उन्नत प्रभेद |
तैयार होने का समय (दिन) |
औसत उत्पादन (क्विं. हें.) |
अन्य गुण |
बिरसा मडुआ-2 |
105-110 |
24-26 |
मध्य अगात |
ए. 404 |
115-120 |
30-32 |
मध्य अगात |
(क) जमीन की तैयारी: तीन-चार खेत की अच्छी तरह जुताई करके पाटा चला दें। गोबर की सड़ी खाद 100 क्विं. प्रति हेक्टेयर की दर से अच्छी तरह मिला दें। चूँकि मडुआ टांड जमीन में बोया जाता है इसलिए जल निकास का पूरा प्रबंध होना चाहिए।
(ख) बुआई का समय: मध्य जून से बिचड़े के लिए बीज नर्सरी में गिरा दें। तीन-चार सप्ताह बाद बिचड़े को उखाड़कर रोपनी करें। कतार से कतार की दूरी 15-20 सें.मी. होनी चाहिए।
(ग) बीज दर: 8 से 10 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर।
(घ) उर्वरक का प्रयोग: 40:30:20 किग्रा. एन.पी.के./हें. ।
उर्वरक |
बोने के समय |
रोपनी के समय |
रोपनी के 25-30 दिन बाद |
यूरिया |
17 किग्रा./हें. |
22 किग्रा./हें. |
25 किग्रा./हें. |
डी.ए.पी. |
65 किग्रा./हे. |
- |
- |
म्यूरेट ऑफ़ पोटाश |
34 किग्रा./हे. |
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(ङ) निकाई-गुड़ाई: दो बार निकाई-गुड़ाई की आवश्यकता होती है। प्रथम निकाई के 5 दिन बाद 45 कि. यूरिया/हें. की दर से खड़ी फसल में डाले।
(च) कटनी तथा दौनी: बाली पक जाने पर पहले बाली को काटा जाता है। बाली को धूप में 2-3 तक धूप में अच्छी तरह सुखाकर बैल द्वारा दौनी की जाती है। उसके बाद अनाज को ठीक से हवा में उड़ाकर दाना अलग किया जाता है।
स्त्रोत एवं सामग्रीदाता: कृषि विभाग, झारखण्ड सरकार
अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020
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