অসমীয়া   বাংলা   बोड़ो   डोगरी   ગુજરાતી   ಕನ್ನಡ   كأشُر   कोंकणी   संथाली   মনিপুরি   नेपाली   ଓରିୟା   ਪੰਜਾਬੀ   संस्कृत   தமிழ்  తెలుగు   ردو

मलेरिया रोग-कारण एवं निवारण

मलेरिया क्‍या है?

यह एक प्रकार का बुखार है जो ठण्‍ड या सर्दी (कॅंपकपी) लग कर आता है। मलेरिया रोगी का रोजाना या एक दिन छोडकर तेज बुखार आता है।

मलेरिया का कारण?

मलेरिया का कारण है मलेरिया परजीवी कीटाणु जो इतने छोटे होते है कि उन्हें सिर्फ माइकोस्‍कोप ही देखा जा सकता है। ये परजीवी मलेरिया से पीडित व्‍यक्ति के खून मे पाये जाते है। इनमें मुख्‍य है -

1.  प्‍लाजमोडियम वाइवैक्‍स

2.  प्लाजमोडियम फैल्‍सीफेरम

कौन सा मच्‍छर मलेरिया फैलाता है?

मलेरिया मादा एनोलीज जाति के मच्‍छरों से मलेरिया का रोग फैलता है।

मलेरिया केसे फैलता है्?

मलेरिया जीवन चक्र के दो प्रवाह होते है, जिससे यह रोग बहुत तेजी से फैलता हैः-

प्रथम प्रवाह

(संक्रमित मच्‍छर से......... स्‍वस्‍थ मनुष्‍य को)

जब संक्रमित मादा एनोलीज मच्‍छर किसी स्‍व‍स्‍थ्‍य व्‍यक्ति को काटता है तो वह अपने लार के साथ उसके रक्‍त मे मलेरिया परजीवियो को पहूंचा देता है। संक्रमित मच्‍छर के काटने के 10-12 दिनों के बाद उस व्‍यक्ति मे मलेरिया रोग के लक्षण प्रकट हो जाते है।

दितीय प्रवाह

(मलेरिया रोगी से......... असंक्रमित मादा एनोफेलिज मच्‍छर मे होकर अन्‍य स्‍वस्‍थ व्‍यक्तियो को)

मलेरिया के रोगी को काटने पर असंक्रमित मादा एनोलीज मच्‍छर रोगी के खून के साथ मलेरिया परजीवी को भी चूंस लेते हैं व 12-14 दिनों मे ये मादा एनोलीज मच्‍छर भी संक्रमित होकर मलेरिया फेलाने मे सक्षम होते है तथा जितने भी स्‍वस्‍थ्‍य मनुष्यों को काटते है। उन्हें मलेरिया हो जाता है। इस तरह एक मलेरिया रोगी से यह रोग कई स्‍वस्‍थ्‍य मनुष्‍य में फैलता है।

मलेरिया के लक्षण

- अचानक सर्दी लगना (कॅंपकॅंपी लगना ,अधिक से अधिक रजाई कम्‍बल ओढना)।

- फिर गर्मी लगकर तेज बुखार होना।

- पसीना आकर बुखार कम होना व कमजोर महसूस करना।

निदान

रक्‍त की जाँच

- कोई भी बुखार मलेरिया हो सकता है। अतः तुरन्‍त रक्‍त की जॉंच करवाना,  सभांवित उपचार लेना तथा मलेरिया पाये जाने पर आमूल उपचार लेना आवश्‍यक है।

- बुखार होने पर क्‍लारोक्विन की गोलिया देने से पहले जांच के लिए खून लेना आवश्‍यक है। रक्‍त की जांच से ही यह पता चलता है कि बुखार मलेरिया है या नही। जांच के लिये कींटाणु ‍‍रहित सुई को मरीज की अनामिका अंगुली मे थोडा से प्रवेश कराकर खून की एक दो बूंदे कांच की पट्टिका से स्‍लाइड बनाई जाती है। जांच की रिपोर्ट तुरन्‍त प्राप्‍त करें।

सम्‍भावित उपचार

प्रत्‍येक बुखार के रोगी को जांच के लिए खून लेने के बाद मलेरिया का सम्‍भावित रोगी मानकर तुरन्‍त निम्‍नानुसार उपचार देना चाहिए।

सम्‍भावित उपचार तालिका

 

आयु

क्‍लोरोक्विन की गोलिया

(150 मिलीग्राम की गोली )

 

एक साल से कम

1/2 गोली

75 मि.ग्रा.

1-4 वर्ष

1 गोली

150 मि.ग्रा.

5-8 वर्ष

2 गोली

300 मि.ग्रा.

9-14 वर्ष

3 गोली

450 मि.ग्रा.

15 वर्ष

4 गोली

600 मि.ग्रा.

नोट: डॉक्टर से अवश्य मिलें और तभी दवाई लें।

आमूल उपचार

संभावित उपचार देने के बाद यदि खून की रिपोर्ट मे मलेरिया कीटाणु पाया जाता है तो तुरन्‍त मलेरिया परजीवी के प्रकार के अनुसार 1 या 5 दिन का आमुल उपचार (प्‍लाजमोडियम फेलसीफेरम से मलेरिया होने पर 1 दिन का प्‍लाजमोडियम पाइवैक्‍स से मलेरिया होने पर 5 दिन का ) स्‍वास्‍थ्‍य कार्यकर्ता, उपकेन्‍द्र प्रा0स्‍वा0केन्‍द्र चिकित्‍सालय से प्राप्‍त कर दवाइयाँ की पूरी खुराक पूरी अवधि तक लेने रहना चाहिये जो निम्‍न प्रकार है -

 

उम्र

क्‍लाराक्विन केवल

(150 मि.ग्रा. बेस )

