देश के समुद्रतटीय क्षेत्र, खारे पानी की जल-कृषि के लिये उच्च रुप से उत्तरदायी हैं और 1.2 से 1.4 मिलियन हे. तक के सर्वे के आधार पर जल-कृषि के लिये उपलब्ध होने का अनुमान लगाया गया है।
वर्तमान में, मुख्य फसल के रुप में टाइगर श्रिप (पेनाउस मोनोडोन) के साथ लगभग 150,000 हे. कृषि के अधीन है। वार्षिक रुप से, लगभग 110-120000 मीट्रिक टन श्रिंप की फसल काटी जाती है जो देश से होने वाले श्रिंप के कुल निर्यातों का लगभग 50 प्रतिशत अंशदान करता है।
एक परम्परागत क्रिया-कलाप से उच्च स्तर के वाणिज्यिक कृषि करने के उद्यम के लगभग एक दशक के विस्तार में श्रिंप की कृषि करने का विकास भारतवर्ष में जल-कृषि की सबसे अधिक चमत्कारिक उपलब्धियों में से एक रही है।
किन्तु, देश में श्रिंप की जल-कृषि की इस तीव्र वृधि ने अनेक सामाजिक और पर्यावरणीय चिन्ताएं भी उठाई थीं। जो फार्मों के विकास और कृषि करने के अभ्यासों को नियमित करने के लिये उच्चतम न्यायालय के हस्तक्षेप और एक प्राधिकरण की स्थापना की ओर ले गई थीं।
बाद में, भारत सरकार ने समुद्र तटीय जल-कृषि को एक अधिक धारणीय और पर्यावरण के अनुकूल तरीके से करने के लिये समुचित नियामक उपाय प्रभावी करने के लिये समुद्रतटीय जल-कृषि प्राधिकरण की स्थापना करने में समर्थ बनाने के लिये, समुद्रतटीय जल-कृषि प्राधिकरण अधिनियम, 2005 बनाया था। यह अधिनियम मीठे पानी की जल-कृषि को छोड़कर समुद्र तटीय क्षेत्रों में नमकीन या खारे पानी में अभ्यास की जाने वाली जल-कृषि के सभी रुपों को सम्मिलित करता है।
समुद्रतटीय पर्यावरण पर श्रिंप की खेती करने के प्रभावों का विश्लेषण करते समय, यह प्रचुर रुप से स्पष्ट था कि श्रिंप के अधिकांश किसानों में खारे पानी की जल-कृषि के लिये अनिवार्य वैज्ञानिक मानकों को अंगीकार करने की दक्षताओं की कमी थी।
जागरुकता के स्तर अपर्याप्त थे और न तो राज्य सरकार को और न किसानों को चुनौतियों का सामना करने के लिये अनुकूल बनाया गया था जो प्रदूषण, वायरल की बीमारियों इत्यादि जैसी समस्याओं द्वारा खड़ी की गई थीं।
समुद्रतटीय जल-कृषि प्राधिकरण अधिनियम, 2005 के अधिनियमित होने के साथ, समुद्रतटीय जल-कृषि के क्रियाकलापों में उत्तरवर्ती विस्तार की आशा है। किन्तु, सरकार का यह भी आशय है कि समुद्रतटीय जल-कृषि के विकास के इस नवीकृत चरण में, भूतकाल में की गई गलतियों की पुनरावृत्ति नहीं होनी चाहिये और विकास धारणीय होने चाहिये और समुद्रतटीय समुदायों और पर्यावरण के कल्याण में अंशदान करना चाहिये।
उक्त उद्देशयों को प्रपट करने के लिए, राष्ट्रीय मत्सियकी विकास बोर्ड (एन.एफ.डी.बी.) ने प्रदर्शनी इत्यादि के माध्यम से समुद्रतटीय जल-कृषि के किसानों के प्रशिक्षण के लिये, अच्छे प्रबंध के अभ्यासों के विस्तार (जी.एम.पी.) के लिये और नियमित आधार पर मानव संसाधन का विकास करने के लिये, संस्थागत क्षमताओं को मजबूत बनाने के लिये निधियाँ आबंटित की हैं।
पिछले अनुभव ने यह दर्शाया है कि जी.एम.पीओं, पर किसानों का अभिप्रेरित किया जाना और जागरुकता का निर्माण किया जाना एक बलशाली कार्य रहा है, और इसलिये, प्रशिक्षण और जागरुकता कार्यक्रमों के माध्यम से समन्वित प्रयास अनिवार्य होंगे ताकि किसानों को पर्याप्त प्रशिक्षण प्राप्त हो और वे धारणीय समुद्रतटीय जल-कृषि का अभ्यास करने के लिये अपनी दक्षताओं में वृधि करें।
