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मछली बीज से कमा रहे लाखों रुपये

सस्ती दर पर मछली बीज

अभी राज्य में मछली का उत्पादन प्रतिवर्ष 64 लाख टन होता है। यह उत्पादन मानवीय आवश्यकता से कम है। इसी को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार मत्स्य शिक्षा संस्थान के सहयोग से यहां के किसानों को मछली व महाझींगाFishries पालन के लिए प्रोत्साहित कर रही है। उन्हें प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। इसके बाद यह आर्थिक दृष्टि से काफी लाभदायक है। कभी मजदूरी करने के बाद भी दो वक्त की रोटी का जुगाड़़ मुश्किल था और आज मछलीपालन से लाखों रु पए कमा करे हैं। कुछ बेहतर करने की चाहत में कड़ मेहनत से अपनी दशा ही नहीं बदली, बल्कि आसपास के लोगों की भी जिंदगी बदलने में अररिया के कपिलदेव सहनी सफल हुए। सलाना कमाते हैं 20 से 22 लाख रुपए हैं। कपिलदेव अब मछलीपालकों को सस्ती दर पर मछली बीज उपलब्ध करा रहे हैं, वहीं कई लोगों को भी रोजगार से भी जोड़़ दिया है। 1985 से पहले सिकटी प्रखंड़ के बोकस्तरी गांव के कपिलदेव सहनी लोगों के खेतों और तालाबों में मजदूरी करते थे। बाद में एक सरकारी तालाब लीज पर लेकर मछलीपालन शुरू किया और लगातार आगे बढ़ते गए। हैचरी में रेहू, कतला, गोल्ड़न कार्प, कॉमन कार्प व ग्रास कार्प मछली का बीज तैयार करते हैं। अररिया सहित पूर्णिया, किटहार और अन्य जिलों के मछलीपालक किसानों को सस्ती दर पर मछली बीज उपलब्ध कराते हैं। पहले आस-पास के लोगों को मछली बीज के लिए पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश पर निर्भर रहना पड़़ता था।

एक एकड़ में बनाया मकान व तालाब

कपिलदेव सहनी ने 10 साल पहले एक एकड़ जमीन खरीदी। इसमें अपना मकान भी बनाया और मछली बीज स्टोर के लिए छोटा तालाब बनाया है। मछली का चारा तैयार करने के लिए फिश फीड़ मिल भी लगा लिया है। खाद की दुकान और अन्य रोजगार में भी सफलता के परचम लहरा रहे हैं। बच्चों को अच्छी पढ़ाई कराई। एक बेटा इंजीनियर बन गया है।

6 माह परेशानी,3 साल कम मिला लाभ

कपिलदेव सहनी कहते है कि जब मछलीपालन की शुरुआत की तो 6 माह काफी परेशानी हुई। तीन साल तक लाभ भी कम मिला, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। मत्स्य वैज्ञानिकों से भी सलाह ली। फिर मत्स्य बीज तैयार करने की दिशा में आगे बढे। तालाब के ऊपर मुर्गी फार्म स्थापित कर लिया। मुर्गी का बीट मछलियों के लिए बढ़िया चारा हो जाता है। 

मछलीपालकों को देते हैं प्रशिक्षण

मछली बीज फ्राई और फिंगर लिंक के रूप में मछलीपालकों को आपूर्ति करते हैं। इसे 200 से 250 रुपए किलो की दर से बेचते हैं। ताजा मछली भी तालाब से ही बिक जाती है। अब कपिलदेव सहनी अपने क्षेत्न में मत्स्यजीवी सहयोग समिति मंत्नी बन गए हैं। मछलीपालन के माध्यम से उन्होंने काफी युवाओं को रोजगार का मौका दिलाया है। हैचरी संचालकों को भी वे मछली बीज तैयार करने की विधि बताते हैं। उनके तालाब पर मछलीपालक आकर तकनीकी सीखते हैं।
  • साल भर आंकड़़े वर्ष उत्पादन जरूरत ((आंकड़ लाख टन में ) 2010-11 2.5 4.25 2011-12 275 4.50 2012-13 ३.50 5.00 2013-14 4.32 5.81 2014-15 4 .70 6 .00
  • बिहार राज्य में तालाब : 93 हजार हेक्टेयर
  • निदयों का क्षेत्न : 3200 किमी
  • जलाशय का क्षेत्न : 25 हजार हेक्टेयर
  • मछली का आयात : १.50 लाख टन
  • राज्य में हैचरी : 112
  • प्रति व्यक्ति मछली उपलब्धता का राष्ट्रीय औसत : 8.54 किलो
  • राज्य में मछली उपलब्धता प्रति व्यक्ति : 7.7 किलो

स्त्रोत:संदीप कुमार,स्वतंत्र पत्रकार,पटना, बिहार।

अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020



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