बकरी ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और इससे प्राप्त होनेवाली वस्तुएं, दूध, बाल, चमड़े जैविक खाद इत्यादि सभी प्रकार से लाभदायक है। इसके पालन-पोषण में थोड़ी सावधानी एवं जानकारी से अधिक से अधिक लाभ मिलता है।
अच्छी नस्ल की मांसवाली या दूधवाली या दोनों प्रकार की बकरी देशी या संकर का चुनाव करें।
बकरी गर्म होने पर देशी, विदेशी या संकर नस्ल से पाल दिलवाएं। इसकी सुविधा राँची पशुचिकित्सा महाविद्यालय में उपलब्ध है।
गर्म होने के 20-30 घंटे के अंदर ही प्राकृतिक या कृत्रिम रूप से गर्भाधान कराएँ। अधिक समय यह ध्यान देना चाहिए कि बच्चे अधिक जाड़े या गर्मी के मौसम में पैदा नहीं हों ।
लगभग 145-150 दिनों के गर्भाधान के बाद बच्चों का जन्म होता है। अत: पाल दिलाते समय यह ध्यान देना चाहिए कि बच्चे अधिक जाड़े या गर्मी के मौसम में पैदा नहीं हों।
बकरियों को सुबह 8 बजे से 11 बजे तथा शाम 3 बजे से 5 बजे तक चराना चाहिए। दोपहर के समय में अधिक धूप-गर्मी से बचाना चाहिए। सुबह या शाम को 200-250 ग्राम दाना प्रति बकरी देना चाहिए।
पीने का पानी: स्वच्छ जल पूरी मात्रा में मिलनी चाहिए।
छोटे बच्चों को जन्म के बाद से ही फेन्सा देते रहना चाहिए। इसमें पोषण के अलावा रोग निरोधक शक्ति भी है। छोटे बच्चों को ठंडक से बचाना चाहिए। समय-समय पर परजीवी से बचाव के लिए दवा पिलानी चाहिए। समय-समय पर पैखाना जांच कराकर उचित कृमिनाशक दवाई दें। आवश्यकता पड़ने पर पशुचिकित्सक से सलाह लें।
यह दूध अति सुपाच्य है और मनुष्य के छोटे बच्चों के लिए अत्यधिक लाभकारी है। इसके सूक्ष्म पोषक तत्व जल्दी ही पच जाते हैं। इसमें शरीर पोषण की अधिक क्षमता है, जो माता के दूध के समतुल्य है तथा इसमें रोग-निरोधक गुण भी मौजूद हैं।
क. |
अनावर्ती व्यय |
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10,000.00 |
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2. उन्नत बकरा का क्रय मूल्य @ रु. 3000 प्रति बकरा |
3,000.00 |
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3. बकरा-बकरी के लिए आवास व्यवस्था |
5,000.00 |
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4. बर्तन |
500.00 |
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कुल |
18,500.00 |
ख. |
आवर्ती-व्यय |
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3300.00 |
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2. एक बकरा (150) ग्रा./बकरा/दिन तथा दस बकरी के लिए (100 ग्रा./बकरी/दिन) आवश्यक कुल दाना मिश्रण 4.5 क्विं. @ रु. 600 प्रति क्विं. |
2,700.00 |
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3. दवा टीका आदि पर सालाना खर्च 2,000.00 |
कुल 8,000.00 |
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कुल खर्च (क + ख) |
26,500.00 |
आय की गणना यह मानकर की गई है कि 2 वर्ष में एक बकरी तीन बार बच्चों को जन्म देगी तथा एक बार 2 बच्चे पैदा करेगी। बकरियों की देखरेख घर की औरत तथा बच्चों द्वारा की जायेगी एवं सभी बकरियों को 8-10 घंटे प्रतिदिन चराया जायेगा। आय की गणना करते समय यह माना गया है कि चार बच्चे की मृत्यु हो जायेगी तथा 13 नर और 13 बिक्री के लिए उपलब्ध होंगे। एक नर और 2 मादा की प्रजनन हेतु रखकर पुरानी 2 बकरियों की बिक्री कर दी जायेगी।
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18,000.00 |
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2. नौ-दस माह की उम्र में 11 संकर मादा के विक्रय से प्राप्त राशि @ रु.2000/- प्रति बकरी |
22,000.00 |
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3. दो ब्लैक बंगाल मादा की बिक्री से प्राप्त राशि/ रु.500/- प्रति बकरी |
1000.00 |
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कुल |
41,000.00 |
घ. |
कुल आमदनी=आय-आवर्ती खर्च। ब्लैक बंगाल बकरी तथा बकरा के क्रय का 20 प्रतिशत, आवास खर्च का 10 प्रतिशत, बर्तन खर्च का 20 प्रतिशत। |
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= 41,000-8,000-13,000 का 20% - 5,000 का 10% - 500 का 20% |
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= 41,000-8,000-2,600-500-100 |
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= 41,000 – 11,200 |
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= 29,800 – रु.प्रतिवर्ष |
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= 2980 रु./बकरी/वर्ष |
इस आय के अतिरिक्त बकरी पालन प्रतिवर्ष कुल 3000 रु. मूल्य के बराबर एक संकर बकरा तथा एक या दो बकरी की बिक्री नहीं कर प्रजनन हेतु खुद रखेगा। पाँच वर्षों के बाद बकरी पालन के पास 10 संकर नस्ल की बकरियां एवं उपयुक्त संख्या में संकर बकरा उपलब्ध होगा।
स्त्रोत: कृषि विभाग, झारखंड सरकार
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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