बीमारियाँ
खरपतवार
सूत्रकृमि (नेमाटोड)
रोडेन्ट्स
क्षतिकारक कीट
रोग-व्याधि
सूत्रकृमि (नेमाटोड)
कीट अनुश्रवण का मुख्य उद्देश्य क्षति कारक कीट एवं बीमारियों का क्षेत्रीय परिस्थिति इमं आरंभिक विकास एवं जैविक नियंत्रण के प्रभाव को पह्चानित करना है।
शीघ्र भ्रमण सर्वेक्षण
क. सर्वेक्षण दल द्वारा फसल मौसम के प्रारंभ में सर्वप्रथम कीट एवं व्याधि से प्रभावित सर्वेक्षण पथ का चयन शीघ्र भ्रमण सर्वेक्षण द्वारा करना चाहिए। इस चयनित पथ पर 7-10 दिनों के अतंराल में 5-10 किमी० पर कीट एवं व्याधि के प्रकोप का पठन लेना चाहिए। कीट, व्याधि तथा इसके प्रतिरक्षक की संख्या अनियमित ढंग से 5 पौधों पर लेनी चाहिए (प्रति हेक्टेयर 12 जगहों पर)
ख. रूट-नॉट के प्रमुख लक्षण जड़-पद्धति निर्मित करना, पौधे का वृद्धि ह्रास तथा पूर्व पुष्पन काल है। क्षेत्र में रूट नॉट, नेमाटोड के वृहद प्रकोप का मुख्य लक्षण पौधों पर चित्तियाँ तथा पौधों को बेढंगी कतार है।
ग. 25 जीवित मांद प्रति हेक्टेयर क्षतिकारक रोडेन्ट्स (मांद में रहने वाले जीव) के विनाश कार्य को प्रदर्शित करता है।
कृषि पारिस्थितिक विशलेषण (आयेसा)
आयेसा एक ऐसा उपगमन मार्ग है जिससे प्रसार कार्यकर्त्ता एवं कृषक विशेष क्षेत्रीय पारिस्थिति में स्वस्थ फसलोत्पादन हेतु कीट, प्रतिरक्षक, मृदा? अवस्था फसल स्वास्थ्य, मौसमी कारकों का प्रभाव आदि का उपयोग कर सकते हैं। क्षेत्रीय पारिस्थिति में इस प्रकार के विश्लेषण से कीट-प्रबन्धन में निर्णय लेने हेतु काफी सहायता मिल सकती है आयेसा के आधारभूत अवयव निम्न प्रकार है;
आर्थिक रूप से प्रभावित स्तर
क्षतिकारक कीट
मटर पहली छेदक |
5% पहली बर्बादी |
धड़ मक्खी |
5% पौधा बर्बादी |
रोडन्ट्स |
25 जीवित मांद/हेक्टेयर |
सूत्रकृमि |
1-2 लार्वा प्रतिग्राम मिट्टी या एक गाँठ/फफोला प्रति जड़ीय-पद्धति |
बीमारियाँ
10. बीज-सड़न से बचाव हेतु उपयुक्त गहराई (5-7 सेमी०) पर बुआई
11. भिसिया सटाईभा, चेनोपोडियम एल्बम, मेलीलोटस अल्बा एवं वी० हिरसुटा आदि खरपतवार को निकालने के लिए समयानुसार निकाई करना।
12. पाउडरी मिल्ड्यू तथा रस्ट के प्रकोप को कम करने हेतु सरसों या फायाबिन के साथ मिश्रित खेती करना।
13. एन०पी० के० एस० की संतुलित मात्रा (20 किलोग्राम ४० किलोग्राम, २० किलोग्राम: २० किलोग्राम) का प्रयोग करें नाइट्रोजन की अधिक मात्रा का उपयोग न करें।
14. आवश्यकतानुसार हल्के सिंचाई का प्रयोग करें। खेत में ज्यादा नमी रहने पर जड़-सड़न, श्वेत सड़न था पाउडरी मिल्ड्यू के प्रकोप की संभावना बढ़ जाती है।
क्षतिकारक कीट
कीटनाशक |
कीट |
दर |
फोरेट (सीड ड्रेसिंग) |
धड़ मक्खी |
1.5 किग्रा ए० आई०/हेक्टेयर |
कार्बोफ्युरान (मिट्टी के साथ) |
धड़ मक्खी |
2.0 किग्रा ए० आई०/हेक्टेयर |
फोरेट (दानेदार) |
मटरफली छेदक |
1.2 किग्रा ए० आई०/हेक्टेयर |
