उन्नत किस्में |
तैयार होने की अवधि (दिन) |
औसत उपज (क्विं./हें.) |
बुआई का उपयुक्त समय |
ऊँची जमीन (टांड) |
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|
15 जून से 30 जून बीज दर: 80-100 कि.ग्रा./हें. |
बिरसा धान – 108 |
75 |
25 |
|
बिरसा विकास धान – 109 |
85 |
30 |
|
बिरसा विकास धान -110 |
95 |
35 |
|
बंदना |
90 |
30 |
|
मध्यम जमीन (दोन-3 एवं दोन 2) |
|||
आई.आर. 36 |
125 |
45 |
1 जून से 25 जून |
आई.आर. 64 |
125 |
45 |
|
राजेन्द्र धान -202 |
135 |
40 |
|
सुगंधा |
150 |
30 |
|
ललाट |
125 |
45 |
|
बी.आर.-10 |
150 |
30 |
|
बिरसामती |
130 |
35-40 |
सुगंधित |
प्रोएग्रो-6444 |
135 |
70 |
बीज दर 15 कि.ग्रा./हें. |
नीची जमीन (दोन-1) |
|||
राज श्री |
140 |
50 |
1 जून से 15 जून |
स्वर्णा (एम.टी.यू.-7029) |
145 |
60 |
|
सम्भा महसूरी (वी.पी.टी.-5204) |
145 |
55 |
बीज दर: 40-50 कि.ग्रा./हें. |
1. बीजस्थली में
एक सौ वर्गमीटर क्षेत्रफल की बीजस्थली में क्यारियों में निम्नलिखित मात्रा में खाद दें:
(क) 1 किलो नाइट्रोजन, 1 किलो फ़ॉस्फोरस, 1 किलो पोटाश
(ख) बीज गिराने के 15-20 दिनों बाद 1 किलो नाइट्रोजन से बिचड़ों की टॉप ड्रेसिंग करें। बीज दर: 80-100 कि.ग्रा./हें. सीधी बोआई (टांड में), 40-50 कि./हें. रोपाई हेतु।
2. (क) ऊँची जमीन (टांड): (60:30:20 किग्रा. एनपीके/हें.) 105 कि.ग्रा. यूरिया + 66
कि.ग्रा. डी.ए.पी. + 34 कि.ग्रा. म्यूरेट ऑफ़ पोटाश
(ख) मध्यम जमीन (दोन-3 एवं दोन-2) (80:40_20 कि.ग्रा. एनपीके/हें.)
140 कि.ग्रा. यूरिया + 88 कि.ग्रा. डी.ए.पी. + 34 कि.ग्रा. म्यूरेट ऑफ़ पोटाश/हें.
(ग) नीची जमीन: (120+60+40 कि.ग्रा. एनपीके/हें.)
210 कि.ग्रा. यूरिया+132 कि.ग्रा. डी.ए.पी.+67 कि.ग्रा. म्यूरेट ऑफ़ पोटाश
नाइट्रोजन का व्यवहार
अगात प्रभेद (सीधी बुआई): 50 प्रतिशत बुआई के समय, 25 प्रतिशत बुआई के 30-35 दिनों बाद 25 प्रतिशत बुआई के 40-50 दिनों बाद।
अगात प्रभेद (रोपनी): 50 प्रतिश रोपनी के पहले, 25 प्रतिशत रोपनी के 2-3 सप्ताह बाद, 25 प्रतिशत रोपनी के 6 सप्ताह बाद।
मध्यम प्रभेद (रोपनी): 50 प्रतिशत रोपनी के पहले, 25 प्रतिशत रोपनी के 3 सप्ताह बाद, 25 प्रतिशत रोपनी के 6 सप्ताह बाद।
पिछात प्रभेद (रोपनी): 50 प्रतिशत नाइट्रोजन रोपनी के पहले, 25 प्रतिशत रोपनी के 3-4 सप्ताह बाद, 25 प्रतिशत रोपनी के 7-8 सप्ताह बाद। रोपते समय अंतिम कदवा के पहले खाद डालकर खेत की तैयारी करें। खड़ी फसल में नाइट्रोजन का व्यवहार करने के पूर्व खेत से खर-पतवार निकाल दें तथा यदि पानी का जमाव अधिक हो तो उसकी भी निकासी कर दें।
अच्छी तरह पकने पर फसल की कटनी करें। धान को अच्छी तरह सुखाकर 10-12 प्रतिशत नमी रहने पर भंडार में रखें।
स्त्रोत एवं सामग्रीदाता: कृषि विभाग, झारखण्ड सरकार
अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020
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