भूमिका
गर्भवती महिलाओं के लिए नौ जून को एक नई स्वास्थ्य योजना प्रधान मंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) शुरू की है । इस स्वास्थ्य योजना की मदद से मातृ व शिशु मृत्यु दर को कम किया जा सकता है I स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, सहस्त्राब्दि विकास लक्ष्य (एमडीजी) 5 के तहत, भारत में 1990 की 560 प्रति एक लाख मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) को नीचे लाते हुए 2015 में 140 प्रति 1,00,000 तक लाने का लक्ष्य था । यूनिसेफ के मुताबिक, 55,000 से ज्यादा गर्भवती महिलाएं प्रसव के वक्त अपनी जान गंवा देती हैं । इसे समय-समय पर मेडिकल फॉलो-अप और जांच के जरिए रोका जा सकता है । यह सरकार के चिंताजनक होने के साथ ही प्राथमिकता का मामला है । इस बात की पुष्टि केंद्र सरकार की ओर से गर्भवती महिलाओं की जरूरतों के मुताबिक शुरू की गई कुछ योजनाओं के जरिए होती है ।
अभियान के लक्षित लाभार्थी
यह कार्यक्रम उन सभी गर्भवती महिलाओं को लक्षित करता है जो गर्भावस्था के 2 और 3 ट्राइमेस्टर में हैं। पीएमएसएमए योजना के तहत, सभी सरकारी अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्र हर महीने की नौ तारीख को सभी गर्भवती महिलाओं की निशुल्क चिकित्सा जांच करेंगे ।
पीएमएसएमए कार्यक्रम के तहत उपलब्ध सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाएँ
ग्रामीण क्षेत्रों में
- प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, ग्रामीण अस्पतालों, उप - जिला अस्पताल, जिला अस्पताल, मेडिकल कॉलेज अस्पताल
- शहरी क्षेत्रों में
- शहरी औषधालयों, शहरी स्वास्थ्य पोस्ट, प्रसूति घर
प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) का उद्देश्य
आम तौर पर, जब एक महिला गर्भवती होती है तो वह विभिन्न प्रकार की बीमारियों जैसे रक्तचाप, शुगर और हार्मोनल रोगों से ग्रस्त हो जाती हैं । इस योजना के तहत गर्भवती महिलाओं के लिए अच्छे स्वास्थ्य और स्वतंत्र जांच प्रदान करने के साथ स्वस्थ बच्चे को जन्म देने का प्रयास है ।
- गर्भवती महिलाओं के लिए एक स्वस्थ जीवन प्रदान किया जाएगा ।
- मातृत्व मृत्यु दर को कम किया जाएगा ।
- गर्भवती महिलाओं को उनके स्वास्थ्य के मुद्दों / रोगों के बारे में जागरूक किया जाएगा ।
- बच्चे के स्वस्थ जीवन और सुरक्षित प्रसव को सुनिश्चित किया जाएगा ।
- प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान की मुख्य विशेषताएं -
- यह योजना केवल गर्भवती महिलाओं के लिए लागू है ।
- हर महीने की 9 तारीख को नि: शुल्क स्वास्थ्य जांच होगी ।
- इस योजना के तहत सभी प्रकार की चिकित्सा जांच पूरी तरह से मुफ्त हैं ।
- टेस्ट चिकित्सा केन्द्रों, सरकारी और निजी अस्पतालों और देश भर के निजी क्लीनिक में लिए जायेंगे ।
- महिलाओं को उनके स्वास्थ्य समस्याओं के आधार पर अलग चिह्नित किया जाएगा जिससे डॉक्टर आसानी से समस्या का पता लगा सकते हैं ।
भारत सरकार ने इस योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को सभी प्रकार की चिकित्सा सहायता निःशुल्क प्रदान करने का निश्चय किया है ।
