किशोर न्याय (बच्चों के देखभाल एवं सुरक्षा) संशोधित अधिनियम, 2006
परिचय
मौजूदा कानून में संशोधन करने के लिए किशोर न्याय अधिनियम 2000 पर पुनर्दृष्टि डाली गई। 2006 में, इस अधिनयम के पुनर्गठन के बाद अगस्त 2006 को 26 संशोधनों के साथ अमल में लाया गया।
किशोर न्याय अधिनियम 2000
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किशोर न्याय संशोधन अधिनियम 2006
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30 दिसम्बर 2000 को लागू
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22 अगस्त 2006 को लागू
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22 अप्रैल 2001 को सूचित
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22 अगस्त 2006 को सूचित
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केन्द्रीय नियम 30 जून 2001 को सूचित
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केन्द्रीय नियम 26 अक्तूबर 2007 को सूचित
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यह कानून किशोर न्याय अधिनियम 1986 के स्थान
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यह कानून किशोर न्याय अधिनियम 2000 के स्थान
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प्राक्कथन-सन्दर्भ के मुख्य विषय
- बाल सुलभ नजरिया
- बच्चों का परमहित
- सही देखभाल, सुरक्षा, इलाज, पुनर्वास और पुर्नसंगठन
- संविधान, मानव अधिकार, बाल अधिकार कन्वेंशन, बीजिग नियम, संयुक्त राष्ट्र किशोर सुरक्षा के नियम
अधिनियम के लक्ष्य
- किशोर न्याय अधिनियम के लम्बे शीर्षक को परिमर्जित करना ताकि इस कानून के अंतर्गत न सिर्फ संस्थागत बल्कि गैर संस्थागत तरीकों से देखभाल व सुरक्षा के जरूरतमंद बच्चों और कानून का उल्लंघन करनेवाले किशोर का पुनर्वास का दायरा बड़ा हो सके।
- स्पष्ट करना है कि किसी भी अन्य कानून के अंतर्गत किशोर को दी जाने वाली सजा या आपराधिक प्रक्रियाओं में कि. न्या. अधि. लागू होगा।
- व्यक्ति के उम्र निर्धारण और कि. न्या. अधि. लागू होने की तिथि की मामले में सारे संदेह मिटाना
- देखभाल व सुरक्षा के जरूरतमंद बच्चों और किशोरों को किसी बाल गृह विशेषगृह से छोड़ने या तबादले और कानून का उल्लंघन करनेवाले किशोरों जो सजा काट रहे है, को किसी विशेष गृह या सही संस्था में भेजने के अधिकार देने वाले प्रावधानों से स्थानीय प्राधिकरणों को वंचित करना।
- ऐसी प्रक्रिया तैयार करना जिससे किसी भी अदालत के समाने कैशोर्य का दावा पेश किया जा सकता है।
- कानून का उल्लंघन करनेवाले को किशोर न्याय बोर्ड के सामने पेश करने के 24 घंटों की एक न्यूनतम समय सीमा, जिसमें गिरफ्तारी के स्थान से यातायात का समय शामिल नहीं तय करना, किसी बच्चे को बाल कल्याण समिति की सामने पेश करने के ऐसे ही प्रावधान तैयार करना।
- सुधारगृहों में सजा के विकल्पों का प्रावधान देना ताकि कि. न्या. अधि. की मंशा को पूरा किया जा सके।
- देखभाल व सुरक्षा के जरूरतमंद बच्चों से जुड़े पूछताछ की प्रक्रिया से किसी भी पुलिस अधिकारी की जुडाव को खत्म करना क्योंकि यह जिम्मेदारी बा.क. स. की है और ऐसे मामलों में बच्चे को किसी बाल गृह या शरण गृह में रखा जा सकता है।
- किशोर न्याय अधिकारी के अंतर्गत किसी बच्चे के अधिग्रहण को संतानहिन अभिभावकों तक विस्तृत करना और भारतीय नागरिकों तक सीमित करना।
- विशेष अवसरों जैसे परीक्षा, सगे सबंधियों की विवाह या मृत्यु, अभिभावकों की दुर्घटना या गंभीर बीमारी अथवा अन्य आपातकाल में बच्चों की दी जाने वाली छुट्टी का प्रावधान देना।
- यह सुनिश्चित करना कि जिन राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों में अभी तक अपने नियम नहीं बने है, उसमें आदर्श नियमों को लागू करना जब तक उन राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों में इस बाबत कोई नियम न बन पाए
किशोर न्याय संशोधन अधिनयम 2006 पर एक दृष्टि
अध्याय 1
- परिभाषाएं- अनुच्छेद 1 - 3
अध्याय 2
- कानून का उल्लंघन करने वाले किशोर – अनुच्छेद 4 - 28
अध्याय 3
- देखभाल व सुरक्षा के जरूरतमंद बच्चे – अनुच्छेद 29 - 39
अध्याय 4
- पुनर्वास एवं सामाजिक एकाग्रता – अनुच्छेद 40 - 45
अध्याय 5
किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल व सुरक्षा) संशोधन अधिनयम, 2006 में, छब्बीस (26) संशोधन किये गये जिन्हें अध्याय में शामिल किया गया है।
स्त्रोत: चाईल्डलाईन इंडिया फाउंडेशन
अंतिम बार संशोधित : 12/13/2019
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