डब्ल्यूएचओ के अनुसार, व्यक्ति को सामान्य सुनने वाले व्यक्ति की तुलना-25 डेसिबल सुनने की सीमा रेखा (ध्वनि की तीव्रता को मापने के लिए इकाई) या दोनों कानों में सुनने में होने वाले क्षति – को बधिकता कहा जाता है। श्रवण बाधित से पीड़ित व्यक्ति को सुनने में परेशानी (एचओएच) या बहरापन हो सकता है। यदि व्यक्ति कुछ भी नहीं सुनता है, तो वह व्यक्ति बहरेपन से पीड़ित हो सकता है। हल्के से गंभीर सुनने में होने वाली परेशानी 'सुनने में असमर्थता/परेशानी' से पीड़ित लोगों को दर्शाती है। आमतौर पर, इस तरह के लोग बोली जाने वाली भाषा के माध्यम से संवाद करते हैं। यदि व्यक्ति कुछ भी नहीं सुनता है, तो वह व्यक्ति बहरेपन से पीड़ित होता है। उन्हें सुनने में परेशानी होती है। इसके साथ ही उन्हें चिल्लाने की आवाज़ भी सुनने-समझ में नहीं आती है।
श्रवण बधिरता/सुनने में परेशानी वंशागत या मातृ रूबेला बीमारी या जन्मजात जटिलताओं या निश्चित संक्रामक बीमारियों जैसे कि मैनिंजाइटिस, ओटोटोक्सी दवाएं (कानों के लिए टोक्सी दवाओं), अत्यधिक शोर और बुढ़ापे के कारण हो सकती है।
व्यक्ति सुनने की क्षमता में कमी के प्रभावस्वरुप दूसरों से बातचीत करने में असमर्थता हो जाता है। सुनने की क्षमता में कमी से पीड़ित बच्चे प्राय: बोली जाने वाली भाषा के विकास से पीड़ित होते है। ओटिटिस मीडिया जैसी कान की बीमारियों और बहरेपन द्वारा बच्चों के शैक्षणिक स्तर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। हालांकि, यदि बहरेपन से पीड़ित लोगों को संवाद करने का अवसर प्रदान किया जाएँ, तो वे दूसरों के साथ समान आधार पर कार्य कर सकते हैं।
यह संवाद बोली जाने वाली/लिखित भाषा या सांकेतिक भाषा के माध्यम से किया जा सकता है।
संवाद करने में होने वाली परेशानी द्वारा लोगों विशेष रूप से वृद्ध व्यक्तियों में अकेलापन, तनहाई और असंतोष की भावना, उनके दैनिक जीवन की गतिविधियों को प्रभावित करती है।
विकासशील देशों में, बधिरता या बहरापन से पीड़ित बच्चे शायद ही कभी किसी भी तरह की स्कूली शिक्षा प्राप्त करते है। सुनने की क्षमता में होने वाली कमी से पीड़ित अधिकत्तर वयस्क बेरोजगारी की समस्या के अधीन होते है। यह कार्यरत व्यक्ति सामान्य कार्यबल की तुलना में रोजगार के निचले ग्रेड पर भी होते है।
रोकथाम और बहरापन नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम
सुनने की क्षमता में होने वाली कमी के प्रारंभिक संकेतों और लक्षणों में निम्नलिखित शामिल है :
वयस्कों में।
बच्चों में।
ये सभी लक्षण श्रवण बाधिरता की ओर संकेत करते हैं तथा इस विषय पर बिना किसी विलंब के चिकित्सक के साथ चर्चा की जानी चाहिए।
सुनने की क्षमता में कमी और बधिरता का कारण जन्मजात या एक्वायर्ड/अर्जित हो सकता है।
सुनने की क्षमता में कमी के जन्मजात कारणों में निम्नलिखित शामिल है।
यदि कोई व्यक्ति सुनने की क्षमता में कमी/परेशानी से पीड़ित है, तो उसे ज़ल्द से जल्दी अपने चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए। चिकित्सक असामान्य वस्तु देखने के लिए ऑरिस्कोप नामक यंत्र की सहायता से आपके कान की जांच कर सकता हैं।
१.एनएचपी स्वास्थ्य की बेहतर समझ के लिए सांकेतिक जानकारी प्रदान करता है। रोग के विकास की क्षमता एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न होती हैं, इसलिए वास्तविक निदान और उपचार के लिए अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
बधिरता का उपचार उसके कारण की स्थिति पर निर्भर करता है: जैसे कि
श्रवण यंत्र बीमारी का उपचार नहीं है, लेकिन यह यंत्र सुनने में सहायता करता है। यह यंत्र प्रत्येक व्यक्ति के लिए उपयुक्त नहीं होता है। चिकित्सक की सलाह के अनुसार इस यंत्र का उपयोग किया जाना चाहिए।
१.एनएचपी स्वास्थ्य की बेहतर समझ के लिए सांकेतिक जानकारी प्रदान करता है। रोग के विकास की क्षमता एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न होती हैं, इसलिए रोग के वास्तविक निदान और उपचार के लिए अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
बहरेपन को रोकना संभव नहीं है। हालांकि, ज़ोखिम के कारकों को रोका जा सकता है:
स्त्रोत : राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रवेशद्वार,भारत सरकार।
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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