किसी प्रियजन की मृत्यु एक ऐसा अनुभव है जिससे हम सब को जीवन में कभी-न-कभी गुजरना होता है | खासकर तब, जब हम वृद्धावस्था से गुजरना होता है | खासकर तब, जब हम वृद्धावस्था से गुजर रहे होते हैं | यह अनुभव सबसे बड़े तनावों में से है | बाद के जीवन में इसका अर्थ वर्गों से चले आए किसी अत्यंत प्रिय संबंध की समाप्ति भी हो सकता है |
पुराने वक्तों में शोक मनाने की औपचारिकताएँ तथा तथा संताप व्यक्त करने संबंधी रिवाज जीवन शैली का ही एक अंग हुआ करते थे | लेकिन, अब आधुनिक जीवन की विवशताओं का कारण लोग शोक मनाने की जरूरत को नजरअंदाज कर देते हैं | लेकिन, यह हमारे स्वास्थ्य के ठीक रहने व मानसिक आघात से उबरने के लिए बहुत जरूरी है | प्रियजन की मृत्यु के अनुभव से गुजर रहे व्यक्ति को शोक मनाने के समय और अन्य लोगों को फिर से सहज होने का समय दिया जाना चाहिए |
कुछ लोगों को धर्म से अतिरिक्त मानसिक सांत्वना मिल सकती है और धर्म का अर्थ रोजाना उपासनागृह में जाना ही नहीं होता | जिन लोगों को धर्म में आस्था है, उन तक की आस्था अपनी किसी प्रियजन की मृत्यु से विचलित कर सकती है | इसलिए भले ही आप नियमित रूप से उपासनागृह न जाते हो, लेकिन तब भी आपको मदद मांगने में संकोच या भय का अनुभव नहीं करना चाहिए | प्रियजन के वियोग में निजी फलसफा तथा आस्था बहुत बड़ा सहारा और राहत हो सकते हैं |
शोक की विभिन्न अवस्थाएँ बखूबी परिभाषित हैं | वे हैं :
विभिन्न लोगों में शोक की अवस्थाएँ अलग रूपों में सामने आ सकती हैं | जरूरी नहीं की व्यक्ति इसी क्रम में इन अवस्थाओं से या इन सभी आवस्थाओं से गुजरे | एक ही दिन में व्यक्ति दुख, क्रोध तथा अवसाद की भावनाओं में डूबता – उतरता रह सकता है | यह भी संभव है कि वह इन भावनाओं से तब गुजर रहा हो, जब वह या उसका परिवार सोच रहे हो की वह दुख से उबर चुका है या उबर रहा है |
किसी प्रियजन की मृत्यु की स्थिति में बचपन के भय फिर से लौट सकते हैं | या नए भय, जैसे अंधेरे, अज्ञात भविष्य, घरेलू कामकाज या पैसे इत्यादि की जिम्मेदारियों को वहन न कर सकने, वर्षों के प्रेम भरे साथ के बाद अकेले हो जाने, अपनी ही मृत्यु होने के भय पैदा हो सकते हैं, लेकिन उन्हें दूसरों से बांटा जा सकता है | परिवारजनों व मित्रों के सहयोग – समर्थन से इन भयों को नियंत्रित किया जा सकता है |
शोक का तनाव व्यक्ति की शारीरिक व भावनात्मक क्षमता को बहुत अधिक प्रभावित करता है | तनाव के कारण, दुर्घटना होने की संभवनाएं भी बढ़ जाती हैं | अत: अतिरिक्त सावधानी व देखभाल की जरूरत होती है :
स्त्रोत: हेल्पेज इंडिया/ वोलंटरी हेल्थ एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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