हमारे लिए आयरन (लौह तत्व), विटामिन-ए और विटामिन-बी का अच्छा स्रोत होती हैं। आयरन हमारे शरीर में खून बनाने के लिए जरूरी होता है। इसी तरह विटामिन-बी के सारे प्रकार खून बनाने से लेकर शरीर के अंदर के कार्यों के लिए बहुत जरूरी होते हैं। |
खाने वाला तेल |
शरीर में ऊर्जा बनाने हेतु किसी भी खाने वाले तेल में काफी मात्रा में ऊर्जा होता है। इन्हें थोड़ा-थोड़ा खाने से भी हमें काफी उर्जा मिल जाती है। |
विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों से हमें अलग-अलग तरह का पोषण मिलता है जो शरीर को ताकतवर और रोगमुक्त रखता है।
दूध, दही |
जो लोग मांसाहारी नहीं हैं उनको दूध, दही और दूध के उत्पादों से भी अच्छी गुणवत्ता वाला प्रोटीन मिलता है। ये विटामिन-ए, विटामिन-डी और कैल्शियम के अच्छे स्त्रोत है। तंदुरूस्त हड़डियों के लिए विटामिन-डी और कैल्शियम अनिवार्य होता है। |
अन्य प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ |
ऐसे परिवार जो मांसाहारी हैं वह घर में खाये जानेवाले सभी खाद्य पदार्थ शिशु को खिला सकते हैं। इन पदार्थों से अच्छी पदार्थ मात्रा और गुणवत्ता वाला प्रोटीन, विटामिन ‘ए’ और ‘डी’ मिलता है। शिशु को दिया जाने वाला भोजन ठीक प्रकार से पका हुआ, मुलायम और अर्ध ठोस होना चाहिए। |
विभिन्न कारणों की वजह से बच्चों को किसी वयस्क के मुकाबले में अधिक पोषण की जरूरत होती है जैसे किः
विभिन्न कारणों की वजह से बच्चों को किसी वयस्क के मुकाबले में अधिक पोषण की जरूरत होती है जैसे किः
इसी तरह कोख में पल रहे बच्चे के लिए गर्भवती माता को भी अधिक पोषण की जरूरत होती है।
यह सुनिश्चित करना की घर में उपलब्ध सभी चीजें बच्चे को खिलाएँ
बच्चे के भोजन में विविधता लाने के लिए परिवारों को मदद करने के तीन नियम हैं:
घर में पका हर प्रकार का भोजन थोड़ा-थोड़ा खिलाने की सलाह दें। ऐसी किसी भी चीज की सलाह न दें जो घर में उपलब्ध न हो।
किसी भी समय बच्चे को खिलाते समय उसके खाने में नीचे लिखी चीजों में से कम से कम चार प्रकार की वस्तुएँ होनी चाहिए:
जैसे-जैसे बच्चे के दांत आने लगे और वह खाना चबाने लगे तो उसे कम मुलायम खाना भी दिया जा सकता है। पर चना या मूंगफली जैसी चीजें ना दें क्योंकि ये उसके गले में फंस सकती हैं।
किस उम्र में बच्चे के भोजन में विविधता बढ़ाई जा सकती है?
हर खाने में भोजन के विभिन्न प्रकारों को बढ़ाएँ:
हर खाने के बीच वाले समय में कुछ नाश्ता भी खिलाएँ।
भोजन में बच्चे को सभी तरह की चीजें खिलाई जायें, इसके लिए कब-कब गृहभेंट करनी चाहिए?