कार्बोफ्युरान ग्रौन्युल्स |
मटरपत्ती छेदक |
1.0 किग्रा ए० आई०/हेक्टेयर |
साइपरमेथिन ईसी |
मटरफली छेदक |
0.002% |
इंडोसल्फान ईसी |
मटरफली छेदक |
0.03% |
मेथोमाइल ईसी |
मटरफली छेदक |
0.04% |
मोनोक्रोटोफॉस ईसी |
मटरफली छेदक |
0.04% |
साइपरमेथिन ईसी |
काली लाही |
0.002% |
फेंभालिरेट ईसी |
काली लाही |
0.004% |
बीमारियाँ
रसायन |
बीमारी |
दर |
कार्बेन्डाजीम |
बीज सड़न डैम्पिंग ऑफ़ जड़सड़न कालर रॉट |
2-3 ग्रा०/1 कि० ग्राम बीज |
कार्बेन्डाजीम |
बीज सड़न डैम्पिंग ऑफ़ जड़सड़न कालर रॉट |
1+2 ग्रा०/1 प्रति कि० ग्राम बीज |
थिरम |
बीज सड़न डैम्पिंग ऑफ़ जड़सड़न कालर रॉट |
3 ग्रा०/1 प्रति कि० ग्राम बीज |
कैप्ताफोल |
बीज सड़न डैम्पिंग ऑफ़ जड़सड़न कालर रॉट |
3 ग्रा०/1 प्रति कि० ग्राम बीज |
वेटेवुल सल्फर |
पाउडरी मिल्ड्यू एवं रस्ट |
3 ग्रा०/1 प्रति कि० ग्राम बीज |
कार्बेन्डाजीम |
पाउडरी मिल्ड्यू श्वेत सड़न ऐस्कोचिता ब्लाईट |
0.5-1.0 ग्रा०/ प्रति लीटर पानी |
ट्राया डाइमे फोन |
श्वेत सड़न पाउडरी मिल्ड्यू |
0.5-1.0 ग्रा०/ प्रति लीटर |
डिनोकैप |
पाउडरी मिल्ड्यू |
0.25-0.5 ग्रा०/ प्रति लीटर |
ट्राईमार्क |
पाउडरी मिल्ड्यू |
1-2 ग्रा०/ प्रति लीटर |
मैनकोजेब |
रस्ट, डाउनि मिल्ड्यू ऐस्कोचिता ब्लाईट |
0.5 ग्रा०/ प्रति लीटर |
कॉपर ऑक्सीक्लोराईट |
ऐस्कोचिता ब्लाईट |
2.5-3 ग्रा०/ प्रति लीटर |
जिनेब |
ऐस्कोचिता ब्लाईट |
२.5-3 ग्रा०/ प्रति लीटर |
रोड़ेन्ट्स
चूहों से बचाव के लिए ब्रोमोडायोलोन (प्रलोभन खाद्य) 0.005% का घोल प्रति मांद 10-15 ग्राम का प्रयोग करें।
सूत्रकृमि (नेमाटोड)
निम्न दवाओं द्वारा सूत्रक्रिमी से बचाव के लिए बीजोपचार करें।
कलोरपाइरी फॉस |
20ईसी @ 0.2% |
ट्राईजो फॉस |
40ईसी @ 1% |
डायमेथोयट |
3 0ईसी @ 0.2% |
कार्बोसल्फान |
@3% |
मिट्टी का उपचार
प्रभेद |
उपज क्वीं०?हेक्टेयर |
अनुकूलन |
विशेष लक्षण |
डीएमआर 11 |
18-22 |
एनएचजेड, एनडब्ल्यूपिजेड एनइपीजेड, सी जेड |
पाउडरी मिल्ड्यू प्रतिरोधी |
एचयूपी-2 (मालविया मटर) |
18-22 |
एनएचजेड, एनडब्ल्यूपिजेड एनइपीजेड, सी जेड |
पाउडरी मिल्ड्यू प्रतिरोधी |
पंतपी-5 |
18-22 |
एनडब्ल्यूपिजेड |
पाउडरी मिल्ड्यू प्रतिरोधी |
जेपी 885 |
18-22 |
सी जेड |
पाउडरी मिल्ड्यू प्रतिरोधी |
एचएफपी 4 (अपर्ण) |
20-25 |
एनडब्ल्यूपिजेड |
बौना एवं पाउडरी मिल्ड्यू प्रतिरोधी |
केएफबी 103 फबी |
18-22 |
एनडब्ल्यूपिजेड |
पाउडरी मिल्ड्यू प्रतिरोधी |
डीएमआर (अंलकार) |
20-24 |
एन डब्ल्यू पी जेड |
पाउडरी मिल्ड्यू प्रतिरोधी |
डीडीआर 13 |
18-22 |
एन इ पी जेड एवं सी जेड |
बौना एवं पाउडरी मिल्ड्यू प्रतिरोधी |
एचएफपी 8909 |
20-25 |
एन इ पी जेड एवं सी जेड |
बौना एवं पाउडरी मिल्ड्यू प्रतिरोधी |
केपीएमआर 114-1 |
20-25 |
एन इ पी जेड |
बौना एवं पाउडरी मिल्ड्यू प्रतिरोधी |