प्रति गोली एक दिन के लिए प्‍लाजमो्डियम बाइवैक्‍स अथवा प्‍लाजमोडियम फैल्‍सीफैरम से मलेरिया होने पर

 

प्राइमाक्विन

(2.5 मि.ग्रा. बेस )प्रति गोली प्रत्‍येक दिन के लिये पाँच दिनों तक प्‍लाजमोडियम बाईवैक्‍स से मलेरिया होने पर

 

प्राइक्विन(7.5 मि.ग्रा. बेस )प्रति गोलीकेवल एक दिन के लिये पाँच दिनों तक प्‍लाजमोडियम फैल्‍सीफेरम से  मलेरिया होने पर

 

एक साल से कम

1/2 गोली

-

-

1-4 वर्ष

1 गोली

1 गोली

1 गोली

5-8 वर्ष

2 गोली

2 गोली

2 गोली

9 -14 वर्ष

3 गोली

3 गोली

3 गोली

15 वर्ष या अधिक

4 गोली

4 गोली

4 गोली

नोट: डॉक्टर से अवश्य मिलें और तभी दवाई लें।

गर्भवती महिलाओ को प्राइमाक्विन की गोली नही दी जाती है।

आमूल उपचार के बाद पुन खून की जाँच कराकर सुनिश्चित कर ले कि खून मलेरिया परजीवी तो नही है -

मलेरिया का रोगी प्रमाणित हो जाने पर रोगी का उक्‍त दवाए देने के साथ ही रोगी के परिवार के सभी सदस्‍यो को चाहे बुखार हो अथवा न हो उन्हें अपने खून की जांच आवश्‍यक रूप से करवानी चाहिए।  ऐसे मामलो मे आस पडोस के लोगो को भी उनके खून की जांच करवाने चाहिए।

पुन बुखार

पूरी अवधि तक आमूल उपचार की निधारित पूरी खुराक न लेने पर रोगी को मलेरिया बुखार दुबारा होने की सम्‍भावना रहती है। पुन: बुखार होने पर रोगी को प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र मे तुरन्‍त ले जाना आवश्‍यक है।

बचाव व रो‍कथाम

- घरो के अन्‍दर डी. डी .टी. जैसी कीटनाशकों का छिडकाव कराया जावे, जिससे मच्‍छरो का नष्‍ट किया जा सके।

- घरो में व आसपास गड्डो, नालियो, बेकार पडे खाली डिब्‍बो, पानी की टंकियो, गमलो, टायर टयूब मे पानी इकट़्ठा न होने दें।

- चूकि आमतौर पर यह मच्‍छर साफ पानी मे जल्‍दी पनपता है। इसलिए सप्‍ताह मे एक बार पानी से भरी टंकियो मटके, कूलर आदि खाली करके सुखा दे।

- टांके आदि पेयजल स्‍त्रोतो मे स्‍वास्‍थ्‍य कार्यकर्ता से टेमोफोस नामक दवाई समय समय पर डलवाते रहे।

- पानी के स्‍थायी स्‍त्रोतो मे मछलिया छुडवाने हेतु स्‍वा. कार्यकर्ता से सम्‍पर्क करे।

- जहां पानी एकत्रित होने से रोका नही जा सके वहां पानी पर मिटटी का तेल या जला हुआ तेल (मोबिल ऑयल ) छिडकें।

- खिडकियो, दरवाजो मे जालियां लगवा लें। मच्‍छर दानी इस्‍तेमाल करें या मच्‍छर निवारक क्रीम, सरसों का तेल आदि इस्‍तेमाल करे।

गांव - गांव मे व्‍यवस्‍था

मलेरिया उन्‍मूलन करने के लिए हर गांव मे सूचना तंत्र निदान एव उपचार तंत्र तथा निशुल्‍क दवा वितरण केन्‍द्र तथा बुखार उपचार केन्‍द्र स्‍थापित किये गये है।  जहां मलेरिया का निशुल्‍क उपचार किया जाता है।

अपने गांव मे क्‍या करें

डी. डी. टी. आदि कींटनाशकों का छिडकाव अपने ओर आस पडोस के घरो के भीतर भी करवायें तथा छिडकाव दलों को सहयोग दे।

  • आवश्‍यक सूचना तत्‍काल दें -

- बुखार का रोगी पाये जाने पर उसके बारे मे नजदीकी स्‍वास्‍थ्‍य कार्यकर्ता को तुंरत सूचना दे ताकि उसकी जांच व उपचार आरम्‍भ किया जा सके।

  • पूरी व सही जानकारी प्राप्‍त करें

- खून की जांच के बारे में

  • बुखार होने पर दी जाने वाली गोलियों के बारे मे तथा मलेरिया घोषित होने पर सम्‍भावित एवं आमूल उपचार के बारें में।

- मच्‍छर वा लार्वाभवक्षी दवाओ के बारे में

- डी.डी.टी. आदि कीटनाशकों के छिडकाव के तरीके वा सावधानियों के बारे मे।

  • पूरा उपचार व मुक्‍त दवा

- दवा वितरण केन्‍द्रों से मुफ्त प्राप्‍त करें।

- स्‍वा.कार्यकर्ता, चिकित्‍सको की सलाह से मलेरिया का उपचार लें।

- उपचार बीच मे न छोडें।

स्त्रोत: स्वास्थ्य विभाग, झारखण्ड सरकार

 

अंतिम बार संशोधित : 2/3/2023



© C–DAC.All content appearing on the vikaspedia portal is through collaborative effort of vikaspedia and its partners.We encourage you to use and share the content in a respectful and fair manner. Please leave all source links intact and adhere to applicable copyright and intellectual property guidelines and laws.
English to Hindi Transliterate