खाने में विविधता लाने पर बात करने के लिए ज्यादा से ज्यादा अवसर बनाएँ:
ऊपरी आहार प्रदर्शन विधिः
शरीर को सम्पूर्ण विकास के लिए संतुलित और पौष्टिक भोजन की आवश्यकता होती है। आहार को पौष्टिकता प्रदान करने वाले विभिन्न तत्व जैसे कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन, विटामिन, मिनरल्स और फायबर आदि होते हैं। कार्बोहाइड्रेट से एनर्जी, प्रोटीन से मांसपेशियों का निर्माण, वसा से ऊर्जा, मिनरल और विटामिन्स शरीर के दूसरे कामों में सहायता करते हैं।
विटामिन ए अनेक कार्बनिक कंपाउंड से मिलकर बना है जिसमें मुख्य हैं रेटिनौल और थाईरिमीन।
इस विटामिन का काम शरीर की त्वचा, बाल, नाखून, दाँत, मसूड़े, मांसपेशियाँ और हड्डी को ताकत देना है। ब्लड में कैल्शियम का संतुलन भी इसी विटामिन से होता है। इसकी कमी होने से सबसे ज्यादा आँखें प्रभावित होती हैं।
विटामिन ए के लिए चुकंदर, गाजर, पनीर, दूध,टमाटर, हरी सब्जियाँ, पीले रंग के फल आदि अपने भोजन में शामिल करें।
विटामिन बी का मुख्य काम हमारी पाचनक्रिया को स्वस्थ रखना है।
इस विटामिन की कमी से पेट संबंधी परेशानियाँ जैसे भूख न लगना, दस्त आदि हो सकते हैं। नसों में सूजन और बेरी-बेरी रोग की संभावना भी हो जाती है। मांसपेशियाँ कमजोर हो जाती हैं और पैरालिसिस या हार्टफेल भी हो सकता है।
विटामिन बी के लिए खमीर, चावल की भूसी, चोकर, दालों के छिलके, अंकुरित अनाज के अतिरिक्त दूध, ताजी सब्जी, आटा, सहजन, गाजर, चुकंदर, मूंगफली, अदरक, किशमिश, केला, खीरा व काजू को अपने भोजन में शामिल करें।
विटामिन बी के कई रूप हैं जैसे विटामिन बी1, बी2, बी3, बी5, बी6, बी7, बी9 और विटामिन बी 12 हैं।
एस्कार्बिक ऐसिड के नाम से मशहूर विटामिन सी शरीर की कोशिकाओं को स्वस्थ रखने के साथ ही शरीर की इम्यूनिटी की भी रक्षा करता है।
आंवले के साथ ही यह कुछ फलों और सब्जियों में भी विटामिन सी अच्छी मात्रा में पाया जाता है। संतरा, अन्नानास, अनार, आम आदि जैसे फल और नींबू, शकरकंद, मूली, बैंगन और प्याज जैसी सब्जियों में भी यह पाया जाता है, जिसे आप अपने भोजन में जरूर शामिल करें।
विटामिन सी की कमी से स्कर्वी रोग की संभावना हो जाती है जिसके कारण शरीर में हर समय थकान, मांसपेशियों में कमजोरी, जोड़ों में दर्द, मसूड़ों से खून आने और पैरों में लाल निशान जैसी परेशानियाँ हो जाती हैं। इसके अलावा शरीर की इम्यूनिटी कमजोर हो जाने से छोटी-छोटी बीमारियाँ और खांसी, जुकाम, मुंह के रोग, दाँत व त्वचा के रोग, पेट में अल्सर आदि परेशानियाँ हो सकती हैं।
विटामिन डी, शरीर में कैल्शियम और फास्फोरस को जज़्ब करने में मदद करता है। इससे हड्डियाँ मजबूत रहती हैं। यह बच्चों के विकास के लिए बहुत जरूरी है।
बच्चों के शरीर में विटामिन डी की कमी हो जाए तो वो रिकेट्स और पूर्ण विकसित व्यक्ति के शरीर में ओस्टियोपोर्रोसिस रोग हो जाता है जिससे हड्डियाँ पतली और कमजोर हो जाती हैं।
विटामिन डी का सबसे अच्छा सोर्स सूरज की किरनें हैं। इसके अलावा दूध, मलाई, मक्खन, मूँगफली और तिल को अपने भोजन में शामिल करें, और बीमारियों से बचें।
वसा में घुलने वाला यह विटामिन ई एंटी-औक्सीडेंट के रूप में इम्यूनिटी बढ़ाने के साथ ही शरीर में एलर्जी से बचाव और कोलेस्ट्रॉल को भी संतुलित करता है।
इस विटामिन के आठ रूप होते हैं। ब्लड में लाल रक्त कण का निर्माण के साथ ही शरीर के सभी अंगों को सामान्य बनाए रखने में भी मदद करता है और फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से भी बचाता है। स्किन और बालों का स्वास्थ्य और सौंदर्य भी इसी के कारण ही होता है। इस विटामिन की कमी के कारण शरीर में प्रजनन शक्ति में कमी हो जाती है, व्यक्ति पर उम्र का असर भी जल्दी हो जाता है।
विटामिन ई को शरीर में पहुंचाने के लिए अंडे, हरी पत्तेदार सब्जी, अनाज और छिलके वाले सब्जियों को अपने भोजन में प्रचुर रूप से शामिल करें।
शरीर में ब्लड को गाढ़ा करके जमाने का काम विटामिन के ही करता है। इस विटामिन की कमी से ब्लड की क्लोटिंग नहीं हो पाती है और खून का बहाव रोकना मुश्किल हो जाता है। यह लीवर को स्वस्थ भी रखता है।
इस विटामिन की शरीर में बहुतायत रखने के लिए छिलकेदार अनाज और हरी सब्जियों को भोजन में शामिल करें।
इनके साथ, विटामिन एफ, बी 15, फ़ौलिक ऐसिड, निकोटिनमाइड़ विटामिन शरीर के लिए खास महत्व नहीं रखते हैं। किन्तु, अगर नियमित रूप से हरी सब्जियाँ, अंकुरित अनाज, दूध और फलों का सेवन किया जाए तो शरीर में हमेशा विटामिन की पूर्ति बनी रहेगी।
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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