समुद्रतटीय जल-कृषि पर एन.एफ.डी.बी. के कार्यक्रम श्रिंप की जल-कृषि के अन्तर्गत 100000 हे. का और पंख वाली मछलियों की कृषि करने (सी-बॉस, समुद्री मछलियों, स्नैपर मछलियों, मुलेट मछलियों इत्यादि) के अन्तर्गत 50,000 हे. का एक अतिरिक्त क्षेत्रफल लाने का मनोचित्रण करते हैं।
बोर्ड ने समुद्रतटीय कृषि करने के क्षेत्रों के विकास का समर्थन करने के लिये सहायता का कोई घटक आबंटित नहीं किया है। किन्तु, यह समुद्रतटीय जल-कृषि के विकास के लिये बैंक के वित्त के माध्यम से पूँजी-निवेशों को सुलभ बनाने के लिये वित्तीय संस्थाओं के साथ समन्वय करेगा। एन.एफ.डी.बी. द्वारा समुद्रतटीय जल-कृषि के लिये उदिष्ट रु.15 करोड़ की सम्पूर्ण निधियाँ, लगभग 100000 समुद्रतटीय जल-कृषि के किसानों को लाभान्वित करने के लिये प्रशिक्षण और प्रदर्शन कार्यक्रमों का आयोजन करने के लिये उपयोग की जायेंगीं।
वर्तमान दिशा-निर्देशों में क्रिया-कलापों की सम्पूर्ण श्रृंखलाएं सम्मिलित हैं जो कार्यान्वयन करने वाले अभिकरणों के द्वारा प्रशिक्षण और प्रदर्शन का आयोजन करने के लिये समर्थन की जायेंगीं।
दिशा-निर्देशों के उद्देश्य भी स्पष्टता और उद्देश्यपरकता लाने के लिये हैं, इस प्रकार वे देश में समुद्रतटीय जल-कृषि के विकास के लिये सहायता प्रदान करने के लिये एन.एफ.डी.बी. द्वारा विकसित कसौटी के साथ तालमेल बिठाते हुए उपयुक्त प्रस्तावों की तैयारी और प्रस्तुतीकरण में कार्यान्वयन करने वाले अभिकरणों को सुलभ बनायेंगे।
एन.एफ.डी.बी. समुद्रतटीय जल-कृषि के विकास का समर्थन करने के लिये प्रशिक्षण और प्रदर्शन के घटक की सहायता करेगी। इस सम्बन्ध में, कार्यान्वयन करने वाले अभिकरण समुद्रतटीय जल-कृषि जैसे श्रिंप की कृषि, सीबॉस की कृषि, समुद्री मछलियों की कृषि, स्नैपर की कृषि, मुलेट की कृषि इत्यादि में जी.एम.पीओ. के अंगीकरण पर प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करने के लिये प्रस्ताव प्रस्तुत कर सकते है।
इकाई की लागत में दस (10) दिनों की मानक प्रशिक्षण अवधि शामिल होती है और इस कार्यक्रम के अन्तर्गत निम्नलिखित क्रियाकलापों का वित्तपोषण किया जायेगा।
(1) कृषक को सहायता: कृषक रु.125/ दिन के दैनिक भत्ते के लिये पात्र होगा और आने-जाने की यात्रा (रेल/बस/ओटो रिक्शा) की प्रतिपूर्ति वास्तविक खर्चे, वशर्ते रु. 500 अधिकतम के अधीन होगी।
(2) संसाधन वाले व्यक्ति को मानदेय: कार्यक्रम का आयोजन करने के लिये, कार्यान्वयन करने वाला अभिकरण प्रति प्रशिक्षण कार्यक्रम के अनुसार संसाधन वाले एक व्यक्ति की सेवाएं ले सकता है। संसाधन वाले व्यक्ति को रु. 1250 का मानदेय दिया जा सकता है और आने-जाने की यात्रा (रेल/बस/ऑटो रिक्शा) के व्यय वास्तविक के अनुसार, बशर्ते अधिकतम रु. 1000/- की प्रतिपूर्ति की जायेगी।
(3) कार्यान्वयन करने वाले अभिकरणों को सहायता: कार्यान्वयन करने वाले अभिकरण, प्रशिक्षण का आयोजन करने के लिये रु. 75/- प्रशिक्षणार्थी/दिवस अधिकतम 10 दिनों की अवधि के लिये प्राप्त करने के लिये पात्र होगा। इस लागत में प्रशिक्षणार्थी की पहचान और लामबंदी और पाठ्यक्रम सामग्री/ प्रशिक्षण की किटों इत्यादि के खर्चे शामिल होंगे।
