उन्नत प्रभेद
प्रभेद |
बुआई की दूरी |
तैयार होने का समय (दिन) |
उपज क्विं./हें. |
पौधे की लम्बाई (सें.मी.) |
|
दाना |
चारा |
||||
सी.एस.वी. |
45 x 15 सें.मी. |
115 |
38 |
140 |
210 |
(क) जमीन की तैयारी: दो-तीन बार देशी हल से खेत की अच्छी तरह जुताई करके पाटा चला दें। जुताई के बाद खेत में गोबर की सड़ी खाद 100 क्विं./हें. की दर से खेत में डालकर अच्छी तरह मिला दें। इसकी खेती के लिए टांड जमीन उपयुक्त है। जल निकासी का पूरा प्रबंध होना चाहिए।
(ख) बुआई का समय: बुआई का उचित समय मध्य जून से मध्य जुलाई है।
(ग) बीज दर: 12 किलो प्रति हेक्टेयर।
(घ) उर्वरक: 60:40:20 किलो ग्राम एन.पी.के. प्रति हेक्टेयर।
उर्वरक |
बोने के समय |
बुआई के 30 दिनों के बाद |
नाइट्रोजन |
52 किग्रा. यूरिया/हें. |
88 किग्रा. यूरिया/हें. |
फ़ॉस्फोरस |
82 किग्रा. डी.ए.पी./हें. |
- |
पोटाश |
34 किग्रा. एम.ओ.पी./हें. |
- |
(ङ) निकाई-गुड़ाई: 20-25 दिनों के अंतर पर दो से तीन बार निकाई-गुड़ाई करनी चाहिए। प्रथम निकाई के 4-5 दिनों के बाद 88 किग्रा.यूरिया/हें. की दर से खड़ी फसल में डाल कर पौधे पर मिट्टी चढ़ानी चाहिए।
(च) कटनी तथा दौनी: फूल निकलने के 35-40 दिनों के बाद बाल के पकने पर इसकी कटनी करें। बाली को 2 से 3 दिनों तक धूप में अच्छी तरह सुखाकर इसके दाना को बाली से छुड़ाकर अलग कर ले
इसके पौधों में एच.सी.एन नामक जहरीला पदार्थ होता है। कच्ची फसल का उपयोग करने से जानवरों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। अत: ज्वार की फसल को फूल निकलने के बाद या जब पौधा 45 दिनों का हो जाए तभी फसल को चारे के रूप में प्रयोग में लाना चाहिए।
स्त्रोत एवं सामग्रीदाता: कृषि विभाग, झारखण्ड सरकार
अंतिम बार संशोधित : 10/17/2019
इस पृष्ठ में केंद्रीय सरकार की उस योजना का उल्लेख ...
इस भाग में अंतर्वर्ती फसलोत्पादन से दोगुना फायदा क...
इस पृष्ठ में मधुमक्खी पालन से संबंधित केस अध्ययन क...
इस भाग में अतिरिक्त आय एवं पोषण सुरक्षा हेतु वर्ष ...