प्रत्यारोपण एक व्यक्ति से एक अंग को सर्जरी द्वारा निकालकर दूसरे व्यक्ति में लगाना है। प्रत्यारोपण की आवश्यकता तब पड़ती है जब इसे ग्रहण करने वाले व्यक्ति का वह अंग काम नहीं करता है या किसी चोट अथवा बीमारी के कारण क्षति ग्रस्त हो जाता है।
अंतिम चरण के कुछ ऐसे रोग हैं जिन्हें प्रत्यारोपण से ठीक किया जा सकता है :
रोग
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अंग
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हृदय
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फेफड़े की टर्मिनल बीमारी
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फेफड़े
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गुर्दे की विफलता
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गुर्दे
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यकृत की विफलता
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यकृत
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मधुमेह
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अग्न्याशय
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कॉर्नियल अंधापन
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आंखें
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हृदय वाल्वुलर रोग
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हृदय वाल्व |
गंभीर जलन
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त्वचा
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प्रत्यारोपण समन्वयक और पंजीकृत चिकित्सक उपचार के प्रत्यारोपण की प्रक्रिया के बारे में आपको समझाएंगे।
प्रत्यारोपण समन्वयक का अर्थ है अस्पताल द्वारा मानव अंग या ऊतक या दोनों के प्रत्यारोपण या इन्हें निकालने से संबंधित सभी मामलों का समन्वय करने के लिए अस्पताल द्वारा नियुक्त व्यक्ति, जो मानव अंग निकालने के लिए प्राधिकरण की सहायता करते हैं। जबकि इनका कार्य अधिकांशत: मृत अंग दान से संबंधित है, ये जीवित अंग दान के लिए भी जिम्मेनदार हैं। मानव अंग प्रत्यारोपण के वर्तमान अधिनियम की संकल्पना की गई है कि प्रत्यारोपण गतिविधि करने वाले प्रत्येक अस्पताल, चाहे यहां पुन: प्राप्ति की जाती हो या अंग प्रत्यारोपण किया जाता हो, उस केंद्र को अस्पताल में अधिनियम के तहत प्रत्यारोपण हेतु पंजीकृत कराने से पहले वहां एक प्रत्यारोपण समन्वयक होना अनिवार्य है। प्रत्यारोपण समन्वयक अंग दान और प्रत्यारोपण में केंद्रीय भूमिका निभाता है।
एक प्रत्यारोपण समन्वयक को शोकाकुल परिवार को सांत्वना देनी होती है और व्यक्ति की आंखें दान करने के लिए तथा बाद में ठोस अंग दान के लिए संपर्क करना होता है।यदि परिवार अंग देने के लिए सहमत होता है तो समन्वयक द्वारा नोडल अधिकारी को जानकारी दी जाती है तथा आईसीयू कर्मचारियों के साथ रोगी को वेंटिलेटर पर रखने और अंग प्राप्ति के लिए व्यवस्था का समन्वय करने की जरूरत होती है। समन्व्यक को यह सुनिश्चित करना होता है कि सभी कागजी कार्रवाई सही तरीके से की जाती है और परिवार को जल्दी से जल्दी शरीर अंतिम क्रिया के लिए सौंप दिया जाता है।
कुछ वर्ष पहले तक, दाता और ग्राही दोनों के लिए ही प्रत्यारोपण की लागत को बीमा की अधिकांश कंपनियों द्वारा कवर नहीं किया जाता था। अब इन दिनों कुछ बीमा कंपनियां प्रत्यारोपण से संबंधित खर्च को कवर करती हैं। यह बेहतर होगा कि आप बीमा कराते समय इसे सुनिश्चित कर लें।
हां, रोगी को प्रत्यारोपण के लिए फिट होना चाहिए और प्रत्यारोपण के लिए रोगी की फिटनेस का आकलन करने के लिए मानदेय में उम्र एक बिंदु है।
एक अंग प्राप्त करने के लिए इंतज़ार करने वाले लोगों की एक लंबी सूची है।