प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के लिए पात्रता
- यह योजना केवल गर्भवती महिलाओं के लिए लागू है ।
- योजना उन महिलाओं के लिए है जो शहरी क्षेत्रों या अर्ध-शहरी क्षेत्रों से नहीं हैं ।
- ग्रामीण इलाकों से गर्भवती माताओं को इस नि: शुल्क स्वास्थ्य देखभाल लाभ प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया जाएगा ।
- गर्भावस्था के 3 से 6 महीने में महिलाएं इस प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) का लाभ लेने के लिए पात्र होंगी ।
पीएमएसएमए कार्यक्रम के तहत उपलब्ध सेवाएँ
- प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) के तहत सुविधा व सेवा के लिए आने वाले लाभार्थियों के पंजीकरण के लिए अलग रजिस्टर होगी ।
- पंजीकरण के बाद, एएनएम व एसएन सुनिश्चित ये करता है कि लाभार्थी महिला विशेषज्ञ/ चिकित्सा अधिकारी द्वारा जांच पूर्व सभी बुनियादी प्रयोगशाला जांच हो चुकी हैं । जांच की रिपोर्ट डॉक्टरों को लाभार्थियों के मिलने के समय से एक घंटे के पहले सौंप दिया जाना चाहिए । इस परीक्षण से समय में उच्च जोखिम स्थिति (एनीमिया, गर्भावधि मधुमेह, उच्च रक्तचाप, संक्रमण आदि) की पहचान सुनिश्चित करेगा और उचित परामर्श संभव होगा ।
- कुछ परिस्थितियों में, जहां अतिरिक्त जांच की आवश्यकता हैं उसमें लाभार्थियों को जांच की सलाह दी जाती है और प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत अगले एएनसी जांच अथवा रूटीन जाँच के दौरान रिपोर्ट साझा करने के लिए सलाह दी जाती है ।
- लैब जांच - यूएसजी, और सभी बुनियादी जांच - एचबी, मूत्र एल्ब्यूमिन, आरबीएस (डिप स्टिक), रैपिड मलेरिया परीक्षण, रैपिड वीडीआरएल परीक्षण, रक्त समूह, सीबीसी ईएसआर, यूएसजी इत्यादि ।
प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान(पीएमएसएमए) के तहत निम्नलिखित विशिष्ट सेवाओं को प्रदान किया जाएगा इस प्रकार हैं -
- सभी लाभार्थियों का एक विस्तृत इतिहास लिया जाना है और परिक्षण और मूल्यांकन किसी भी खतरे के संकेत, जटिलताओं या किसी उच्च जोखिम की स्थिति को जानने के लिए आवश्यक है ।
- एएनसी जाँच के दौरान प्रति लाभार्थी रक्तचाप, पेट की जाँच और भ्रूण के दिल की आवाज़ की जांच किया जाना चाहिए ।
- यदि सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधा के लिए आयी महिला को अगर किसी विशिष्ट जांच की आवश्यकता है, तो जाँच के लिए नमूना लेकर और परीक्षण के लिए उचित केंद्र तक ले जाया जाना चाहिए । एएनएम / एमपीडबल्यू को एकत्र नमूना को जाँच हेतु भेजने और गर्भवती महिलाओं तक परिणाम को बताने और आवश्यक फॉलोअप के लिए जिम्मेदार होना चाहिए ।
- प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान(पीएमएसएमए) के तहत एएनएम / स्टाफ नर्स द्वारा जांच के बाद चिकित्सा अधिकारी के द्वारा भी सभी आये हुए लाभार्थियों की जाँच करनी चाहिए ।
- सभी चिन्हित उच्च जोखिम गर्भवती महिला को उच्च सुविधाओं के लिए रेफर करना है और जेएसएसके(जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम) मदद डेस्क जो इन सुविधाओं को मुहैया कराने हेतु स्थापित किया गया है वो महिलाओं को इन सुविधाओं तक पहुँचने के लिए जिम्मेदारी लेंगे I एमसीपी कार्ड सभी लाभार्थियों को जारी किया जाएगा ।
