उन्नत प्रभेद
समय पर बुआई के लिए (सिंचित): एच.डी.-2643 (गंगा), (उपज क्षमता 35-40 क्विं./हें.) समय पर मध्य अक्टूबर से नवम्बर प्रारम्भ) बुआई के लिए (असिंचित): सी.-306, के.8027, एच.डी.आर.-77, के 8962, (उपज क्षमता 20-25 क्विं./हें.) देर से (नवम्बर का द्वितीय पखवाड़ा) बुआई के लिए (असिंचित): के 8962 (इन्द्रा), डी.एल.-788 – उपज क्षमता (15-20 क्विं./हें.) ।
बीज दर: 125 किलोग्राम/हें. । पिछात बुआई के लिए बीज दर से 25 किलो वृद्धि करें। उपचारित बीजों का ही व्यवहार करें, बीटावेक्स या बैविस्टीन की 2.5 ग्राम मात्रा एक किलो बीज हेतु पर्याप्त है।
अवस्था |
समय |
दूरी |
सिंचित |
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(क) समय से |
नवम्बर माह का प्रथम पखवारा |
22 सें.मी. |
(ख) पिछात |
25 दिसम्बर तक |
18-20 सें.मी. |
असिंचित |
अक्टूबर के अंत से 10 नवम्बर तक |
22 सें.मी. |
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उर्वरक की मात्रा (एन.पी.के./हें.) |
प्रयोग विधि |
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120:60:40 |
नाइट्रोजन की आधी मात्रा तथा फ़ॉस्फोरस एवं पोटाश की पूरी मात्रा बुआई के समय दें। नाइट्रोजन की शेष आधी मात्रा प्रथम सिंचाई के बाद उपरिवेषन करें। |
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80:60:20 |
Do |
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60:30:20 |
संपूर्ण उर्वरक का व्यवहार बुआई के समय करें। |
जल की उपलब्धता एवं फसल की आवश्यकतानुसार सिंचाई निम्नलिखित अवस्थाओं पर करें:
एक सिंचाई: क्राउन रूट निकलने और कल्ले पूर्ण होने के बीच।
दो सिंचाई: क्राउन रूट निकलते समय और बालियाँ निकलते समय।
तीन सिंचाई: क्राउन रूट निकलते समय, बालियाँ निकलते समय और दानों में दूध आते समय।
चार सिंचाई: क्राउन रूट निकलते समय, कल्ले पूर्ण होने पर, बालियाँ निकलते समय तथा दानों में दूध भरते समय।
पाँच सिंचाई: क्राउन रूट निकलते समय, कल्ले पूर्ण होने पर, तने में गाँठ बनते समय, बालियाँ निकलते समय एवं दानों में दूध आते समय।
छ: सिंचाई: क्राउन रूट बनते समय, कल्ले पूर्ण होने पर, तने में गाँठ बनते समय, बालियों में फूल आते समय, दानों में दूध भरते समय और दानों के सख्त होते समय।
निकाई-गुड़ाई: प्रथम सिंचाई के बाद मिट्टी भुरभुरी होने पर घास-पात निकाल दें। घास-पात नाशक दवाओं के प्रयोग के लिए खरपतवार नियंत्रण का अनुच्छेद देंखें।
कटनी-दौनी: फसल पकते ही सुबह में कटनी करें।
भंडारण: भंडार में रखने के पूर्व बीज को पूरी तरह धूप में सूखा लें।
स्त्रोत एवं सामग्रीदाता: कृषि विभाग, झारखण्ड सरकार
अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020
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