कराधान नियमों के अनुसार कमाने वाले किसी भी व्यक्ति/ इकाई के लिए आयकर रिटर्न भरना अनिवार्य है; इस बात से कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि उसके नियोक्ता द्वारा आय के स्रोत पर कर की कटौती की गई है या नहीं और वह की गई कटौती की वापसी का पात्र हैं या नहीं।
छूट: वित्त मंत्रालय द्वारा दिनांक 17/02/2012 को जारी की गई अधिसूचना के अनुसार, वह व्यक्ति जिसकी संबंधित आकलन वर्ष में कुल आय 5,00,000 रु. से अधिक नहीं है उसे आयकर रिटर्न भरने की आवश्यकता नहीं है।आयकर रिटर्न फाइल (आईटीआर) करने हेतु संबंधित आकलन वर्ष के लिए आईटीआर जमा करनी होती है।
आय की विवरणी को भरने पर बहुधा पूछे जाने वाले प्रश्न
यह एक निर्धारित फार्म है जिसके माध्यम से, व्यक्ति द्वारा एक वित्तीय वर्ष के दौरान अर्जित आय और ऐसी आय पर किए गए कर के भुगतान का ब्यौरा आयकर विभाग को सूचित करना होता है। आय की अलग-अलग स्थिति और प्रकृति के लिए विवरणी दाखिल करने के लिए आय के विवरणी के विभिन्न फॉर्म निर्धारित किए गए हैं। ये फॉर्म भारत सरकार के आयकर विभाग के वेबसाइट से डाउनलोड किये जा सकते हैं।
आयकर कानून के तहत, विभिन्न वर्गों के आयकर दाताओं के लिए विभिन्न वर्ग के फार्म निर्धारित हैं। ये रिटर्न फार्म आर्इटीआर के नाम से जाने जाते हैं।(आयकर रिटर्न फार्म) मूल्याकंन वर्ष 2014-15 (जैसे वित्तिय वर्ष 2014-15)के लिए निम्नलिखित रिटर्न फार्म निर्धारित हैं (*):
रिटर्न फार्म व स्ंक्षिप्त विवरण
आर्इ टी आर -1
यह सहज नाम से भी जाना जाता है जो उन व्यक्तियों पर लागू होता है जिनकी आय वेतन या पेंशन से है या मकान से आय होती है (आगे लाए गए नुकसान का मामला नहीं) या अन्य स्रोतो से आय (लॉटरी जीतने से आय या रेस कोर्स में जीतने से आय नहीं)
आर्इ टी आर -2
यह उस व्यक्ति या हिन्दु संयुक्त परिवार पर लागू होता है जिनकी ‘‘व्यापार या पेशे से लाभ ’’से अतिरिक्त किसी स्रोत से आय होती है।
आर्इ टी आर -3
यह उस व्यक्ति या अविभाज्य संयुक्त हिन्दु परिवार पर लागू होता है, जो किसी फर्म में हिस्सेदार है तथा जहां ‘‘व्यवसाय या पेशे से लाभ या प्राप्ति’’ के मद में आय पर आयकर लागू होता है, इसमें ब्याज, वेतन, बोनस, कमीशन या पारिश्रमिक,किसी भी नाम से पुकारा जाए,के कारण, या उसके द्वारा या फर्म के द्वारा ली जाए, की आय को छोड़ कर अन्य आय शामिल नहीं होती ।
आर्इ टी आर -4
एस सुगम के नाम से भी जानी जाती है। जो किसी व्यक्ति या एसयूएफएस पर लागू होती हैै जिसे प्रकल्पित कराधान योजना के भाग 44 एडी/44एर्इ के तहत चुना गया है।
आर्इ टी आर -4
यह किसी व्यक्ति या एकल हिन्दु परिवार पर लागू होता है जिसका अपना मालिकाना व्यापार या पेशा हो।
आर्इ टी आर -5
यह फार्म उस व्यक्ति द्वारा उपयोग में लाया जाता है जो फर्म के रुप में एलएलपी, एओपी, बीओआर्इ, कृत्रिम न्यायिक व्यक्ति भाग 2(31)(अपप) से संदर्भित हो, को -ऑपरेटिव सोसायटी, तथा स्थानीय प्राधिकरण, फिर भी, एक व्यक्ति जो धारा के भाग 139(4ए)या 139(4बी)या 139(4 सी) या 139(4 डी) के अधीन आयकर भरता है को यह फार्म का उपयोग नहीं करना चाहिए (जैसे, ट्रस्ट, राजनीतिक दल, संस्थाएं, कॉलेज, आदि)
आर्इ टी आर -6
यह कंपनी से अलग किसी कंपनी पर लागू होता है जो धारा 11 के तहत छूट का लाभ प्राप्त करता हो (धर्मार्थ/धार्मिक ट्रस्ट धारा 11 के तहत छूट का लाभ ले सकती है।)
आर्इ टी आर -7
यह कंपनी के साथ उन व्यक्तियों पर लागू होता है जिन्हें धारा 139( 4 ए)की धारा 139(4 बी) या धारा 139(4सी) या धारा 139(4डी)के तहत आयकर रिटर्न भरनी होती है। (जैसे ट्रस्ट, राजनैतिक दल,संस्थाएं ,कॉलेज आदि)