(4) प्रशिक्षण प्रदर्शन-स्थल(लों) का विकास:
(क) राज्य सरकार (मात्स्यिकी विभाग), एक नियमित आधार पर प्रशिक्षण / प्रदर्शन-कार्यक्रमों का आयोजन करने के लिये अपने विद्यमान समुद्रतटीय जल-कृषि के फार्म के विकास के लिये रु. एक लाख मात्र (रु. 100,000) की एकबारगी सहायता प्राप्त करने की पात्र होगी।
राज्य सरकार उसी प्रशिक्षण स्थल के लिये उसी उद्देश्य के वास्ते एन.एफ.डी.बी. से या किसी अन्य वित्तपोषण करने वाले अभिकरण से पाँच (5) वर्ष की अवधि के लिये किसी उत्तरवर्ती अनुदान के लिये पात्र नहीं होगी।
(ख) यदि राज्य सरकार के पास उसकी अपनी वह सुविधा प्राप्त नहीं होती है जिसे प्रशिक्षण / प्रदर्शनों के लिये प्रयोग किया जा सके तो वह प्रशिक्षण / प्रदर्शन करने के लिये निजी समुद्रतटीय जल-कृषि के फार्म की नियुक्ति करने के लिये पात्र होगी और इस उद्देश्य के लिये वह सुविधा किराये पर लेने के लिये पाँच हजार रुपये (रु. 5000) की धनराशि उपलब्ध कराई जायेगी।
उपरोक्त के अतिरिक्त, राज्य सरकार निम्नलिखित शर्तों का पालन करेगी :
किन्तु, यदि ऐसे अभिकरणों के पास अपनी निजी सुविधा उपलब्ध नहीं है, तो वे राज्य सरकार द्वारा विकसित सुविधा का उपयोग करेंगे या एक निजी कृषक की सुविधा की नियुक्ति करेंगे, जिसके लिये प्रति प्रशिक्षण कार्यक्रम रुपये पाँच हजार (रु. 5000/-) प्रदान किये जायेंगे।
कार्यान्वयन करने वाले अभिकरणों द्वारा सभी प्रस्ताव निधियों के अनुमोदन और जारी किये जाने के लिये प्रत्येक तिमाही (अर्थात् अप्रैल, जुलाई, अक्टूबर, जनवरी) के प्रारंभ में एन.एफ.डी.बी. को प्रस्तुत किये जायेंगे। कार्यान्वयन करने वाले अभिकरणों के द्वारा दिये गये विस्तृत-विवरणों में एकरुपता सुनिश्चित करने के लिये, प्रार्थना-पत्र, दिशा-निर्देशों के साथ संलग्न प्रारुपों (फार्म-सी.ए.- I) में प्रस्तुत किये जायेंगे।
एन.एफ.डी.बी. द्वारा प्रस्ताव के अनुमोदन किये जाने पर, प्रशिक्षण और प्रदर्शन के लिये अनुदान, एक, एकल किश्त में जारी किया जायेगा।
उपभोग प्रमाण-पत्र का प्रस्तुतीकरण
कार्यान्वयन करने वाले अभिकरण, बोर्ड द्वारा उनको जारी की गई निधियों के संबंध में उपभोग प्रमाणपत्र प्रस्तुत करेंगे। ऐसे प्रमाण-पत्र अध-वार्षिक आधार पर अर्थात् प्रति वर्ष जुलाई और जनवरी की अवधि में फार्म - सी.ए.-1 में प्रस्तुत किये जायेंगे।
अनुश्रवण और मूल्यांकन
एन.एफ.डी.बी. के वित्तपोषण के अन्तर्गत कार्यान्वित किये गये क्रिया-कलापों की प्रगति का आवधिक आधार पर अनुश्रवण और मूल्यांकन करने के लिये राज्य सरकारें मात्स्यिकी विभाग में एक समर्पित अनुश्रवण और मूल्यांकन करने वाला कक्ष (एम.एंड ई.) सुस्थापित करेंगीं।
यह कक्ष मात्स्यिकी के प्रभारी सचिव की अध्यक्षता में स्थापित किया जा सकता है और इसमें राज्य के वित्त और मात्स्यिकी विभागों और एफ.एफ.डी.ए. और वाणिज्यिक बैंक / नाबार्ड के प्रतिनिधि शामिल हो सकते हैं। एम.एवं ई. कक्ष, एन.एफ.डी.बी. के परामर्श से वित्तीय और भौतिक लक्ष्य भी स्थापित करेगा जिनके विरुद्ध निधियों के कार्य-निष्पादन और निधियों के उपभोग का अनुश्रवण किया जायेगा।
राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड से वित्तीय सहायता के लिये प्रस्ताव के प्रस्तुतीकरण हेतु आवेदन
क्र. सं. |
कार्यान्वित करने वाले अभिकरण से माँगे गये विवरण |
कार्यान्वित करने वाले अभिकरण के द्वारा प्रस्तुत सूचना
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(1) |
(2) |
(3) |
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1.0 |
प्रशिक्षण कार्यक्रम का नाम
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1.1 |
कार्यान्वित करने वाले अभिकरण का नाम और पता :
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2.0 |
प्रशिक्षण सुविधा का स्थान:
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जिला |
जिला |
जिला |
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3.0 |
प्रशिक्षण देने के लिये उपलब्ध या प्रस्तावित सुविधाएं:
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4.0 |
प्रशिक्षण कार्यक्रम के विवरण:
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(क) समुद्रतटीय जल-कृषि और हैचरी के परिचालनों में प्रशिक्षित किये जाने वाले व्यक्तियों की संख्या (अलग-अलग दी जाए):
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(ख) जिनमें से विद्यमान समुद्र-तटीय जल-कृषि के किसानों की संख्या:
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(ग) समुद्रतटीय जल-कृषि करने के लिये किसान जिनके पास उनके निजी तालाब / टैंक हैं:
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5.0 |
समुद्रतटीय जल-कृषि के अंतर्गत क्षेत्रफल / प्रशिक्षण कार्यक्रम के बाद बढ़ने की आशा है:
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(क) समुद्रतटीय जल-कृषि के अंतर्गत विद्यमान क्षेत्रफल (हे.):
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(ख) प्रशिक्षित किसानों द्वारा विकसित किये जाने हेतु नया क्षेत्रफल
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6.0 |
क्षेत्र में श्रिप/ मछलियों / अन्य प्रजातियों का औसत उत्पादन
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क्या प्रदर्शन स्थल राज्य सरकार के फार्म में होगा या
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पट्टे के आधार पर फार्म में लिया जायेगा
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(1) |
(2) |
(3) |
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7.0 |
यदि प्रदर्शन का स्थल मात्स्यिकी विभाग के मार्ग को छोड़कर होगा, तो कृपया निम्नलिखित विवरण दीजिए:
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(क) फार्म का पूरा पता:
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(ख) तालाबों का आकार (हे.):
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(ग) प्रशिक्षण स्थल के स्थान से दूरीः
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8.0 |
क्या कार्यान्वयन करने वाला अभिकरणकिसान का तालाब आरक्षित करने का प्रस्ताव रखता है?