मालविया मटर 15 |
20-30 |
एन इ पी जेड |
बौना पाउडरी मिल्ड्यू एवं रस्ट प्रतिरोधी |
रचना (केपीएमआर 10) |
20-25 |
एन इ पी जेड एवं सी जेड |
बौना पाउडरी मिल्ड्यू एवं लम्बा टाईप |
एन एच जेड |
नॉर्थ हिल जोन |
एन डब्ल्यू पी जेड |
नार्थ वेस्ट प्लेन जोन |
एन इ पी जेड |
नार्थ ईस्ट प्लेन जोन |
सी जेड |
सेन्ट्रल जोन |
सूत्रकृमि (नेमाटोड)
प्रतिरोधी प्रभेद
डीडीआर-16, एच एफ पी 4 , एभी टी -2 (डी), एच एफ पी 9510, एल एफ पी -227
फसल अवस्था |
क्षति कारक |
समेकित कीट प्रबन्धन अवयव |
समेकित कीट प्रबन्धन क्रियाएं |
बुआई के पूर्व |
जड़ सड़न सूत्रकृमि धड़मक्खी खरपतवार |
कृषीय |
10. अधिक पूर्व बुआई न करें समयानुसार बुआई करें। |
|
|
जैविक |
|
|
|
रासायनिक |
|
बीज एवं बिचड़ा |
जड़ सड़न सूत्रकृमि धड़मक्खी, खरपतवार |
कृषीय
यांत्रिक
रासायनिक |
|
वानस्पतिक |
जड़ सड़न सूत्रकृमि, खरपतवार डाउनी मिल्ड्यू |
यांत्रिक |
|
पुष्पन एवं फली अवस्था |
जड़ सड़न
सूत्रकृमि फली छेदक रस्ट,पाउडरी मिल्ड्यू, पत्ती छेदक लाही, रोडेन्ट्स एवं पक्षी |
कृषीय
यांत्रिक
जैविक |
पक्षियों से बचाव हेतु बिजुका का प्रयोग करें।
|
|
|
रासायनिक |
|
कटनी के पश्चात |
(बीज फंगाई बुचिडस |
यांत्रिक |
|
निर्णय लेने हेतु रणनीति (उदाहरण)
ख. अगर केवल रस्ट का प्रकोप है तो मैनेकोजेब 2-3 ग्राम/लीटर का प्रयोग करें।
ग. 0.5-1.0 ग्राम/प्रति लीटर कार्बेन्डाजिम का प्रयोग करें।
आयेसा एक क्रिया पद्धति है जिससे पौधों के स्वास्थ्य, पौधों की क्षति-पूर्ति क्षमता, मौसमी कारक, कीट एवं प्रतिरक्षक की संख्या में बदलाव एवं अंतरसंबंध का अवलोकन अध्ययन किया जाता है। यह कार्य ग्राम स्तर पर एक या अधिक प्रशिक्षित कृषकों के दल द्वारा किया जा सकता है। प्रत्येक फसल विकास अवस्था के अध्ययन हेतु आयेसा द्वारा लिए गये अवलोकनों से सहायता मिल सकती है। आयेसा का तकनीक समेकित कीट प्रबन्धन में कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम में उपयोगी सिद्ध हो सकता है।
क्षेत्रीय अवलोकन
1. खेत के मेढ़ से 5’ की दुरी पर खेत में प्रवेश करें अनियमित ढंग से एक वर्गमीटर के क्षेत्र को चयनित करें।
2. निम्नक्रम में अवलोकनों को नोट कर रखें
आलेखन
एक कागज पर पहले एक पौधा का चित्राकंन करें, पुनः उसके वास्तविक डालियों की संख्या पत्तियों की संख्या इत्यादि को रेखांकित करें तब कीट को पौधे के बाएं किनारे तथा प्रतिरक्षक को दाहिने किनारे दर्शायें। फिर मिट्टी अवस्था, खरपतवार की संख्या, रोडेन्ट्स बर्बादी आदि को संकेतिक करें। फिर सभी आलेखनों पर प्राकृतिक रंग जैसे स्वस्थ पौधों को हरा रंग, व्याधि से प्रभावित पौधे को पीला रंग से भरें। कीट एवं प्रतिरक्षक को आलेखन करते समय ध्यान देना चाहिए कि अवलोकन करते समय जहाँ वे पाए गये थे वहीं पर चित्रांकित करें। रेखाकृति के साठ कीट एवं प्रतिरक्षक का नाम उनकी संख्या आदि देना चाहिए। अगर धुप का दिन है तो पौधों के ऊपर सूर्य को रेखांकित करते हुए मौसमी कारकों को भी कागज पर दर्शाना चाहिए। अगर आकाश में बादल है तो सूर्य के जगह बादल को रेखांकित किया जा सकता है। अगर आशिंक धुप है तो चित्रांकन में सूर्य का आधा भाग बादल से ढंका रहना चाहिए। समूह, आयेसा, ईटीएल कीट प्रतिरक्षक अनुपात पर बदलाव के लिए अपनी रणनीति को विकसित कर सकता है।
समूह-विर्मश एवं निर्णय का निर्माण
पूर्व के चार्ट एवं वर्तमान चार्ट के अवलोकनों के आधार पर समूह के सदस्यों द्वारा कीट एवं प्रतिरक्षक की संख्या, फसल अवस्था आदि के बदलाव पर प्रश्न उठाकर विमर्श करना चाहिए। समूह, आयेसा, ईटीएल कीट प्रतिरक्षक अनुपात पर बदलाव के लिए अपनी रणनीति को विकसित कर सकता है।
निर्णय निर्माण के लिए रणनीति
कीट-प्रतिरक्षक अनुपात पर पहुँचने के लिए कुछ प्रतिरक्षा जैसे- लेडी बीटल क्राईजोपरला, सिरफीड्स आदि उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं।
कृषकों द्वारा
बाह्य भ्रमण के दौरान समेकित कीट प्रबन्धन कीट प्रबन्धन के प्रत्यक्षण, कृषकों का क्षेत्रीय प्रसिक्षण के आधार पर कृषक कृष्य क्षेत्र में आयेसा का प्रयोग कर सकते हैं। जहाँ पर प्रशिक्षित कृषक उपलब्ध है, उनके अनुभव का पूरा लाभ अतिरिक्त कृषकों को दिया जा सकता है इस प्रकार कृषकों का एक समूह किसी विशेष कीट के संबंध में साप्ताहिक आयेसा का उपर्युक्त निर्णय ले सकता है। कृषक से कृषक प्रशिक्षण की प्रक्रिया निश्चित तौर पर स्थायी हो सकती है और ज्यादा से ज्यादा कृषक समेकित कीट प्रबन्धन में पारंगत हो सकते हैं।
प्रसार-कर्मियों द्वारा
राज्य के प्रसार कर्मी ग्राम स्तर के भ्रमण के दौरान कृषकों को संगठित का सकते हैं, तथा आयेसा को कार्यान्वित कर सकते हैं एवं विभिन्न कारकों जैसे- कीट संखया, प्रतिरक्षक संख्या एवं कीट संख्या में ह्रास करने में भूमिका को समीक्षात्मक ढंग से विश्लेषित कर सकते हैं, साथ ही कीट/प्रतिरक्षक की संख्या पर मौसम एवं मृदा अवस्था का क्या प्रभाव पड़ता है? इसे भी विश्लेषित कर सकते है। इस प्रकार की प्रकिया प्रसार कर्मियों द्वारा अपने ग्राम स्तर के प्रत्येक भ्रमण के क्रम में अपनाया जा सकता है तथा कृषकों को आयेसा को अपने क्षेत्र में अपनाते हेतु संगठित कर सकते हैं।
कीटनाशक क्रय
भण्डारण
हस्तलन
छिड़काव हेतु घोल निर्माण में सावधानियाँ
उपकरण
कीटनाशक छिड़काव हेतु सावधानियाँ
निपटान
स्त्रोत: कृषि विभाग, झारखण्ड सरकार
अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020
इस पृष्ठ में अगस्त माह के कृषि कार्य की जानकारी दी...
इस पृष्ठ में 20वीं पशुधन गणना जिसमें देश के सभी रा...
इस भाग में जनवरी-फरवरी के बागों के कार्य की जानकार...
इस पृष्ठ में केंद्रीय सरकार की उस योजना का उल्लेख ...