आर्इ टी आर -पांच
यह आयकर रिटर्न दाखिल करने की रसीद है।
यह केवल रिटर्न फार्म का संक्षिप्त अवलोकन प्रदान करती है तथा ना कि एक संपूर्ण चर्चा। आर्इटीआर फार्म के लागू होने/ना लागू होने के और अधिक प्रावधान के लिए पाठक को बाद में दी गर्इ प्रत्येक आर्इटीआर फार्म की चर्चा को पढ़ना होगा।
इस उद्देश्य के लिए जन संपर्क अधिकारी [पीआरओ] से संपर्क किया जा सकता है। यह फॉर्म साइट http://www.incometaxindia.gov.in/ से भी डाउनलोड किया जा सकता है।
आयकर विभाग में निम्न में से किसी भी तरीके से आयकर रिटर्न दाखिल की जा सकती है*:-
• एक फार्म पर भर कर
• डिजिटल हस्ताक्षर के साथ इलेक्ट्रोनिक रिटर्न के जरिए जैसे - डिजिटल हस्ताक्षर के साथ र्इ-फाइलिंग।
• इलेक्ट्रोनिक रुप से रिटर्न दाखिल करने के बाद आर्इटीआर-अ की हार्ड कॉपी अधिकृत व्यक्ति के हस्ताक्षर के साथ प्रस्तुत करना, जैसे - र्इ फाइलिंग बिना डिजिटल हस्ताक्षर के प्रस्तुत की गर्इ हो ($)।
• बार कोडिड रिटर्न के जरिए दाखिल करना।
($) जब डिजिटल हस्ताक्षर के आयकर रिटर्न कहां दाखिल की गर्इ होती है, तब आयकर दाता को आर्इटीआर - अ की दो मुद्रित प्रतियां लेनी होती है, आर्इटीआर - अ की एक प्रति आयकर दाता द्वारा हस्ताक्षरित होती है (जो एक निश्चित समय सीमा में जैसे 120 दिन के भीतर) साधारण डाक या स्पीड पोस्ट के जरिए ''आयकर विभाग -सीपीसी, पोस्ट बैक नम्बर '1, इलेक्ट्रोनिक सिटी पोस्ट ऑफिस, बैगलोर-560100 (कर्नाटक) ''पर भेजी जाती है जबकि दूसरी कॉपी को आयकर दाता अपने रिकार्ड में रख सकता है।
(*) र्इ फाइलिंग से जुड़े अन्य मामलों के एफएक्यू देखें जिसमें र्इ फाइलिंग जरुरी है।
निम्न आयकर दाता केवल र्इ फाइलिंग के जरिए अपनी रिटर्न भर सकते हैं।
(1) हर एक कंपनी को इलेक्ट्रानिक तरीके से हस्ताक्षरित रिटर्न दाखिल करनी होती है। दूसरी भाषा में कहें तो कॉरपोरेट कर दाताओं के लिए र्इ-फाइलिंग डिजीटल हस्ताक्षर के साथ अनिवार्य है।
(2) व्यक्ति या संस्था या एक हिन्दू एकल परिवार (एचयूएफ) जिसके खाते का धारा 44 एबी के तहत लेखा परीक्षण आवश्यक है। अपनी आय कर रिटर्न डिजीटल हस्ताक्षर के साथ इलेक्ट्रानिक तरीके से दाखिल कर सकता है।
(3) एक निवासी या सामान्य निवासी व्यक्ति/ एच यू एफ जिनकी संपत्ति हो(किसी भी संस्था में वित्तिय हित सहित),भारत के बाहर रहता हो या उसके खाते में प्राधिकृत हस्ताक्षर करने वाला देष से बाहर रहता हो अपनी रिटर्न डिजीटल हस्ताक्षर के साथ या उसके बिना दाखिल कर सकता है।
(4) रुपये 500000 की कुल आय वाला व्यक्ति अपनी रिटर्न को डिजीटल हस्ताक्षर के साथ या उसके बिना दाखिल कर सकता है।
(5) धारा 90,90 ए या 91 के तहत राहत का दावा करने वाला आयकरदाता डिजीटल हस्ताक्षर के साथ या उसके बिना दाखिल कर सकता है।
(6) एक व्यक्ति जिसे आर्इ टी आर-5 को भरना हो अपना रिटर्न डिजीटल हस्ताक्षर के साथ या उसके बिना दाखिल कर सकता है।
(7) एक कर दाता जिसे लेखा रिपोर्ट धारा 10(23 सी)(पअ), 10(23 सी)( अ), 10(23 सी) (अप), 10(23 सी)(अपं), 10 ए, 10 एए, 12ए(1)(बी), 44एबी, 44 डी ए,50 बी,80-आर्इए, 80-आर्इबी, 80-आर्इसी, 80-आर्इडी, 80-जेजेएऐ, 80 एल ए, 92 र्इ, 115 जेबी या 115 वीडब्ल्यू के तहत दाखिल करना हो अपना रिटर्न इलेक्ट्रानिक तरीके से दाखिल कर सकता है।
(*) जब डिजिटल हस्ताक्षर के आयकर रिटर्न दाखिल की गर्इ होती है, तब आयकर दाता को आर्इटीआर - अ की दो मुद्रित प्रतियां लेनी होती है, आर्इटीआर - अ की एक प्रति आयकर दाता द्वारा हस्ताक्षरित होती है (जो एक निश्चित समय सीमा में जैसे 120 दिन के भीतर ) साधारण डाक या स्पीड पोस्ट के जरिए ''आयकर विभाग -सीपीसी, पोस्ट बैक नम्बर '1, इलेक्ट्रोनिक सिटी पोस्ट ऑफिस, बैगलोर-560100(कर्नाटक) ''पर भेजी जाती है जबकि दूसरी कॉपी को आयकर दाता अपने रिकार्ड में रख सकता है।
आर्इटीआर रिटर्न फार्म में कम दस्तावेज लगते हैं इसलिए कर दाता को किसी भी प्रकार के दस्तावेज लगाने की आवश्यकता नहीं रहती(जैसे निवेश का सबूत, टीडीएस प्रमाण पत्र आदि)आयकर रिटर्न के साथ (चाहे व्यक्तिगत रुप से भरी गर्इ हो या इलेक्ट्रानिक रुप से)तथापि, आयकरदाताओं को ये दस्तावेज संभाल कर रखने चाहिए तथा मूल्याकंन, जांच जैसी स्थितियों में मांगे जाने पर कर अधिकारियों के सामने प्रस्तुत करना चाहिए।
जैसा ऊपर चर्चा की जा चुकी है, आयकर रिटर्न के साथ कोर्इ भी दस्तावेज नहीं लगाया जाता। फिर भी एक कर दाता जिसे लेखा रिपोर्ट धारा 10(23 सी )(पअ),10(23 सी ( अ ), 10(23 सी) (अप),10(23 सी)(अपं),10 ए,10 एए,12ए(1)(बी),44 एबी, 44 डी ए,50 बी,80-आर्इ ए,80-आर्इ बी, 80-आर्इ सी, 80-आर्इ डी, 80-जे जे ए ऐ, 80 एल ए,92 र्इ, 115 जे बी या 115 वी डब्ल्यू के तहत दाखिल करना हो अपना रिटर्न इलेक्ट्रानिक तरीके से आय कर दाखिल करने कि दिनांक या उससे पहले दाखिल सकता है।
आयकर विवरणी या तो आयकर विभाग के स्थानीय कार्यालय में हार्ड कॉपी में भी दायर की जा सकती है या इलेक्ट्रॉनिक रूप में www.incometaxindiaefiling.gov.in पर दायर की जा सकती है।
कुछ निश्चित प्रकार के व्यक्तियों के मामले में (उदाहरण के तौर पर जिस व्यक्ति के खातों की लेखापरीक्षा की जानी है या जिन व्यक्तियों की आमदनी 5,00,000 रुपये से अधिक है, आदि।) र्इ-फाइलिंग किया जाना अनिवार्य है।
आयकर रिटर्न फार्म आर्इटीआर-1(सहज) का प्रयोग उस व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है जिसकी आय में शामिल हो-
1) वेतन/पेंशन से प्राप्त आय, या
2) घर संपत्ति से प्राप्त आय(पिछले साल से आगे लाए गए नुकसान के मामलों को छोड़कर),या
3) अन्य स्रोतों से आय( लॉटरी या रेस कोर्स से प्राप्त आय को छोड़ कर)
इसके अलावा, उस मामले में जहां अन्य व्यक्ति जैसे, पति या पत्नी, छोटे बच्चे आदि की आय को भी कर दाता की आय में जोड़ा जाएगा, इस रिटर्न फार्म का उपयोग केवल तभी किया जाएगा जब आय बतार्इ गर्इ श्रेणी में शामिल हो।
रिटर्न फार्म आर्इटीआर-1(सहज)का प्रयोग उस व्यक्ति द्वारा नहीं किया जा सकता-
1) जिसकी साल भर की कुल आय में एक से अधिक मकान की संपत्ति की आय शामिल है।
2) जिसकी साल भर की आय में लॉटरी से जीती गर्इ राषि या रेस कोर्स से हुर्इ आय शामिल हो।
3) जिसकी साल भर की कुल आय आयकर के '' पूंजीगत लाभ'' के तहत शामिल हो।
4) जिसकी साल भर की कुल आय में आय पर 5000 से ज्यादा की छूट शामिल हो।
5) जिसकी साल भर की कुल आय में व्यवसाय या पेशे की आय शामिल हो।
6) जिसकी साल भर की आय में '' अन्य स्रोतो से आय'' के मद के तहत हानि भी शामिल है।
7) जिसने धारा 90 तथा /या धारा 91 के तहत छूट का दावा किया हो।
8) जिसके पास भारत से बाहर संपत्ति हो (किसी संस्था में वित्तिय हित सहित)या किसी भी खाते में हस्ताक्षर करने का अधिकारी भारत से बाहर रहता है।
आर्इटीआर-2 का उपयोग उस व्यक्ति या एकल हिन्दू परिवार द्वारा किया जा सकता है जिसकी साल भर की आय में निम्न शामिल हो:
1) वेतन/ पेंशन से प्राप्त आय, या
2) घर संपत्ति से प्राप्त आय, या
3) पूंजीगत लाभ से प्राप्त आय, या
4) अन्य स्रोतों से प्राप्त आय( लॉटरी से प्राप्त आय तथा रेस कोर्स से प्राप्त आय को जोड़ कर)
