किडनी की बीमारियों के लक्षण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न हो सकते हैं। यह निर्भर करता है किडनी के अंतर्निहित रोग और उसकी गंभीरता पर। इसलिए रोग का प्रारंभिक दोर में पता लगाना मुश्किल होता है।
चेहरे, पेट और पैरों में सूजन, किडनी की बीमारी की ओर संकेत करते है। किडनी की बीमारी की वजह से जो सूजन होती है, आम तौर पर वह बहुत जल्दी नजर आ जाती है। पलकों के नीचे की सूजन जिसे पेरिआरबिटल ऐडीमा कहते हैं, यह सुबह के समय प्रत्यक्ष दिखाई देती है।
किडनी की खराबी का सूजन एक महत्वपूर्ण लक्षण है। लेकिन यह ध्यान में रखना चाहिए कि जरूरी नहीं है कि हमेशा सूजन, किडनी की खराबी का ही संकते है। कुछ बीमारियों में किडनी ठीक होने के बावजूद शरीर में सूजन होती है। उदाः नेफ्रोटिक सिंड्रोम। उतना ही महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि किडनी की खराबी के बावजूद कुछ रोगियों में सूजन नहीं होती है।
भूख की कमी, मितली, उलटी, मुँह में असामान्य स्वाद लगना आदि कुछ आम लक्षण हैं। किडनी की बिगड़ती दशा के साथ शरीर में विषाक्त पदार्थों के स्तर में वृद्धि होती जाती है। जिसके फलस्वरूप मितली, उलटी, जी मचलाना और कई बार मरीज को अत्याधिक हिचकियाँ आती है।
किडनी की खराबी के कारण रोगियों में उच्च रक्तचाप होना एक आम लक्षण है। अगर उच्च रक्तचाप कम उम्र में (30 साल से कम) हो जाये या किसी भी उम्र में रक्तचाप जाँच के समय में बहुत अधिक है तो इसका कारण किडनी रोग हो सकता है।
चेहरे पर, पलकों के नीचे की सूजन जिसे पेरिआरबिजल ऐडीमा कहते हैं, किडनी की बीमारी का आम लक्षण है।
जल्दी थकान लगना, शरीर में पीलापन, किडनी की खराबी के आम लक्षण हैं। किडनी की खराबी की प्रारंभिक अवस्था में केवल यही एक लक्षण उपस्थित हो सकता है। अगर उचित उपचार से एनीमिया ठीक नहीं होता है तो यह किडनी की खराबी का संकेत हो सकता है।
पीठ के निचले हिस्से में दर्द, शरीर में दर्द, खुजली, और पैरों में ऐंठन किडनी की बीमारियों की सामान्य शिकायतें हैं। मंद विकास, छोटा कद और पैर की हडिड्यों का झुकना आदि, किडनी की खराबी वाले बच्चों में आम तौर पर देखा जाता है।
पेशाब से संबंधित निम्नलिखित शिकायतें हो सकती है:
किसी व्यक्ति में उपरोक्त लक्षणों और संकेतों में से कई लक्षण उपस्थित हो सकते हैं पर यह जरुरी नहीं है की वह व्यक्ति किडनी की बीमारी से पीड़ित हो। हालांकि इस तरह के लक्षणों की उपस्थिति में डॉक्टर से परामर्श करने की सलाह दी जाती है। रक्त और पेशाब परीक्षण से किडनी की बीमारी का पता चल जाता है।
यह याद रखना महत्वपूर्ण है की गंभीर किडनी की समस्याएँ किसी भी महत्वपूर्ण लक्षण और संकेत के बिना लम्बी अवधि के लिए चुपचाप मौजूद रह सकती है।
कम उम्र में अगर गंभीर रक्तचाप का पता चलता है तो अंतर्निहित किडनी की बीमारियाँ हो सकती है। अतः किडनी की जाँच अवश्य करायें।
स्त्रोत: किडनी एजुकेशन
अंतिम बार संशोधित : 2/3/2023
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