एक रोगी पंजीकृत प्रत्यारोपण अस्पताल के माध्यम से प्रतीक्षा सूची में शामिल होने का पंजीकरण करा सकता है। अस्पताल में इलाज करने वाले डॉक्टर मूल्यांकन करेंगे (चिकित्सा जानकारी, स्वास्थ्य की मौजूदा स्थिति और अन्या कारकों के आधार पर) और निर्णय लेंगे कि क्या रोगी को प्रत्यारोपण की जरूरत है वह सूची में दिए गए मानदण्डो पूरे करता है। जैसे कि गुर्दा प्रत्यारोपण के लिए, रक्त समूह के अलावा मुख्य मानदण्ड वह समय है जब से रोगी नियमित रूप से डायालिसिस कराता है। इसी प्रकार अन्य अंगों के लिए मानदण्ड पिछली चिकित्सा् जानकारी, स्वास्थ्य की वर्तमान स्थिति, और अन्य कारकों पर आधारित होते हैं।
प्रत्येक रोगी जिसमें अंग की विफलता का अंतिम चरण विकसित हो चुका है, वह अंग प्रत्यारोपण के लिए फिट नहीं होता है। बुनियादी सिद्धांत यह है कि रोगी की छानबीन अंतिम चरण की अंग विफलता विकसित होने के लिए चिकित्सा आधार (चिकित्सा का इतिहास, स्वास्थ्य की वर्तमान स्थिति, और अन्य कारकों के आधार पर) पर की जानी चाहिए। आपका इलाज करने वाले डॉक्टर यह तय करेंगे कि क्या आप प्रत्या रोपण के लिए चिकित्साक की दृष्टि से फिट हैं और प्रतीक्षा सूची में रखने से पहले अन्य मुद्दों पर भी विचार किया जाएगा।
जब आपको राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण प्रतीक्षा सूची में रखा जाता है तो आपको उसी दिन भी अंग मिल सकता है या आपको कई सालों तक इंतजार करना पड़ सकता है। आपको दाता के साथ मिलान करने, आपकी बीमारी की स्थिति और आपके स्थानीय क्षेत्र में प्रतीक्षारत रोगियों की संख्या की तुलना में उपलब्धी दाताओं की संख्या इसे प्रभावित करने वाले कारक हैं।
प्रत्यारोपण के लिए मांग और आपूर्ति के बीच भारी असमानता है। प्रत्यारोपण के लिए उपलब्ध अंगों की संख्या की तुलना में विभिन्न अंगों की आवश्यकता वाले रोगियों की संख्या अधिक है। यही कारण है कि अंग दान के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए तत्काल आवश्यकता है। अधिक से अधिक लोग जब अंग दान करने की प्रतिज्ञा करेंगे तब यह प्रतीक्षा सूची समाप्त् होगी।
जब प्रत्यारोपण अस्पेताल में एक व्यक्ति का नाम प्रतीक्षा सूची में आता है तो इसे नामों के समूह में रखा जाता है। जब कोई मृतक अंग दाता उपलब्ध हो जाता है तो उस दाता के साथ समूह में मौजूद सभी रोगियों की तुलना की जाती है। कारक जैसे चिकित्सा तात्कालिकता, प्रतीक्षा सूची में लगने वाला समय, अंग का आकार, रक्त समूह और आनुवंशिक बनावट पर विचार किया जाता है।
इसकी कोई समय सीमा नहीं है कि एक व्यक्ति को अपने लिए एक अंग हेतु कितने समय तक प्रतीक्षा करनी पड़ सकती है। यह उसकी चिकित्सा परिस्थिति और उस शहर या राज्य में अंग के उपलब्धक होने की संख्या पर निर्भर करता हैा
इस प्रश्न का उत्तर इलाज करने वाले डॉक्टर द्वारा चिकित्सान स्थिति और अंग की क्षति के चरण के आधार पर दिया जा सकता है। उदाहरण के लिए गुर्दे की विफलता के एक मामले में, डायालिसिस एक विकल्पिक उपचार है और गुर्दे के विफल होने पर आम तौर पर रोगी को प्रत्यारोपण की आवश्याकता आपातकालीन स्थिति नहीं होती है। साथ ही दिल का दौरा पड़ने वाले रोगी के लिए, कुछ रोगियों को कृत्रिम हृदय सहायक उपकरणों पर रखा जा सकता है। इसी प्रकार अन्यी अंगों के लिए मानदण्ड अलग अलग हैं, जिन्हेंण कुछ समय के लिए चिकित्सा उपचार पर रखा जा सकता है।
हां , आप प्रतीक्षा सूची में अपनी स्थिति जान सकते हैं, क्योंकि यह एक पारदर्शी प्रणाली है। किंतु इससे आपको कोई मदद नहीं मिलेगी, क्योंकि एक अंग का मिलना केवल प्रतीक्षा सूची की संख्या के अलावा अन्यी अनेक कारकों पर निर्भर करता है।
हां, यह बेहतर है कि आप मानसिक रूप से तैयार रहें और तत्काल अंग प्रत्यारोपण के लिए कुछ धनराशि रखें। ज्यादातर शव प्रत्यारोपण के मामले तात्कालिक आधार पर होते हैं। यही कारण है कि आपको शव प्रत्यारोपण के लिए जांचों की अद्यतन जानकारी हर समय होनी चाहिए, ताकि आपको जब भी कॉल प्राप्तो होती है आप अंग प्राप्त कर सकते हैं। मृत शरीर का अंग एक उपहार है और इसे खोना नहीं चाहिए।
नहीं, प्रत्यारोपण के लिए आने वाले कॉल का अर्थ यह नहीं है कि आपको निश्चित रूप से अंग मिल जाएगा। प्रत्यारोपण दल इसके प्रत्यारोपण हेतु आपकी तत्काल फिटनेस की जांच करेगा। इसकी संभावना है कि प्रत्यारोपण के ठीक पहले की गई जांच आपको प्रत्यारोपण के लिए सामान्य नहीं दर्शाती है पुन: एक से अधिक रोगियों को संभावित प्रत्यारोपण के लिए बुलाया जा सकता है और इसकी संभावना है कि उस विशेष अंग प्रत्यारोपण के लिए दूसरे व्यक्ति को आपकी तुलना में अधिक फिट पाया जाता है।
नहीं, मृत अंग दान कार्यक्रम में हमेशा गोपनीयता बनाए रखी जाती है, यह जीवित दाताओं के मामले से अलग है जो आम तौर पर पहले से एक दूसरे को जानते हैं।यदि परिवार चाहता है तो उन्हें उस व्यक्ति की आयु और लिंग जैसे कुछ संक्षिप्त विवरण बता दिए जाते हैं जिसे दान पाने से लाभ हुआ है। जिन रोगियों को अंग प्राप्त होते हैं वे अपने दाताओं के बारे में समान प्रकार के विवरण प्राप्तो कर सकते हैं। यह हमेशा संभव नहीं है कि ऊतक प्रत्यारोपण के कुछ प्रकारों में दाता को ग्राही की जानकारी प्रदान की जाए। जो लोग बेनाम रहना चाहते हैं वे अपने धन्यवाद पत्र या शुभकामनाएं प्रत्यारोपण समन्वयक के माध्यम से भेज सकते हैं। कुछ मामलों में दाता परिवारों और ग्राहियों ने मिलने की व्यवस्था की है।
प्रोटोकोल के अनुसार, जिन रोगियों को मृत अंग की जरूरत होती है, उन्हें प्रतीक्षा सूची में रखा जाता है। किंतु भारत में अंगों की आवश्यगकता वाले रोगियों की संख्या उपलब्ध अंगों की तुलना में बहुत अधिक है।इसमें दो प्रकार की प्रतीक्षा सूचियां हैं; एक तत्का्ल प्रतीक्षा सूची और दूसरी नियमित प्रतीक्षा सूची। मृत अंग प्रत्यारोपण के लिए रोगियों की तात्कालिक प्रतीक्षा सूची प्राथमिक तौर पर चिकित्सा मानदण्डों अर्थात रोगी की आवश्यकता के अंगों को तात्कालिक आधार पर बनाई जाती है अन्याथा वह जीवित नहीं रहेगा। नियमित प्रतीक्षा सूची भी चिकित्सा मानदण्डों पर आधारित होती है और ये मानदण्डय विभिन्न अंगों के लिए अलग अलग होते हैं। उदाहरण के लिए गुर्दा प्रत्यारोपण के लिए मुख्य मानदंड नियमित डायालिसिस पर लगने वाला समय है। इसी प्रकार अन्य अंगों के लिए मानदण्ड अलग अलग होते हैं।
इन अंगों को सबसे पहले राज्य के अंदर वितरित किया जाएगा और यदि कोई मिलान नहीं पाया जाता है तो इन्हेंर पहले क्षेत्रीय और फिर राष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तावित किया जाएगा, जब तक ग्राही नहीं मिल जाता। दाता के अंगों का इस्तेमाल करने के सभी प्रयास किए जाएंगे।
एक सफल अंग प्रत्यारोपण सुनिश्चित करने के लिए कई चिकित्सा कारकों का मिलान करने की जरूरत होती है। रक्त समूह एक प्रमुख कारक है जिसे विचार में लिया जाता है। दाता और ग्राहियों के अंगों के साइज पर भी विचार किया जाता है। गुर्दों के लिए एक अन्य महत्व पूर्ण कारक ऊतक मिलान है, जो रक्त समूह के मिलान के अलावा अधिक जटिल होता है और इसमें अधिक समय भी लगता है। यदि गुर्दे का सही मिलान हो जाता है तो सर्वोत्तम परिणाम मिल सकते हैं।एक अंग प्रत्यारोपण के लिए इंतजार कर रहे मरीजों की एक स्थानीय, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय कम्प्यूटरीकृत सूची है। अधिकांश समय कंप्यूटर द्वारा एक विशेष अंग के लिए रोगी का सर्वोत्तम मिलान ज्ञात किया जाता है और प्रत्यारोपण इकाई को इस अंग का प्रस्तासव भेजा जाता है जो उस रोगी का इलाज कर रही है। साथ ही उन रोगियों को प्राथमिकता दी जाती है जिन्हें प्रत्यारोपण की तत्काल आवश्यिकता है। NOTTO द्वारा प्रतीक्षा सूची और अंग आबंटन प्रणाली का रखरखाव किया जाता है। यह पूरे वर्ष हर समय कार्य करता है। ऊतकों के मामले में आम तौर पर आवश्यखक नहीं होता है।
मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम 1994 के अनुसार, अंगों के आबंटन का क्रम इस प्रकार होगा : राज्य् सूची – क्षेत्रीय सूची – राष्ट्रीय सूची – भारतीय मूल के व्यक्ति – विदेशी।
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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