इसके अलावा, उस मामले में जहां अन्य व्यक्ति जैसे, पति या पत्नी, छोटे बच्चे आदि की आय को भी कर दाता की आय में जोड़ा जाएगा, इस रिटर्न फार्म का उपयोग केवल तभी किया जाएगा जब आय बतार्इ गर्इ श्रेणी में शामिल हो।
आर्इटीआर -2 का रिटर्न फार्म उस व्यक्ति द्वारा उपयोग में नहीं लाया जा सकता, जिसकी साल भर की कुल आय में व्यवसाय तथा पेशे से प्राप्त आय शामिल हो।
आर्इटीआर-3 रिटर्न फार्म का प्रयोग यह उस व्यक्ति या अविभाज्य संयुक्त हिन्दू परिवार द्वारा किया जा सकता है, जो किसी फर्म में हिस्सेदार है तथा जहां '' व्यवसाय या पेशे से लाभ या प्राप्ति ''के मद में आय पर आयकर लागू होता है, जिसकी आय में ब्याज, वेतन, बोनस,कमीशन या पारिश्रमिक,के अतिरिक्त कोर्इ आय शामिल नहीं हो, किसी भी नाम से पुकारा जाए,के कारण, या उसके द्वारा या फर्म के द्वारा ली जाए, की आय को छोड़ कर अन्य आय शामिल नहीं होती ।
किसी संस्था के भागीदार होने की दशों ब्याज, वेतन आदि से संस्था से किसी प्रकार की आय नहीं होनी चाहिए। तथा केवल संस्था के लाभ तथा हिस्से से आय को ही स्वीकार करता हो। वह आर्इटीआर-3 का प्रयोग कर सकता है तथा ना कि आर्इटीआर-2 का।
फार्म आर्इटीआर-3 का प्रयोग केवल वह व्यक्ति कर सकता है जिसकी कुल सालाना आय में व्यवसाय तथा पेशे में मालिकाना हक रखता हो।
फार्म आर्इ टीआर -4 एस(सुगम) का प्रयोग किसी व्यक्ति/ एचयूएफ द्वारा किया जा सकता है जिसकी कुल सालाना आय में निम्न शामिल हो:
1) धारा 44 एडी या 44 एर्इ के प्रावधानों के अनुसार व्यवसाय से आय की गणना ,या
2) वेतन/पेंशन से प्राप्त आय, या
3) घर की संपत्ति से प्राप्त आय(उस मामले को छोड़ कर जहां पिछले साल के नुकसान को आगे लाया गया हो।), या
4) अन्य स्रोतों से प्राप्त आय( लॉटरी जीतने या रेस कोर्स से प्राप्त आय को छोड़ कर)।
इसके अलावा, उस मामले में जहां अन्य व्यक्ति जैसे, पति या पत्नी, छोटे बच्चे आदि की आय को भी कर दाता की आय में जोड़ा जाएगा, इस रिटर्न फार्म का उपयोग केवल तभी किया जाएगा जब आय बतार्इ गर्इ श्रेणी में शामिल हो।
फार्म आर्इटीआर-4 एस(सुगम) उस व्यक्ति/एचयूएफ द्वारा प्रयोग में नहीं लाया जा सकता जो:
1) जिसकी साल भर की कुल आय में एक से अधिक मकान की संपत्ति की आय शामिल है।
2) जिसकी साल भर की आय में लॉटरी से जीती गर्इ राषि या रेस कोर्स से हुर्इ आय शामिल हो।
3) जिसकी साल भर की कुल आय आयकर के '' पूंजीगत लाभ'' के तहत शामिल हो।
4) जिसकी साल भर की कुल आय में आय पर 5000 से ज्यादा की छूट शामिल हो।
5) जिसकी साल भर की कुल आय में सट्टा व्यापार तथा अन्य विशेष आय शामिल हो।
6) जिसकी साल भर की आय में धारा 44 एए(1) में संदर्भित पेशे से प्राप्त आय शामिल है।
7) जिसकी साल भर की आय में एजेंसी व्यापार या किसी प्रकार केकमीशन या ब्रोकेज की प्रकृति के आय शामिल है।
8) जिसने धार 90, 90ए तथा धारा 91 के तहत छूट के लिए दावा किया हो।
9) जिसके पास भारत से बाहर सम्पत्ति हो (किसी संस्था में वित्तिय हित सहित) या किसी भी खाते में हस्ताक्षर करने का अधिकारी भारत से बाहर रहता है।
यदि आयकर दाता धारा 44 एडी या धारा 44 एर्इ के तहत कराधान योजना के किसी भी व्यवसाय में संलग्न हो, परन्तु कराधान योजना को नहीं चुना है, तब ऐसा करदाता को धारा 44 एए के तहत बहीखाते बनाए रखने होंगे। तथा उसे अपने बही खातों का लेखापरीक्षण करवाना होगा। यदि वह आर्इटीआर4 एस का प्रयोग नहीं कर पाता है तो ऐसे करदाता को आर्इ टी आर रिटर्न फार्म -4 भरना होगा।
आर्इटीआर-4 का प्रयोग कौन कर सकता है?
फार्म आर्इटीआर-4 का भी उपयोग किसी व्यक्ति या एकल हिन्दू परिवार द्वारा प्रयोग में लाया जा सकता है जो संपत्ति व्यवसाय या पेशे से जुड़ा हो।
कौन आर्इटीआर-4 का प्रयोग नहीं कर सकता?
फार्म आर्इटीआर-4 का व्यक्ति से अलग व्यक्तिगत या एचयूएफ हो ,इसके अलावा, कोर्इ व्यक्ति या एचयूएफ जो व्यवसाय यापेशे से आय प्राप्त नहीं करता आर्इटीआर-4 का प्रयोग नहीं कर सकता।
आर्इटीआर -5 का प्रयोग कौन कर सकता है?
यह फार्म उस व्यक्ति द्वारा उपयोग में लाया जाता है जो फर्म के रुप में एलएलपी,ए ओ पी, बीओआर्इ, कृत्रिम न्यायिक व्यक्ति भाग 2(31)(अपप) से संदर्भित हो,को -ऑपरेटिव सोसायटी, तथा स्थानीय प्राधिकरण।
फार्म आर्इटीआर-5 का प्रयोग वह व्यक्ति नहीं कर सकता जो एक व्यक्ति जो धारा के भाग 139(4ए)या 139(4बी)या 139(4 सी) या 139(4 डी) के अधीन आयकर भरता हो ( जैसे, ट्रस्ट, राजनीतिक दल, संस्थाएं, कॉलेज, आदि)
फार्म आर्इटीआर-6 का उपयोग कंपनी, कंपनी के अतिरिक्त अन्य जो धारा 11 के तहत छूट का दावा करते हों,के द्वारा किया जा सकता है। ( जैसे धर्मार्थ/धार्मिक ट्रस्ट धारा 11 के तहत छूट का लाभ ले सकते हैं।)
फार्म आर्इटीआर-6 का उपयोग कंपनी जो धारा 11 के तहत छूट का दावा करते हों नहीं ले सकते हैं।( जैसे धर्मार्थ/धार्मिक ट्रस्ट धारा 11 के तहत छूट का लाभ ले सकते हैं।)
फार्म आर्इटीआर -7 का उपयोग प्रयोग वह व्यक्ति तथा कंपनी कर सकती है जो धारा 139(4ए)या धारा 139(4बी)या धारा 139(4 सी)या धारा 139(4 डी) के अधीन आयकर भरता हो। ( जैसे, ट्रस्ट, राजनीतिक दल, संस्थाएं, कॉलेज, आदि)।
फार्म आर्इटीआर -7 का उपयोग प्रयोग वह व्यक्ति नहीं कर सकता जो धारा के भाग 139(4ए)या धारा 139(4बी)या धारा 139(4 सी)या धारा 139(4 डी) के अधीन आयकर भरता हो ( जैसे, ट्रस्ट, राजनीतिक दल, संस्थाएं, कॉलेज, आदि)।
रिटर्न फार्म को www.incometaxindia.gov.in से डाउनलोड किया जा सकता हैं
आयकर विभाग ने आयकर की र्इ फाइलिंग के लिए एक अलग पोर्टल बनाया है, कर दाता www.incometaxindiaefiling.gov.in पर जा कर रिटर्न का र्इ फाइलिंग कर सकते हैं।
आयकर विभाग ने मुफ्त र्इ-फाइलिंग प्रस्तुत करने के लिए तथा इलेक्ट्रानिक रुप में रिटर्न भरने के लिए मुफ्त यूटिलिटी प्रदान की है(जैसे सॉफ्टवेयर)। विभाग के द्वारा प्रस्तुत की गर्इ यूटिलिटी बहुत आसान है। उपयोग में आसान तथा इसे इस्तेमान करने के लिए दिशा निर्देश भी है। र्इ फाइलिंग की यूटिलिटी के इस्तेमाल से, कर दाता अपनी रिटर्न को आसानी से भर सकते है। यूटिलिटी को www.incometaxindiaefiling.gov.in से आसानी से डाउनलोड किया जा सकता है।
र्इ फाइलिंग कहीं से भी किसी भी समय की जा सकती है यह समय तथा मेहनत बचाती है। यह साधारण है, आसान तथा तेज है। व्यक्तिगत रुप से रिटर्न भरने की तुलना में र्इ फाइल रिटर्न आम तौर पर तेजी से कार्रवार्इ करती है।
र्इ फाइलिंग को दाखिल करने के मामले में ,कर दाता 1800 4250 0025 पर संपर्क किया जा सकता है।
र्इ भुगतान कर के इलेक्ट्रानिक भुगतान की प्रक्रिया है (जैसे नेट बैंकिंग के द्वारा) तथा र्इ फाइलिंग आय की इलेक्ट्रोनिक रुप से रिटर्न भरने की प्रक्रिया है । र्इ भुगतान तथा र्इ फाइलिंग की सुविधा का प्रयोग करके करदाता आयकर का भुगतान करने की परेशानी से मुक्त हो सकते हैं तथा रिटर्न को आसनी तथा तेजी से दाखिल कर सकते हैं।
