राँची भारत का एक प्रमुख शहर है और यह झारखंड प्रदेश की राजधानी है। पहले जब यह बिहार राज्य का हिस्सा था तब गरमियों में अपने अपेक्षाकत ठंडे मौसम के कारण प्रदेश की राजधानी हुआ करती थी। झारखंड आंदोलन के दौरान राँची इसका केन्द्र हुआ करता था। ईसा पूर्व छठी शताब्दी में मौजूदा झारखण्ड की जमीन पर मुंडाओं ने कदम रखा था। चूंकि उस वक्त यह इलाका मंदुरा मुंडा नामक शासक के अधिकार में आता था इसलिए यहां मुंडारी भाषा का असर देखने को मिलता है। इस बात का उल्लेख 1907-08 के डिस्ट्रिक्ट गजेटियर में भी मिलता है। झारखण्ड में अभी तक 32 जनजातियां चिन्हित हैं उनमें मुंडारी मुख्यतः मुंडा ट्राइब के लोग बोलते हैं। दूसरी प्रमुख जनजाति उरांव की है जो कुडुख भाषा बोलते हैं जो द्रविड़ भाषा परिवार की है। प्राचीन समय में रांची और पड़ोसी परगना जिले से संबंधित मार्ग मुंडा और उराँव जनजातियों के कब्जे में था और इनको झारखंड या 'वन क्षेत्र' आर्यों के रूप में जाना जाता था।
संभवतः, अशोक (273-232 बीसी) के शासनकाल में, इस क्षेत्र को मगध साम्राज्य में शामिल किया गया था। मौर्य शक्ति की गिरावट के साथ, कलिंग के राजा खारवल्स ने झारखंड के माध्यम से सेना की अगुवाई की और राजगढ़ और पाटलिपुत्र का सफाया किया। बाद में, समुद्र गुप्त (335-380 ईडी) डेक्कन के अभियान के दौरान इन क्षेत्रों से होकर गए।
माना जाता है कि छोटानागपुर राज्य पांचवीं शताब्दी में स्थापित किया गया था।फ़ानिमुकुत को पहला राजा चुना गया यह कहा जाता है उनके द्वारा स्थापित राजवंश को नाग राजवंश के रूप में जाना गयाI
झारखण्ड की राजधानी रांची का अपना इतिहास है। इतिहासकारों के हिसाब से कभी इस इलाके में राज करने वाले नागवंशी राजाओं का यह अधिकार क्षेत्र हुआ करता था। छोटानागपुर पठार का यह इलाका मुंडाओं के राज का हिस्सा रहा है। यही वजह है की शहर के नाम के साथ-साथ यहां के इलाकों के नाम पर भी इस भाषा का प्रभाव साफ़ दिखता है। ऐसी मान्यता है की रांची का नाम मुंडारी के "अरंची से" पड़ा। दरअसल, 'अरंची' मुंडारी भाषा में 'हल जोतने' के सामान को कहते हैं जबकि यह भी कहा जाता है कि 'रिंची' नामक पक्षी से रांची का नाम पड़ा।
झारखंड की राजधानी रांची में प्रकृति ने अपने सौंदर्य को खुलकर लुटाया है। प्राकृतिक सुन्दरता के अलावा रांची ने अपने खूबसूरत पर्यटक स्थलों के दम पर विश्व के पर्यटक मानचित्र पर भी पुख्ता पहचान बनाई है। गोंडा हिल और रॉक गार्डन, मछली घर, बिरसा जैविक उद्यान, टैगोर हिल, मैक क्लुस्किगंज और आदिवासी संग्राहलय इसके प्रमुख पर्यटक स्थल हैं। इन पर्यटक स्थलों की सैर करने के अलावा यहां पर प्रकृति की बहुमूल्य देन झरनों के पास बेहतरीन पिकनिक भी मना सकते हैं। रांची के झरनों में पांचघाघ झरना सबसे खूबसूरत है क्योंकि यह पांच धाराओं में गिरता है। यह झरने और पर्यटक स्थल मिलकर रांची को पर्यटन का स्वर्ग बनाते हैं और पर्यटक शानदार छुट्टियां बिताने के लिए हर वर्ष यहां आते हैं।
प्रकृति के अनमोल उपहार झरनों को रांची के पर्यटन उद्योग की जान माना जाता है। इन झरनों में हुन्डरू, जोन्हा, दसम और पांच गाघ झरने प्रमुख हैं। यह झरने तो खूबसूरत हैं ही लेकिन इनके आस-पास के नजारे भी बहुत खूबसूरत हैं जो पर्यटकों को मंत्र-मुग्ध कर देते हैं। इन सभी झरनों में जोन्हा झरना प्रमुख है क्योंकि इस झरने के पास भगवान बुद्ध के मन्दिर के दर्शन किए जा सकते हैं। पर्यटकों को यह झरना खासतौर से आकर्षित करता है क्योंकि यहां उनके ठहरने के लिए रेस्ट हाऊस का निर्माण किया है। यहाँ के प्राकृतिक झरना हैं, दशम जलप्रपात जो राँची से लगभग 40 किलोमीटर दूर राँची जमशेदपुर मार्ग पर स्थित है, जोन्हा जलप्रपात - राँची से लगभग 18 किलोमीटर दूर है, हुन्डरु जलप्रपात - राँची से लगभग 28 किलोमीटर दूर है I मंदिरों में जगन्नाथपुर मंदिर जो पुरी की स्थापत्य शैली में निर्मित मंदिर है प्रसिद्ध है I
राँची एक प्रमुख औद्योगिक केन्द्र भी है। जहाँ मुख्य रूप से एच ई सी (हेवी इंजिनियरिंग कारपोरेशन), स्टील अथारटी ऑफ इंडिया, मेकन इत्यादि के कारखाने हैं। राँची के साथ साथ जमशेदपुर और बोकारो इस प्रांत के दो अन्य प्रमुख औद्योगिक केन्द्र हैं।
झारखंड राज्य की राजधानी रांची, 23.35 डिग्री उत्तरी अक्षांश और 85.33 डिग्री पूर्वी अक्षांश पर स्थित है। 2001 की जनगणना के अनुसार, रांची नगर निगम द्वारा संरक्षित कुल क्षेत्रफल 177.19 वर्ग किमी है। समुद्र स्तर से इसकी ऊंचाई 2140 फीट है।
यह छोटानागपुर पठार के दक्षिणी भाग में स्थित है। मुख्य नदी सुबर्णरेखा, दक्षिण कोयल और इसकी सहायक नदियाँ रांची जिले से होकर बहती है, हैं। तीन प्रमुख उत्तम रूप से परिभाषित मौसम हैं गर्म मौसम का मौसम, मार्च से लेकर जून तक रहता है; दक्षिण-पश्चिम मॉनसून बारिश का मौसम, मध्य जून से अक्टूबर तक; और ठंड मौसम, नवंबर से फरवरी तक। मई सबसे गर्म महीना है। सामान्यतः, पहाड़ी क्षेत्र और घने पर्णपाती वन के कारण रांची का मौसम मध्यम है।
रांची जिले का संरक्षित वन क्षेत्र 15 9 .14 हेक्टेयर है। यह मुख्य रूप से, चट्टानों और पत्थरों के विघटन से मृदा का गठन किया जाता है।
क्रम.स. |
प्रखंड |
प्राइमरी |
प्राइमरी व उच्च प्राइमरी |
प्राइमरी व उच्च प्राइमरी व से. / हायरसेकण्ड्री |
केवल उच्च प्राइमरी |
प्राइमरी व उच्च प्राइमरी से./हायर सेकण्ड्री |
कुल |
स्थानीय/निजी |
1. |
अनगडा |
138 |
58 |
4 |
0 |
4 |
204 |
14 |
2. |
बेडो |
114 |
40 |
2 |
0 |
4 |
160 |
12 |
3. |
इटकी |
27 |
20 |
0 |
0 |
2 |
49 |
10 |
4. |
बुंडू |
88 |
42 |
2 |
0 |
2 |
134 |
22 |
5. |
बुरमु |
101 |
55 |
0 |
0 |
7 |
163 |
8 |
6. |
खेलारी |
29 |
26 |
1 |
0 |
1 |
57 |
17 |
7. |
चान्हों |
69 |
36 |
1 |
1 |
5 |
112 |
15 |
8. |
कांके |
223 |
121 |
6 |
0 |
27 |
377 |
306 |
9. |
लापुंग |
91 |
44 |
2 |
0 |
4 |
141 |
4 |
10. |
मांडर |
55 |
30 |
2 |
0 |
4 |
91 |
26 |
11. |
नामकुम |
116 |
44 |
3 |
0 |
4 |
167 |
65 |
12. |
ओरमांझी |
84 |
39 |
1 |
0 |
2 |
126 |
17 |
13. |
रातू |
38 |
24 |
0 |
0 |
2 |
64 |
29 |
14. |
नगरी |
45 |
20 |
3 |
0 |
0 |
68 |
27 |
15. |
सिल्ली |
96 |
41 |
2 |
0 |
7 |
146 |
15 |
16. |
सोनाहातु |
97 |
40 |
0 |
0 |
3 |
140 |
7 |
17. |
तामार |
178 |
77 |
2 |
0 |
3 |
260 |
10 |
18. |
राहे |
57 |
32 |
0 |
0 |
4 |
93 |
2 |
|
कुल |
1646 |
789 |
31 |
1 |
85 |
2552 |
606 |
क्रम.स. |
प्रखंड |
1-5 |
6-8 |
कुल |
1. |
अनगडा |
14581 |
6776 |
21357 |
2. |
बेडो |
18575 |
5507 |
24082 |
3. |
इटकी |
5654 |
2026 |
7680 |
4. |
बुंडू |
9923 |
4347 |
4270 |
5. |
बुरमु |
13366 |
4898 |
18264 |
6. |
खेलारी |
5250 |
1680 |
6930 |
7. |
चान्हों |
15224 |
5493 |
20717 |
8. |
कांके |
57277 |
27882 |
85159 |
9. |
लापुंग |
13601 |
3976 |
17577 |
10. |
मांडर |
16597 |
5550 |
22147 |
11. |
नामकुम |
13684 |
5064 |
18748 |
12. |
ओरमांझी |
11162 |
4904 |
16066 |
13. |
रातू |
8798 |
3769 |
12567 |
14. |
नगरी |
8491 |
3263 |
11754 |
15. |
सिल्ली |
11391 |
5835 |
17226 |
16. |
सोनाहातु |
9601 |
3903 |
13504 |
17. |
तामार |
18657 |
6978 |
25635 |
18. |
राहे |
5951 |
2858 |
8809 |
|
कुल |
257783 |
104709 |
362492 |
स्रोत: राँची जिला का आधिकारिक वेबसाइट
अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020
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