- सभी उच्च जोखिम(जटिलताओं सहित) के तहत चिन्हित की गयी महिलाओं को प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ/ कॉम्प्रेहेंसिव इमरजेंसी प्रसूति केयर सेंटर / बेसिक इमरजेंसी प्रसूति केयर सेंटर विशेषज्ञ) द्वारा इलाज किया जाएगा। यदि आवश्यक हो, इस तरह के मामलों में उच्च स्तर की सुविधा के लिए रेफरल पर्ची के साथ भेजा जायेगा और इस पर्ची में संभावित निदान और उपचार दिया को लिखा जायेगा ।
- गर्भावस्था के द्वितीय अथवा तृतीय माह के दौरान सभी गर्भवती महिलाओं के लिए एक अल्ट्रासाउंड सिफारिश की गयी है । यदि आवश्यक हो, यूएसजी सेवाएँ पीपीपी मोड में उपलब्ध कराई जाएगी और व्यय को जेएसएसके(जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम) के तहत बुक किया जायेगा ।
- प्रत्येक गर्भवती महिलाओं को इन सुविधाओं को छोड़ने के पूर्व पोषण, आराम, सुरक्षित यौन संबंध, सुरक्षा, जन्म की तैयारियां, खतरे की पहचान, संस्थागत प्रसव और प्रसवोत्तर परिवार नियोजन (पीपीएफपी) आदि विषयों में जानकारी व्यक्तिगत अथवा समूह में दी जाएगी I
- इन क्लीनिकों पर एमसीपी कार्ड अनिवार्य रूप से भरे जाने चाहिए और एक स्टीकर जो गर्भवती महिलाओं की हालत और जोखिम कारक का संकेतक है प्रत्येक विजिट के लिए उसे एमसीपी कार्ड पर जोड़ा जायेगा -
- ग्रीन स्टीकर – उन गर्भवती महिलाओं के लिए जिनको किसी प्रकार का खतरा नहीं है
- लाल स्टीकर - महिलाओं के लिए जो उच्च जोखिम गर्भावस्था के साथ है
- ब्लू – उन महिलाओं के लिए जिनको गर्भावस्था के साथ उच्च रक्तचाप(हाइपरटेंशन) है
- पीला - उन महिलाओं के लिए जिनको गर्भावस्था के साथ मधुमेह, हाइपोथायरायडिज्म, एसटीआई की स्थिति है I
प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान से लाभ
- पीएमएसएमए योजना के तहत, सभी सरकारी अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्र हर महीने की नौ तारीख को सभी गर्भवती महिलाओं की निशुल्क चिकित्सा जांच करेंगे । इस जांच में हीमोग्लोबिन की जांच, खून की जांच, शुगर के स्तर की जांच, ब्लड प्रेशर, वजन और अन्य सामान्य जांचें की जाएगी ।
- जब गर्भ तीन से छह महीने का हो तो महिलाएं सरकारी अस्पताल या स्वास्थ्य केंद्र या किसी संबद्ध प्राइवेट अस्पताल में नियमित जांच के लिए संपर्क कर सकती हैं । प्रधान मंत्री ने प्राइवेट डॉक्टरों से पीएमएसएमए योजना से जुड़ने और अपनी सेवाएं देने की अपील की है ।
- इस प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) योजना के अनुसार, गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान उनके स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में जानकारी मिलेगी ।
- नियमित जांच से गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं की संभावना कम होगी ।
- अलग अलग रंग की स्टिकर डॉक्टरों को अपने विभिन्न रोगियों का इलाज करने के लिए आसान कर देगा ।
- यह भारत सरकार द्वारा दी गई पूरी तरह से नि: शुल्क स्वास्थ्य सुविधाएं हैं ।
- गर्भवती महिलाएं, खासकर आर्थिक तौर पर कमजोर तबकों की महिलाएं आम तौर पर कुपोषित होती हैं उन्हें गर्भधारण के दौरान महत्वपूर्ण पोषक तत्व भी नहीं मिलते । इसका नतीजा अक्सर यह होता है कि बच्चे किसी न किसी विकार के साथ पैदा होते हैं । साथ ही कुपोषण से पीड़ित होते हैं ।
- यदि गर्भवती महिलाओं की समय-समय पर निगरानी की जाए तो नवजात शिशुओं में आने वाले कई विकारों को दूर किया जा सकता है । गरीबी और जागरुकता नहीं होने से, कमजोर तबकों की ज्यादातर महिलाएं समय पर चिकित्सकीय सलाह और देखरेख का लाभ नहीं उठाती । पीएमएसएमए से यह सुनिश्चित होगा कि सभी गर्भवती महिलाओं की हर महीने की नौ तारीख को मुफ्त चिकित्सकीय जांच होगी । वह देश के किसी भी सरकारी अस्पताल या प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में जाकर यह जांच करवा सकती हैं ।
- नियमित फॉलो-अप लेने पर, यह कदम निश्चित तौर पर विकारों के साथ जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या में कमी ला सकता है । निस्संदेह, चिकित्सकीय जांच के बाद उचित स्वास्थ्य निगरानी होनी चाहिए । इसके अलावा, आहार और पोषक पूरक तत्वों की जरूरत के मुताबिक उपलब्धता भी सुनिश्चित होती है । ज्यादातर महिलाएं तो दो वक्त की रोटी के लिए तरसती हैं, ऐसे में पर्याप्त पोषण और जरूरतों की पूर्ति उनके लिए मुश्किल ही प्रतीत होती है । एक बड़ी वजह यह भी है कि कई महिलाएं घर के कामकाज में इतनी व्यस्त रहती है कि अपने स्वास्थ्य की देखभाल ही नहीं करती ।
- पीएमएसएमए योजना के घटक अन्य सरकारी योजनाओं को समर्थन देती है । खासकर जननी सुरक्षा योजना, जिसमें गर्भवती महिलाएं सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों और कुछ संबद्ध निजी अस्पतालों में मुफ्त प्रसव की सुविधा प्राप्त कर सकती है ।
- सरकार प्रसव-पूर्व और प्रसव के बाद की देखरेख की सुविधाओं पर जितना खर्च कर रही है, उसमें कमी लाई जा सकती है । इसके लिए गर्भवती महिलाओं की नियमित जांच करवानी होगी । उन्हें समय पर उचित पोषण उपलब्ध कराना होगा ।
- ब्लडप्रेशर, हिमोग्लोबिन, यूरिन, शुगर, वजन जैसी जांचें शीघ्र तथा निशुल्क होंगी तथा रिपोर्ट के आधार पर स्त्री रोग विशेषज्ञ अथवा चिकित्सक का परामर्श भी निशुल्क प्राप्त होगा । विशेष जांच सेवाएं एचआईवी, सिफलिस, पीएचसी स्तर पर तथा हाइपोथयराइडिस जांच जिला स्तरीय चिकित्सा संस्थानों पर की जाएंगी । विशेषज्ञ की सलाह पर संस्थान पर उपलब्ध सोनोग्राफी सेवाएं प्रदान की जाएंगी ।
- चिकित्सा संस्थानों पर आयोजन को सफलतापूर्वक क्रियान्वित करने के लिए चिकित्सा अधिकारी प्रभारी जिम्मेदार होंगे । उनको चिकित्सा संस्थान के मुख्य स्थानों ओपीडी, आईपीडी, एएनसी कक्ष बाहर की और प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व दिवस का आयोजन दिनांक समय ऑयल पेंट से लिखवाना होगा । चिकित्सा संस्थानों पर निर्धारित कक्ष में प्रसव पूर्व जांच के लिए प्रयुक्त उपकरण हार्ट मॉनिटर, परिक्षण टेबल, साइड पर्दा, खिड़की पर पर्दा, वॉशबेसिन, लिक्विड सोप, रनिंग वाटर की व्यवस्था करनी होगी ।
- योजना से भारत में मातृत्व मृत्यु दर कम हो जाएगी ।
स्रोत: स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार