हाल के वर्षों में शारीरिक रूप से विकलांग एवं विभिन्न प्रकार से अक्षम बच्चों के प्रति समाज में व्याप्त धारणाओं में कुछ परिवर्तन आया है। कई बार यह दोहराया गया है कि यदि विकलांगों की बीमारी का सही समय पर पहचान कर लिया जाए, उसके बचाव के लिए मदद दी जाए एवं उपकरण की सुविधा और शिक्षा ,व्यावसायिक प्रशिक्षण, रोजगार के अवसर की सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाए तो उनमें से बहुमत लोग सामान्य जीवन जी सकते हैं। सबसे बड़ी बात यह कि हम सभी को इन्हें ज़ीवन के सभी क्षेत्रों में समान अधिकार प्राप्त एक नागरिक के रूप में अपनाने की इच्छा दिखानी होगी।
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अंतिम बार संशोधित : 3/4/2020
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