नहीं, इसके विपरीत, यदि कर योग्य आय होने के बावजूद आप अपनी विवरणी दाखिल नहीं करते हैं तो आप आयकर अधिनियम के तहत दंड व अभियोजन प्रावधानों के लिए उत्तरदायी होगें।
विवरणी दाखिल करना आपका संवैधानिक कर्तव्य है और आप के द्वारा राष्ट्र के विकास में सजग योगदान के लिए गरिमा का विषय है। इसके अलावा, आपकी आयकर विवरणी वित्तीय संस्थानों के समक्ष आपकी ऋण पात्रता को मान्यता प्रदान करती है और आपको बैंक क्रेडिट आदि, के रूप में कर्इ वित्तीय लाभ का उपयोग करना संभव बनाती है।
यदि किसी वित्तीय वर्ष में आपको नुकसान होता है, जिसे आप अगले वषोर्ं की सकारात्मक आय के विरूद्ध समायोजित करने के लिए अगले वर्ष के लिए आगे ले जाना चाहते हैं, तो आपको नियत तारीख से पहले अपनी विवरणी दाखिल करने के द्वारा नुकसान का दावा करना चाहिए।
आयकर विवरणी दाखिल करने की नियत तारीख निम्नानुसार हैं:
कंपनियां 30 सितम्बर
कंपनियों के अलावा अन्य व्यावसायिक संस्थाएं, यदि उनके खातों की लेखा परीक्षा की जानी है और फर्म के सक्रिय भागीदार जिनके खातों की लेखा परीक्षा की जानी है 30 सितंबर
अन्य सभी मामलों में 31 जुलार्इ
एक अंतर्राष्ट्रीय लेन-देन या निर्दिष्ट घरेलू लेन-देन करने वाले एक निर्धारिती के मामले में जिसे फार्म सं 3 सीर्इबी में रिपोर्ट प्रस्तुत करना आवश्यक है, के लिए नियत तिथि 30 नवंबर है।
हां, यदि आपने नियत तिथि के भीतर विवरणी प्रस्तुत नहीं की है, तो आप को बकाया कर पर ब्याज का भुगतान करना होगा। यदि विवरणी निर्धारण वर्ष की समाप्ति तक दायर नहीं की जाती है, तो ब्याज के अलावा, धारा 271च के तहत 5,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
हां, यदि कोर्इ निर्धारित नियत तारीख को या उससे पहले आयकर विवरणी दाखिल नहीं कर सका है तो वह विलम्बित विवरणी दाखिल कर सकता हैं। विलम्बित विवरणी निर्धारण वर्ष की समाप्ति या निर्धारण पूर्ण किए जाने से एक वर्ष, जो भी पहले हो की अवधि के भीतर दायर की जा सकती है। निर्धारित नियत तिथि के बाद दाखिल की गर्इ विवरणी को विलम्बित विवरणी कहा जाता है। जैसा कि पिछले एफएक्यू में चर्चा की गर्इ है विलम्बित विवरणी पर ब्याज व दंड देय होता है।
उदाहरण के लिए, वित्तीय वर्ष 2013-14 के दौरान अर्जित आय के मामले में, विलम्बित विवरणी 31 मार्च 2016 तक दाखिल की जा सकती है।
अब तक मैंने किसी भी कर का भुगतान नहीं किया है। यदि मैं इस साल विवरणी दाखिल करता हूं तो क्या आयकर विभाग मुझसे पहले के वर्षों की आय के बारे में पूछेगा?
कर के भुगतान के अपने संवैधानिक दायित्वों का पालन करना शुरू करने के लिए कभी भी देर नहीं है। विभाग आपको पिछले वर्षों की आय की विवरणी दाखिल करने को कह सकता है, यदि उसे यह ज्ञात होता है कि उन वर्षों में आपकी आय कर योग्य थी।
अपनी आयकर विवरणी दाखिल करने के द्वारा आप अतिरिक्त कर की वापसी का दावा कर सकते हैं। यह आपको एक चेक जारी करने के द्वारा या र्इसीएस हस्तांतरण के माध्यम से आपके बैंक खाते में जमा करके आपको वापस किया जाएगा। विभाग जल्द से जल्द धन वापसी के दावों का निपटारा करने का प्रयास कर रहा है।
यदि मैंने अपनी मूल विवरणी में कोर्इ गलती की है, तो क्या गलती को सही करने के लिए मुझे एक संशोधित विवरणी दाखिल करने की अनुमति दी जाएगी?
हाँ, बशर्ते कि, मूल विवरणी नियत तारीख के पहले दाखिल की गर्इ है और विभाग ने निर्धारण पूर्ण नहीं किया है। हालांकि, यह आशा की जाती है कि मूल विवरणी में गलती युक्तियुक्त और सदाशयी प्रकृति की हो और किसी जानबूझकर की गर्इ गलती के सुधार के लिए नहीं।
हालांकि, एक विलम्बित विवरणी (नियत तारीख के बाद दाखिल की जाने वाली विवरणी होने के कारण) संशोधित नहीं की जा सकती।
सैद्धांतिक रूप से एक विवरणी निर्धारण वर्ष की समाप्ति से या विभाग द्वारा निर्धारण पूर्ण किए जाने से पहले जो भी पहले हो, से एक वर्ष की समाप्ति से पहले कितनी भी बार संशोधित की जा सकती है।
क्या मुझे दाखिल की गर्इ विवरणी की एक प्रतिलिपि प्रमाण के रूप में और कितने समय के लिए रखना आवश्यक है?
हां, चूंकि आयकर अधिनियम के तहत कानूनी कार्यवाही चालू वित्त वर्ष से पहले के वर्ष से छह साल तक आरंभ की जा सकती है, आपको कम से कम इस अवधि के लिए ऐसे दस्तावेजों को बनाए रखना चाहिए। हालांकि, कुछ मामलों में कार्यवाही 6 वर्ष के बाद भी आरंभ की जा सकती है, इसलिए, जब तक संभव हो विवरणी की प्रति को संरक्षित करने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा, र्इ-फाइलिंग सुविधा की शुरूआत के बाद, आयकर विवरणी की प्रति बनाए रखना बहुत आसान व सरल है।
मेरे नियोक्ता द्वारा जारी किए गए फॉर्म 16 में विभिन्न कटौतियां प्रदर्शित नहीं हो रही हैं। क्या मैं अपनी विवरणी में उनका दावा कर सकता हूँ?
हां।
विवरणी दाखिल करना क्यों अनिवार्य है, जबकि मेरे सभी कर व ब्याज का भुगतान किया गया है और मुझ पर कोर्इ वापसी देय नहीं है?
अग्रिम कर के रूप में भुगतान की गर्इ राशि और टीडीएस के रूप में वसूले गर्इ या टीसीएस के रूप में एकत्र की गर्इ राशि आपकी आय के स्व निर्धारण के पूर्ण होने पर ही आपके कर की देय प्रकृति धारित करेगी। यह स्व निर्धारण आयकर विवरणी दाखिल करने के माध्यम से विभाग को सूचित किया जाता है। उसके बाद ही, सरकार आपके द्वारा भुगतान किए गए करों पर अधिकार रखती है। विवरणी दाखिल करना इस प्रक्रिया के लिए महत्वपूर्ण है और, इसलिए इसे अनिवार्य बनाया गया है। विफल रहने पर जुर्माना लगाया जा सकेगा।
भले ही मेरी आय कर योग्य है यदि मैं अपनी आयकर विवरणी दाखिल नहीं करता हूं तो क्या मैं किसी आपराधिक अभियोजन [गिरफ्तारी/ कारावास] आदि, के लिए उत्तरदायी हूँ?
कर का भुगतान न करने पर ब्याज, दंड व अभियोजन चलाया जा सकता है। अभियोजन के परिणामस्वरूप 3 माह से लेकर 7 वर्ष तक का कठोर कारावास व जुर्माना हो सकता है।
एक कर दाता इनमें से किसी रुप में कर का भुगतान कर सकता है:
1) स्रोत पर कर कटौती(टीडीएस)
2) स्रोत पर एकत्रित कर (टीसीएस)
3) अग्रिम कर या स्वयं आंकलित कर या नियमित मूल्याकंन पर कर का भुगतान
आय कर विभाग करदाता द्वारा दिए गए कुल कर का पूरा लेखा जोखा रखता है।( जैसे कर दाता के खाते में टैक्स क्रेडिट होना) आयकर विभाग के डाटाबेस के अनुसार किसी के खाते में क्रेडिट हुए कर को फार्म 26 ए एस में आयकर नियम 31 ए बी के तहत साल भर का वार्षिक विवरण की जानकारी देता है। दूसरे शब्दों में कहें ,तो फार्म 26 ए एस आयकर विभाग के डाटा बेस के अनुसार कर दाता के स्थार्इ खाता संख्या में दिखार्इ गए कर के्रडिट को प्रतिबिंबित करेगा। कर के्रडिट में टीडीएस, टीसीएस तथा कर दाता द्वारा भुगतान किए गए कर जैसे अग्रिम कर, स्वयं मूल्यांकित कर आदि शामिल है।
आयकर विभाग अक्सर फार्म 26 एएस में दर्षाए गए क्रेडिट कर का दावा करने की अनुमति प्रदान करता है।
हर एक व्यक्ति उसकी आय के स्रोत पर कर की कटौती का ब्यौरा आयकर विभाग को देता है। इस विवरण में कर दाता का नाम, कर दाता का स्थार्इ खाता संख्या, काटे गए कर की राशि, करदाता को किया गया भुगतान, टीडीएस के सरकार द्वारा क्रेडिट करने की भुगतान तिथि आदि शामिल होते हैं। कर दाता के द्वारा प्रस्तुत किये गए टीडीएस विवरण के आधार पर , आयकर विभाग करदाता के फार्म 26 एएस को अपडेट करता रहता है।
कर्इ बार टीडीएस की वास्तविक राशि तथा फार्म 26 ए एस में दर्शार्इ गर्इ टीडीएस क्रेडिट की राशि में अंतर होता है तथा यह भी हो सकता है कि फार्म 26 ए एस में दर्शाया जा रहा टीडीएस क्रेडिट वास्तविक टीडीएस से कम हो , यह कर दाता द्वारा आयकर विभाग को टीडीएस का विवरण नहीं देने ,या गलत स्थार्इ खाता संख्या से कर की कटौती आदि के कारण भी हो सकता है। ऐसे मामलों में करदाता को कर काटने वाले से मिलना चाहिए तथा उनसे इस विसंगति को दूरकरने के लिए उचित कदम उठाने का आग्रह करना चाहिए।
आयकर विभाग कटौती किए जाने वाले व्यक्ति के द्वारा उपलब्ध करवार्इ गर्इ जानकारी के अनुसार टीडीएस विवरण को अपडेट करता है।(उदाहरण करदाता) इसलिए , यदि करदाता की ओर से कोर्इ त्रुटि हो जाती है जैसे टीडीएस विवरण (उदा, टीडीएस रिटर्न) आयकर विभाग को उपलब्ध नहीं करवाना, किस गलत खाते से टैक्स की कटौती आदि तो फिर फार्म 26 एएस सही टीडीएस नहीं दर्शाएगा। ऐसे मामलों में करदाता सही के्रडिट कर का दावा नहीं कर पाएगा। इसलिए करदाता को यह सलाह दी जाती है कि फार्म 26 एएस में दर्शाइ गर्इ कर के्रडिट की पुष्टि कर लें। और यदि कोर्इ अंतर होता है तो उसको ठीक कर लें।
आयकर रिटर्न भरते समय रखी जाने वाली सावधानियों/कदम/अंक की सूची निम्न प्रकार से है:
♦ आयकर भरने का सबसे पहला और जरुरी एहतियात तो ये है कि उसे निश्चित तारीख से पहले भरा जाए। करदाता को देरी से रिटर्न भरने के अभ्यास को समाप्त करना होगा। देरी से रिटर्न भरने के निम्न परिणाम हो सकते है।
♦ नुकसान (घर की संपत्ति के अलावा अन्य )को आगे नहीं लाया जा सकता।
♦ धारा 234 ए के तहत ब्याज की लेवी
♦ धारा 271 एफ के तहत 5000/- रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है।
♦ धारा 10 ए, 10 बी, 80-आर्इए, 80- आर्इएबी, 80- आर्इबी, 80 आर्इसी 80-आर्इडी तथा 80 आर्इ र्इ के तहत मिलने वाली छूट/कटौती का लाभ नहीं मिलेगा।
♦ धारा 139(5)के तहत देरी से भरी गर्इ रिटर्न को संशोधित नहीं किया जा सकता।
♦ कर दाता को फार्म 26 एएस डाउनलोड करना चाहिए तथा वास्तविक टीडीएस/टीसीएस/ कर भुगतान की पुष्टि कर लेनी चाहिए।
♦ किसी भी प्रकार का अंतर होने पर उसे सही करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए। बैंक स्टेटमेंट /पासबुक, ब्याज प्रमाण पत्र, निवेश सबूत जिनके लिए कटौती का दावा किया जा रहा है , बही खाते तथा बैलेंस शीट तथा पी/एल ए/सी (यदि लागू हो तो) आदि को एकिकृत कर उनकी बहुत सावधानी से जांच कर लेनी चाहिए। आयकर रिटर्न के साथ कोर्इ भी दस्तावेज नहीं लगाया जाना चाहिए।
♦ करदाता को उस पर लागू होने वाले सही रिटर्न फार्म की पहचान कर लेनी चाहिए।
♦ रिटर्न फार्म में सभी जानकारियां बहुत सावधानी के साथ भरनी चाहिए।
♦ कुल आय ,कटौती (यदि हो तो),ब्याज (यदि हो तो), कर देयता/वापसी आदि की गणना की पुष्टि कर लेनी चाहिए।
♦ यदि रिटर्न के अनुसार को कर देयता बनती है तो आयकर रिटर्न भरने से पूर्व उसे भरना चाहिए, अन्यथा रिटर्न को दोषपूर्ण रिटर्न के रुप में माना जाएगा।
♦ सुनिश्चित कर लें कि अन्य सभी विवरण जैसे पैन, पता, र्इ मेल पता, बैंक खाते की जानकारी आदि सही हो।
♦ आयकर रिटर्न में सभी जानकारियां भरने के बाद तथा सभी विवरण की पुष्टि के बाद, व्यक्ति आयकर रिटर्न भरने की कार्रवार्इ कर सकता है।
♦ यदि इलेक्ट्रानिक रुप से भरी गर्इ रिटर्न में डिजीटल हस्ताक्षर नहीं है तो रिटर्न भरने की रसीद को आयकर सीपीस बैंगलोर (जैसा पहले बताया जा चुका है) पर पोस्ट करना ना भूलें।
स्रोत: भारत सरकार का आयकर विभाग|
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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