यदि ऐसा है, तो एक वर्ष में आयोजित किये जाने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रमों की संख्या इंगित की जा सकती है:
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9.0 |
वित्तीय फैंसाव
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मद
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संख्या |
धनराशि |
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(क) प्रशिक्षण
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(1) रु.125/- प्रतिदिन की दर से 10 दिनों के लिये कृषक को सहायता
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(2) किसान को आने-जाने की यात्रा-व्ययों की प्रतिपूर्ति
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(3) रु.75/- प्रति प्रशिक्षणार्थी / दिवस की दर से कार्यान्वयन करने वाले अभिकरण को सहायता
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(4) संसाधन वाले व्यक्तियों को मानदेय और आने-जाने की यात्रा के व्ययों की प्रतिपूर्ति
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(क) का योग
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(ख) प्रदर्शन की इकाई
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महायोग (क+ख)
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10.0 |
प्रशिक्षण में नियुक्त किये जाने वाले संसाधन वाले व्यक्तियों की तकनीकी क्षमताएं
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11.0 |
प्रस्ताव के समर्थन में कोई अन्य विवरण
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दिनांक:
स्थान: कार्यान्वयन करने वाले अभिकरण के प्राधिकृत प्रतिनिधि का हस्ताक्षर और मुहर
उपभोग प्रमाण-पत्र प्रस्तुतीकरण का प्रारुप
क्र.सं. |
पत्रांक और दिनांक |
धनराशि |
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प्रमाणित किया जाता है कि हाशिये में दिये गये राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड के पत्रांक के अन्तर्गत __ के पक्ष में वर्ष की अवधि में संस्वीकृत रु. और पूर्वसंस्वीकृति में से खर्च न किये जाने के कारण बकाया रु. _ , में से रु. __ _ उस उद्देश्य के लिये उपभोग की जा चुकी है।
जिस उद्देश्य के लिये यह संस्वीकृत की गई थी और बकाया रु. अनुपभुक्त रह गया है। उसे ___ की अवधि के दौरान देय अगली किश्त में समायोजित कर दिया जायेगा।
भौतिक प्रगतिः
प्रमाणित किया जाता है कि मैं स्वयं में संतुष्ट हूँ कि वे शर्ते जिन पर निधियाँ राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड द्वारा संस्वीकृत की गई थीं, वे विधिवत् पूरी की जा चुकी हैं।
पूरी की जा रही हैं और यह देखने के लिये मैंने निम्नलिखित जाँच-पड़तालें की हैं कि यह धन वास्तव में उसी उद्देश्य के लिये उपभोग किया गया था जिस उद्देश्य के लिये यह संस्वीकृत किया गया था।
दिनांक:
स्थान:
कार्यान्वयन करने वाले अभिकरण के प्राधिकृत प्रतिनिधि का हस्ताक्षर और मुहर
स्त्रोत:
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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